उडुपी (कर्नाटक) : हिंदू धर्म की सर्व धर्म समभाव की अवधारणा जिसका अर्थ है कि सभी धर्मों द्वारा अनुसरण किए जाने वाले मार्ग भले ही अलग हो सकते हैं, किंतु उनका गंतव्य एक ही है. एक बार जो इस मूलभाव को समझ लेता है वो इससे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता. ऐसा ही नायाब उदाहरण पेश किया है कर्नाटक के उडुपी के एक व्यापारी ने. 77 वर्षीय ईसाई व्यवसायी गेब्रियल नाजरेथ ने सांप्रदायिक सद्भाव की भावना से भगवान सिद्धि विनायक मंदिर (Shri Siddhivinayak Temple) का निर्माण करवाया है. मंदिर को बनवाने में 2 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
उडुपी के शिरवा के पास अपने गृहनगर मतारू अत्तिंजे क्रॉस में मूर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव और ब्रम्हकलशोत्सव सहित विभिन्न अनुष्ठानों को पूरे रीतिरिवाज से निभाया गया. इस दौरान पालिमारू मठ के श्री विद्याधीश तीर्थ स्वामी का भी आगमन हुआ. गेब्रियल भले ही ईसाई धर्मावलंबी हैं, लेकिन भगवान सिद्धिविनायक में भी उनकी अपार श्रद्धा है. गेब्रियल ने मंदिर का निर्माण अपनी भूमि पर पिता फैबियन सेबेस्टियन नाजरेथ और माता सबीना नाजरेथ की स्मृति में करवाया है.
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दरअसल, गेब्रियल अपने कामकाज की वजह से ज्यादा समय तक मुंबई में रहे और इस दौरान उनको व्यवसाय में जो सफलता मिली उसक श्रेय वह प्रभु सिद्धिविनायक को देते हैं. गेब्रियल ने ब्लॉक और मोल्ड बनाने वाली एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी स्थापित की है.
इसी के कामकाज के सिलसिले में वह लगभग 55 वर्षों तक मुंबई में रहे. लगभग एक दशक पहले मुंबई से अपना व्यवसाय बंद करने के बाद अपने गृहनगर लौटने तो उन्होंने मंदिर बनाने का फैसला किया. जगजाहिर है कि महाराष्ट्र और विशेष रूप से मुंबई में भगवान गणेश की पूजा लोग बेहद भक्तिभाव से करते हैं.