पटना: अपने सबसे बड़े सियासी संकट में फंसे मोदी भक्त 'हनुमान' यानी चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बार-बार कई बार अपने अराध्य 'राम' को आवाज दी. राजनीतिक वध होने से बचाने के लिए उनसे गुहार लगाई, लेकिन ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उनसे मुंह फेर लिया है. मगर अचानक से जैसे ही सोमवार को चिराग ने मोदी के बेहद करीबी और बीजेपी के एक बड़े नेता से मुलाकात की, बिहार की सियासत में एक बार फिर से उबाल आ गया. चर्चा तेज होने लगी है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मुखालफत के बावजूद बीजेपी अभी भी चिराग के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखती है.
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मुलाकात के बाद सियासत तेज
'बंगले' पर दावेदारी की लड़ाई में बिहार की राजनीति उलझ गई है. चिराग पासवान और पशुपति पारस दो खेमे में बैठ चुके हैं. नीतीश कुमार जहां मजबूती से पारस के साथ खड़े हैं, वहीं बीजेपी भी चिराग को साथ नहीं दे रही है. बीजेपी के सामने आगे गड्ढा और पीछे खाई वाली स्थिति बन गई है. राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जरूर रही है कि शीर्ष नेतृत्व चिराग को लेकर हमेशा से थोड़ा नरम रहा है, लेकिन मुश्किल ये है कि नीतीश को नाराज कर चिराग का साथ नहीं दिया जा सकता है. ऐसे में अहमदाबाद में हुई इस मुलाकात के बाद आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति नई करवट ले सकती है.
पारस को नीतीश का समर्थन
लोक जनशक्ति पार्टी में चाचा और भतीजा के बीच आर-पार की लड़ाई चल रही है. चिराग पासवान और पशुपति पारस बंगले पर वाजिब हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. बंंगले की लड़ाई में बिहार की राजनीति को उलझा कर रख दिया है. बीजेपी भी कुछ स्पष्ट कहने और करने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है. उधर, सीएम नीतीश कुमार इलाज के लिए फिलहाल दिल्ली में हैं. चर्चा है कि वे पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दिलाना चाहते हैं. जानकारी के मुताबिक पारस को मंत्री बनाने की कीमत पर नीतीश जेडीयू कोटे में दो मंत्री मिलने पर भी मान सकते हैं. जेडीयू खाते से एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री हो सकते हैं, जबकि पशुपति पारस को स्वतंत्र प्रभार का मंत्रालय दिया जा सकता है.
पशुपति बनेंगे मंत्री तो चिराग होंगे नाराज
इधर, बीजेपी पसोपेश में है. पार्टी चिराग और नीतीश दोनों को छोड़ना नहीं चाहती. अगर पशुपति पारस को मंत्री बनाया गया तो वैसी स्थिति में चिराग पासवान महागठबंधन खेमे में जा सकते हैं. बदली राजनीतिक परिस्थितियों में चिराग ने अहमदाबाद जाकर नरेंद्र मोदी के करीबी परिंदु भगत से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई. चिराग चाहते हैं कि अगर मंत्री बनाया जाना है, तो हमारे गुट से किसी को मंत्री बनाया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो वैसी स्थिति में उनके लिए महागठबंधन का विकल्प खुला है.
चिराग को आरजेडी का ऑफर
जब से एलजेपी में टूट हुई है, तब से विपक्ष लगातार चिराग को महागठबंधन में आने का ऑफर दे रहा है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी कह चुके हैं कि उन्हें हमारे साथ आने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद के मुताबिक चिराग बड़े दलित नेता हैं और एनडीए (NDA) में उन्हें अपमानित किया जा रहा है. रामविलास पासवान हमारे पुराने सहयोगी रहे हैं और हम चिराग पासवान का भी महागठबंधन में स्वागत करते हैं.
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चिराग समेत तमाम लोगों की नजर इस पूरे प्रकरण को लेकर बीजेपी पर है, लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी खुद दोराहे पर खड़ी है. उसके लिए नीतीश कुमार जहां मजबूरी हैं, वहीं चिराग पासवान 'भविष्य की जरूरत' हैं. प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि एलजेपी केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. जो कुछ अभी चल रहा है, वह उनका आंतरिक और पारिवारिक मामला है. उनके मुताबिक विवाद सुलझने के बाद मंत्रिमंडल में एलजेपी कोटे से किसी को जगह दी जा सकती है.
6 फीसदी वोट का खेल
वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी की मानें तो बीजेपी किसी भी सूरत में एलजेपी के 6 फीसदी वोट को अपने पाले से जाने नहीं देना चाहेगी. वे कहते है कि चिराग पासवान का वोट हर चुनाव में 5 से 6 प्रतिशत के बीच रहा है. चिराग जिस भी खेमे में जाएंगे, यह वोट बैंक उसमें शिफ्ट हो सकता है. ऐसे में अगर चिराग एनडीए छोड़ते हैं तो जाहिर है महागठबंधन का पलड़ा भारी हो सकता है. वैसे भी पिछले चुनाव में 1-2 प्रतिशत वोट के अंतर में ही सारा खेल हो गया था.
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बीच का रास्ता आसान नहीं
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि चिराग पासवान चाहते हैं कि बीजेपी उन्हें तवज्जो दे और बीजेपी भी दलित वोट बैंक में सेंधमारी नहीं चाहती है. पार्टी नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच कोई रास्ता निकालने की कोशिश तो कर रही है, लेकिन हल भविष्य के गर्भ में है.
बीजेपी के लिए धर्म संकट!
जाहिर है नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच की लड़ाई ने बीजेपी के सामने 'धर्म संकट' की स्थिति पैदा कर दी है. ऐसे में अब देखना अहम होगा कि क्या बीजेपी पशुपति पारस को मंत्रिमंडल में शामिल कर चिराग पासवान की नाराजगी का जोखिम उठा सकती है. नजर इस बात पर भी होगी कि गुजरात में चिराग ने पीएम मोदी के जिन करीबी से मुलाकात की है, उसका परिणाम क्या निकलता है.