जोधपुर. 1998 अक्टूबर में जोधपुर के नजदीक कांकाणी गांव की सरहद पर काले हिरणों के शिकार की घटना ने इस क्षेत्र को चर्चा में ला दिया था. उस घटना के चश्मदीद गवाह वहां के निवासी छोगाराम बुडिया थे, जिनकी अहम गवाही से ही सलमान खान को सजा हुई थी. बुधवार को उन्हीं छोगाराम बुडिया का आकस्मिक निधन हो गया. उस शिकार की घटना को लेकर छोगाराम लगातार मुखर रहे. समाज हित में न्यायालय आते रहे. आज बिश्नोई समाज उनको श्रद्धांजलि दे रहा है.
अभिनेत्रियों को नहीं पहचान पाए थे : काला हिरण शिकार मामले में छोगाराम अहम गवाह थे. कोर्ट में सलमान को उन्होंने पहचाना था और बताया था कि बंदूक उसने ही चलाई थी. करीब दो दशक तक यह मामला चला था. एक बार जब कोर्ट ने घटना के दिन गाड़ी में बैठी महिलाओं की पहचान के लिए नीलम, तब्बू और सोनाली बेंद्रे को बुलाया, इस दिन तीनों एक जैसे कपड़े पहन कर आईं. घटना रात की थी, इसलिए छोगाराम तीनों के नाम और चेहरे याद नहीं रख पाए और कोर्ट में कहा था कि गाड़ी में 7 लोग थे, जिसमें तीन लड़कियां थीं. एक लड़की लंबी थी, लेकिन कोर्ट ने सैफ अली खान, नीलम, तब्बू और सोनाली बेंद्रे सहित अन्य को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था. हालांकि, सरकार द्वारा इस निर्णय के विरुद्ध अपील की गई जो अभी चल रही है.
दो हिरणों का हुआ था शिकार : जोधपुर में सितंबर 1998 के अंतिम दिनों में फिल्म हम साथ साथ हैं की शूटिंग चल रही थी. इस दौरान ही 1-2 अक्टूबर 1998 की मध्यरात्रि कांकाणी गांव की सरहद पर शिकार की घटनाएं हुई, जिसे लोगों ने देखा और उस जिप्सी का पीछा किया, जिसमें सलमान खान सहित अन्य आरोपी सवार थे. सलमान खान को इस मामले में 20 साल बाद 5 अप्रैल 2018 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जोधपुर जिला के पीठासीन अधिकारी देवकुमार खत्री ने सलमान खान को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई थी.
इसके साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. वहीं, इस मामले में सह आरोपी अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री नीलम, सोनाली और तब्बू को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था. सजा सुनाने के बाद सलमान खान को हिरासत में ले लिया गया था. उसके बाद वह 7 अप्रैल तक जेल में रहे. 7 अप्रैल को जिला एवं सत्र न्यायालय ने सलमान खान के खिलाफ सुनाई गई निचली अदालत की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें सशर्त जमानत दे दी थी. फिलहाल, सलमान से जुड़े प्रकरण हाईकोर्ट में चल रहे है.