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Chinese Defence Minister : चीनी रक्षा मंत्री जनरल ने राजनाथ से कहा, भारत-चीन सीमा पर स्थिति 'आम तौर पर स्थिर' - Chinese Defense Minister Li Shangfu

रक्षा मंत्रालय के अनुसार चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू के साथ बातचीत के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात को दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन से द्विपक्षीय संबंधों की संपूर्ण बुनियाद को नुकसान पहुंचा है. बताया गया कि रक्षा मंत्री सिंह ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर अमन-चैन की स्थिति पर आधारित है.

Chinese Defense Minister
चीनी रक्षा मंत्री जनरल ली के साथ बात करते राजनाथ सिंह
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Published : Apr 28, 2023, 2:25 PM IST

बीजिंग : चीन के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन की सीमा पर स्थिति 'आमतौर पर स्थिर' है तथा दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों में सीमा संबंधी मुद्दे को 'उचित स्थान पर' रखना चाहिए तथा सीमा स्थिति के सामान्य प्रबंधन के रूप में बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहिए. इससे पहले भारत ने चीन से स्पष्ट रूप से कहा कि उसके द्वारा सीमा समझौते के उल्लंघन से द्विपक्षीय संबंधों की संपूर्ण बुनियाद को नुकसान पहुंचा है. चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू भारत की मेजबानी में वहां आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली गए हैं.

उन्होंने गुरुवार को भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ 45 मिनट तक बैठक की और इस दौरान दोनों मंत्रियों ने मई 2020 से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में बने गतिरोध पर चर्चा की. बैठक में सिंह ने ली से कहा कि मौजूदा सीमा समझौतों का चीन द्वारा उल्लंघन करने से दोनों देशों के बीच संबंधों की संपूर्ण बुनियाद को नुकसान पहुंचा है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सभी मुद्दों का समाधान मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप निकाला जाना चाहिए. चीनी रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में बताया कि बैठक में दोनों पक्षों ने सैन्य एवं द्विपक्षीय संबंधों पर विचार साझा किए.

पढ़ें : SCO Defence Ministers' Meeting: एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ बोले- सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करेंगे

जनरल ली ने कहा कि चीन-भारत सीमा पर इस समय स्थिति आम तौर पर सामान्य है और दोनों पक्षों ने सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से संवाद बरकरार रखा है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, द्विपक्षीय संबंधों में सीमा मुद्दे को उचित स्थान पर रखना चाहिए और सीमा स्थिति के सामान्य प्रबंधन के रूप में बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहिए. ली ने सिंह से कहा कि ऐसी उम्मीद की जाती है कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को लगातार मजबूत करने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में उचित योगदान देने के लिए मिलकर काम करेंगे.

उन्होंने कहा कि प्रमुख पड़ोसी देशों और महत्वपूर्ण विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत के बीच मतभेदों की तुलना में साझा हित कहीं अधिक हैं. ली ने कहा कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों और एक-दूसरे के विकास को एक समग्र, दीर्घकालिक और सामरिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए और वैश्विक एवं क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता के लिए अपनी समझ और ताकत का संयुक्त रूप से योगदान देना चाहिए. भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह ने ली से कहा कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के बाद तनाव कम करने की दिशा में काम होना चाहिए.

पढ़ें : SCO Defence Meeting: राजनाथ सिंह ने ईरानी समकक्ष से की वार्ता, अफगानिस्तान में शांति बहाली पर जोर

सिंह ने सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के घटनाक्रम और द्विपक्षीय संबंधों के बारे में खुलकर बातचीत की. उसने कहा कि रक्षा मंत्री सिंह ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर अमन-चैन की स्थिति पर आधारित है. मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने कहा कि एलएसी पर सभी मुद्दों का समाधान मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुरूप करने की जरूरत है.

सूत्रों के मुताबिक, सिंह ने चीनी मंत्री से कहा कि भारत चीन के साथ संबंधों में सुधार चाहता है लेकिन यह सीमा पर अमन और चैन बहाल होने के बाद ही संभव है. रक्षा मंत्री सिंह ने बैठक में यह भी साफ तौर पर कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग तभी आगे बढ़ सकता है जब सीमा पर शांति स्थापित हो. सिंह ने ट्वीट किया कि चीन के रक्षा मंत्री, जनरल ली शांगफू से नयी दिल्ली में बातचीत की. दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता से कुछ दिन पहले भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा विवाद को खत्म करने के उद्देश्य से 18वें दौर की सैन्य वार्ता की थी.

पढ़ें : चीन को उसी की भाषा में जवाब देगी भारतीय सेना, तेजपुर यूनिवर्सिटी में दिया जाएगा 'चीनी भाषा' का प्रशिक्षण

गत 23 अप्रैल को हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में दोनों पक्ष संपर्क बनाये रखने और पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों पर जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए थे. हालांकि, विवाद खत्म करने के लिए आगे बढ़ने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला था. गोवा में एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीनी विदेश मंत्री छिन कांग भी अगले सप्ताह भारत आने वाले हैं. बैठक चार और पांच मई को होनी है.

पढ़ें : पहचान अक्षुण्ण रखने के लिए सांस्कृतिक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण, जितने सुरक्षा के अन्य पहलू: राजनाथ

(पीटीआई-भाषा)

बीजिंग : चीन के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन की सीमा पर स्थिति 'आमतौर पर स्थिर' है तथा दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों में सीमा संबंधी मुद्दे को 'उचित स्थान पर' रखना चाहिए तथा सीमा स्थिति के सामान्य प्रबंधन के रूप में बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहिए. इससे पहले भारत ने चीन से स्पष्ट रूप से कहा कि उसके द्वारा सीमा समझौते के उल्लंघन से द्विपक्षीय संबंधों की संपूर्ण बुनियाद को नुकसान पहुंचा है. चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू भारत की मेजबानी में वहां आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली गए हैं.

उन्होंने गुरुवार को भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ 45 मिनट तक बैठक की और इस दौरान दोनों मंत्रियों ने मई 2020 से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में बने गतिरोध पर चर्चा की. बैठक में सिंह ने ली से कहा कि मौजूदा सीमा समझौतों का चीन द्वारा उल्लंघन करने से दोनों देशों के बीच संबंधों की संपूर्ण बुनियाद को नुकसान पहुंचा है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सभी मुद्दों का समाधान मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप निकाला जाना चाहिए. चीनी रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में बताया कि बैठक में दोनों पक्षों ने सैन्य एवं द्विपक्षीय संबंधों पर विचार साझा किए.

पढ़ें : SCO Defence Ministers' Meeting: एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ बोले- सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करेंगे

जनरल ली ने कहा कि चीन-भारत सीमा पर इस समय स्थिति आम तौर पर सामान्य है और दोनों पक्षों ने सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से संवाद बरकरार रखा है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, द्विपक्षीय संबंधों में सीमा मुद्दे को उचित स्थान पर रखना चाहिए और सीमा स्थिति के सामान्य प्रबंधन के रूप में बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहिए. ली ने सिंह से कहा कि ऐसी उम्मीद की जाती है कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को लगातार मजबूत करने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में उचित योगदान देने के लिए मिलकर काम करेंगे.

उन्होंने कहा कि प्रमुख पड़ोसी देशों और महत्वपूर्ण विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत के बीच मतभेदों की तुलना में साझा हित कहीं अधिक हैं. ली ने कहा कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों और एक-दूसरे के विकास को एक समग्र, दीर्घकालिक और सामरिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए और वैश्विक एवं क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता के लिए अपनी समझ और ताकत का संयुक्त रूप से योगदान देना चाहिए. भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह ने ली से कहा कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के बाद तनाव कम करने की दिशा में काम होना चाहिए.

पढ़ें : SCO Defence Meeting: राजनाथ सिंह ने ईरानी समकक्ष से की वार्ता, अफगानिस्तान में शांति बहाली पर जोर

सिंह ने सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के घटनाक्रम और द्विपक्षीय संबंधों के बारे में खुलकर बातचीत की. उसने कहा कि रक्षा मंत्री सिंह ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर अमन-चैन की स्थिति पर आधारित है. मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने कहा कि एलएसी पर सभी मुद्दों का समाधान मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुरूप करने की जरूरत है.

सूत्रों के मुताबिक, सिंह ने चीनी मंत्री से कहा कि भारत चीन के साथ संबंधों में सुधार चाहता है लेकिन यह सीमा पर अमन और चैन बहाल होने के बाद ही संभव है. रक्षा मंत्री सिंह ने बैठक में यह भी साफ तौर पर कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग तभी आगे बढ़ सकता है जब सीमा पर शांति स्थापित हो. सिंह ने ट्वीट किया कि चीन के रक्षा मंत्री, जनरल ली शांगफू से नयी दिल्ली में बातचीत की. दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता से कुछ दिन पहले भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा विवाद को खत्म करने के उद्देश्य से 18वें दौर की सैन्य वार्ता की थी.

पढ़ें : चीन को उसी की भाषा में जवाब देगी भारतीय सेना, तेजपुर यूनिवर्सिटी में दिया जाएगा 'चीनी भाषा' का प्रशिक्षण

गत 23 अप्रैल को हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में दोनों पक्ष संपर्क बनाये रखने और पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों पर जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए थे. हालांकि, विवाद खत्म करने के लिए आगे बढ़ने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला था. गोवा में एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीनी विदेश मंत्री छिन कांग भी अगले सप्ताह भारत आने वाले हैं. बैठक चार और पांच मई को होनी है.

पढ़ें : पहचान अक्षुण्ण रखने के लिए सांस्कृतिक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण, जितने सुरक्षा के अन्य पहलू: राजनाथ

(पीटीआई-भाषा)

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