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पांच वर्षों से बंद ऑक्सीजन प्लांट फिर से हुआ शुरू, कोरोना मरीजों को मिलेगा लाभ

जम्मू-कश्मीर के रंगरेथ स्थित एनडी गैस के बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को ठीक कर दिया गया है. इससे घाटी के कोरोना मरीजों के इलाज में काफी सुविधा होगी. इस प्लांट की प्रतिदिन 700 ऑक्सीजन सिलेंडर भरने की है.

ऑक्सीजन प्लांट
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Published : May 20, 2021, 6:12 PM IST

श्रीनगर : कोरोना की दूसरी लहर के साथ ऑक्सीजन की मांग बढ़ने पर देश भर में ऑक्सीजन प्लांट लगाने व पहले से बंद प्लांटों को ठीक कराने का काम किया जा रहा है. इसीक्रम में रंगरेथ स्थित एनडी गैस के बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को चार दिन की मशक्कत के बाद ठीक कर दिया गया है. इससे कोरोना मरीजों के इलाज में सुविधा होगी.

हालांकि प्लांट पांच साल से बंद था. वहीं प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 700 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरने की है. वर्तमान हालात में घाटी में ऑक्सीजन का उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए इस संयंत्र को चलाना बेहद अहम था. इस सिलसिले में सामान्य प्रशासन के अनुरोध पर चिनार कोर ने मुंबई से आवश्यक स्पेयर पार्ट्स मंगाए थे. इसे भारतीय वायु सेना के विमान से महज दो दिनों के अंदर पुर्जों को प्लांट पहुंचा दिया गया.

पढ़ें - अब नहीं होगी Oxygen की कमी, ये खास मशीन बचाएगी जान

इसके बाद कोर जोन वर्कशॉप, रंगरेथ के टेक्नीशियनों की टीम ने सिविल टेक्नीशियनों के साथ मिलकर प्लांट को चार दिन के भीतर चलने लायक बना दिया.चूंकि संयंत्र पांच वर्षों से बंद पड़ा था, इस वजह से हैवी ड्यूटी एयर कंप्रेसर, चिलर और यहां तक ​​​​कि कॉलमर एयर सेपरेटर जैसे सभी उप-प्रणालियों में इसकी कई तरह की समस्याएं थीं, जिनको ठीक किया जाना संयंत्र के बेहद जरूरी था.

एक बार जब सभी उप प्रणालियों को ठीक कर लिया गया, तो टेक्नीशियनों द्वारा नए ऑक्सीजन फिलिंग मैनिफोल्ड को फिट किया गया. इसके बाद प्लांट का परीक्षण किए जाने पर वह संतोषजनक ढंग से काम करने के लिए उपयुक्त पाया गया है.

श्रीनगर : कोरोना की दूसरी लहर के साथ ऑक्सीजन की मांग बढ़ने पर देश भर में ऑक्सीजन प्लांट लगाने व पहले से बंद प्लांटों को ठीक कराने का काम किया जा रहा है. इसीक्रम में रंगरेथ स्थित एनडी गैस के बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को चार दिन की मशक्कत के बाद ठीक कर दिया गया है. इससे कोरोना मरीजों के इलाज में सुविधा होगी.

हालांकि प्लांट पांच साल से बंद था. वहीं प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 700 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरने की है. वर्तमान हालात में घाटी में ऑक्सीजन का उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए इस संयंत्र को चलाना बेहद अहम था. इस सिलसिले में सामान्य प्रशासन के अनुरोध पर चिनार कोर ने मुंबई से आवश्यक स्पेयर पार्ट्स मंगाए थे. इसे भारतीय वायु सेना के विमान से महज दो दिनों के अंदर पुर्जों को प्लांट पहुंचा दिया गया.

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इसके बाद कोर जोन वर्कशॉप, रंगरेथ के टेक्नीशियनों की टीम ने सिविल टेक्नीशियनों के साथ मिलकर प्लांट को चार दिन के भीतर चलने लायक बना दिया.चूंकि संयंत्र पांच वर्षों से बंद पड़ा था, इस वजह से हैवी ड्यूटी एयर कंप्रेसर, चिलर और यहां तक ​​​​कि कॉलमर एयर सेपरेटर जैसे सभी उप-प्रणालियों में इसकी कई तरह की समस्याएं थीं, जिनको ठीक किया जाना संयंत्र के बेहद जरूरी था.

एक बार जब सभी उप प्रणालियों को ठीक कर लिया गया, तो टेक्नीशियनों द्वारा नए ऑक्सीजन फिलिंग मैनिफोल्ड को फिट किया गया. इसके बाद प्लांट का परीक्षण किए जाने पर वह संतोषजनक ढंग से काम करने के लिए उपयुक्त पाया गया है.

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