मुंबई: चीन ने भारत की आजादी के पूर्व के रिश्तों को भुनाने के लिए चीन में चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान देने वाले भारतीय चिकित्सक को सम्मान देने की घोषणा की है. मुंबई में चीन के महावाणिज्यदूत ने कहा कि 1938 में दूसरे चीन-जापान युद्ध के दौरान चीन गए और युद्ध क्षेत्र में चिकित्सा सहायता प्रदान करने वाले महान भारतीय चिकित्सक को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया गया. श्रद्धांजलि के रूप में महाराष्ट्र में डॉ. द्वारकानाथ शांताराम कोटनिस के गृह जिले सोलापुर में उनकी स्मृति में डॉ कोटनिस फ्रेंडशिप स्कूल की स्थापना की जाएगी.
नौ चीनी कंपनियां करेंगी काम: यह घोषणा मुंबई में चीनी महावाणिज्यदूत कोंग जियानहुआ द्वारा की गई, जिन्होंने यह भी कहा कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच अच्छे संबंधों को लोगों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है. हम सोलापुर नगर निगम के साथ डॉ कोटनिस फ्रेंडशिप स्कूल की स्थापना के लिए काम करेंगे. डॉ कोटनिस की 80वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए 12 दिसंबर को दिए गए अपने मुख्य भाषण में कोंग ने कहा कि नौ चीनी कंपनियों ने परियोजना का सपोर्ट करने का इरादा व्यक्त किया है. सोलापुर मुंबई से लगभग 400 किलोमीटर दूर स्थित है.
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भारतीय डॉक्टरों टीम ने बचाए थे 800 घायल सैनिक चीन: उन्होंने कहा कि डॉ. कोटनिस का व्यवहार हमें इस बात से अवगत कराता है कि चीन-भारत के अच्छे संबंध को लोगों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है और अंत में लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए. 1938 में, डॉ. कोटनिस दूसरे चीन-जापान युद्ध के दौरान चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए भारतीय डॉक्टरों की पांच सदस्यीय टीम के हिस्से के रूप में चीन गए. चिकित्सक ने सीमा पर काम किया और लगभग 800 घायल सैनिकों को बचाया. बाद में उन्होंने एक चीनी नर्स से शादी की और 1942 में उनका एक बेटा हुआ. 1942 में 32 वर्ष की आयु में डॉ कोटनिस का निधन हो गया था.
डॉ कोटनिस की कहानी पर बनी है फिल्म: इस साल 30 अगस्त को सोलापुर में डॉ कोटनिस मेमोरियल हॉल में कम्युनिस्ट नेता माओत्से तुंग द्वारा चीनी लोगों को प्रदान की गई सेवाओं के लिए डॉ कोटनिस के लिए दशकों पहले लिखा गया एक संदेश पट्टिका के रूप में स्थापित किया गया था. चिकित्सक का जीवन, जिसे भारत-चीन मित्रता का एक शानदार उदाहरण माना जाता है. इस पर डॉ कोटनिस की अमर कहानी नामक एक हिंदी फिल्म भी बनी थी.
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