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चीन ने लद्दाख के सामने तैनात किए 60,000 सैनिक, करारा जवाब देने के लिए भारत भी तैयार

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Published : Jan 3, 2022, 10:49 PM IST

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के आसपास भले ही शांति बनी है, मगर चीन ने इसके आसपास 60 हजार सैनिकों को तैनात कर रखा है. भारतीय सेना ने हालात को देखते हुए इस इलाके में चुनौती से निपटने के लिए पर्याप्त तैयारी की है.

Indian army in ladakh
Indian army in ladakh

नई दिल्ली : करीब 20 महीने से गतिरोध के बीच चीन ने लद्दाख में भारतीय सीमा के सामने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर करीब 60,000 सैनिकों को तैनात कर रखा है. अपनी आर्मी पीएलए की मदद के लिए वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के आसपास बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है. बता दें कि गर्मी के मौसम में एलएसी पर चीनी सैनिकों की तादाद काफी बढ़ गई थी, बाद में वे सभी वापस पीछे चले गए थे. मगर माना जा रहा है कि अभी भी लद्दाख के सामने चीनी इलाके में 60 हजार से अधिक चीनी सैनिक तैनात हैं.

सूत्रों का कहना है कि एलएसी पर चीन के सैनिकों के जमावड़ा खतरनाक इसलिए है कि वह इसके आसपास बुनियादी ढ़ांचे का निर्माण कर रहा है. लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र के सामने और पैंगोंग झील क्षेत्र के पास चीनी सेना नई सड़कें बना रही है. हालांकि किसी भी संभावित हमले को देखते हुए भारतीय सेना ने भी कारगर कदम उठाए हैं. भारतीय सेना ने आतंकवाद निरोधी राष्ट्रीय राइफल्स को लद्दाख में तैनात किया है. भारत की ओर से भी बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी है. किसी भी संघर्ष से निपटने के लिए भारतीय सेना दर्रों को खुला रख रही है ताकि जरूरत पड़ने पर सैनिकों को वहां लाया जा सके.

सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सिर्फ एक या दो लोकेशन मुफीद है. इसके बाद दोनों सेनाएं बफर जोन के कारण अलग हो जाती हैं. दोनों पक्ष एक-दूसरे के सैनिकों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए बफर जोन में बड़ी संख्या में निगरानी ड्रोन भी तैनात कर रहे हैं. अभी तक यह पता चला है कि चीनी सैनिक इस बर्फीले इलाके में बीमार हो रहे हैं, इस कारण चीनी सेना एलएसी के इलाके में सर्दी के कारण अपने सैनिकों को लगातार बदल रही है.

बता दें कि पिछले अप्रैल-मई में चीनी सेना एलएसी पर भारतीय सेना से भिड़ गई थी. भारतीय सेना ने भी इस हमले का माकूल जवाब दिया था. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रही है. जिन क्षेत्रों में विवाद है, वहां पीएलए की संख्या के हिसाब से फौज की तैनाती की जा रही है. इसके अलावा भारत नॉर्दर्न इलाके में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है. इसके अंतर्गत सड़कें, सभी मौसम में संपर्क के लिए सुरंगें, चार रणनीतिक रेलवे लाइनें, ब्रह्मपुत्र पर अतिरिक्त पुल बनाए जा रहे हैं.

पढ़ें : China Pangong Lake Bridge : 'ड्रैगन' ने शुरू किया पुल का निर्माण, सैनिकों को मिलेगी बड़ी मदद

नई दिल्ली : करीब 20 महीने से गतिरोध के बीच चीन ने लद्दाख में भारतीय सीमा के सामने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर करीब 60,000 सैनिकों को तैनात कर रखा है. अपनी आर्मी पीएलए की मदद के लिए वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के आसपास बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है. बता दें कि गर्मी के मौसम में एलएसी पर चीनी सैनिकों की तादाद काफी बढ़ गई थी, बाद में वे सभी वापस पीछे चले गए थे. मगर माना जा रहा है कि अभी भी लद्दाख के सामने चीनी इलाके में 60 हजार से अधिक चीनी सैनिक तैनात हैं.

सूत्रों का कहना है कि एलएसी पर चीन के सैनिकों के जमावड़ा खतरनाक इसलिए है कि वह इसके आसपास बुनियादी ढ़ांचे का निर्माण कर रहा है. लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र के सामने और पैंगोंग झील क्षेत्र के पास चीनी सेना नई सड़कें बना रही है. हालांकि किसी भी संभावित हमले को देखते हुए भारतीय सेना ने भी कारगर कदम उठाए हैं. भारतीय सेना ने आतंकवाद निरोधी राष्ट्रीय राइफल्स को लद्दाख में तैनात किया है. भारत की ओर से भी बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी है. किसी भी संघर्ष से निपटने के लिए भारतीय सेना दर्रों को खुला रख रही है ताकि जरूरत पड़ने पर सैनिकों को वहां लाया जा सके.

सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सिर्फ एक या दो लोकेशन मुफीद है. इसके बाद दोनों सेनाएं बफर जोन के कारण अलग हो जाती हैं. दोनों पक्ष एक-दूसरे के सैनिकों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए बफर जोन में बड़ी संख्या में निगरानी ड्रोन भी तैनात कर रहे हैं. अभी तक यह पता चला है कि चीनी सैनिक इस बर्फीले इलाके में बीमार हो रहे हैं, इस कारण चीनी सेना एलएसी के इलाके में सर्दी के कारण अपने सैनिकों को लगातार बदल रही है.

बता दें कि पिछले अप्रैल-मई में चीनी सेना एलएसी पर भारतीय सेना से भिड़ गई थी. भारतीय सेना ने भी इस हमले का माकूल जवाब दिया था. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रही है. जिन क्षेत्रों में विवाद है, वहां पीएलए की संख्या के हिसाब से फौज की तैनाती की जा रही है. इसके अलावा भारत नॉर्दर्न इलाके में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है. इसके अंतर्गत सड़कें, सभी मौसम में संपर्क के लिए सुरंगें, चार रणनीतिक रेलवे लाइनें, ब्रह्मपुत्र पर अतिरिक्त पुल बनाए जा रहे हैं.

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