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जम्मू-कश्मीर में चीन के ये ड्रोन बने नए आतंकी हथियार

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Published : Nov 29, 2020, 10:05 PM IST

सर्दी के मौसम में पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोन सुरक्षा को लेकर नई चुनौती बन सकते हैं. क्योंकि, आसानी से उपलब्ध और सस्ते ड्रोन के लिए भारी बर्फबारी कोई बाधा नहीं है, जो सीमा पार से हथियारों और ड्रग लेकर आते हैं. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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चीन निर्मित ड्रोन

नई दिल्ली : चीन के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान की तरफ से आने वाले 'मेड-इन-चाइना' ड्रोन नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर भारतीय सुरक्षा बलों और सेना के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहे हैं.

आमतौर पर जम्मू-कश्मीर के साथ सीमावर्ती इलाकों में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी सर्दी की शुरुआत के साथ ही रुक जाती है, क्योंकि भारी बर्फबारी के साथ कई इलाकों में 40-50 फीट तक बर्फ जम जाती है.

अब कश्मीर में हथियार सप्लाई वाले अभियानों के लिए बर्फ कोई बाधा नहीं है, क्योंकि ड्रोन से हथियार भेजे जा सकते हैं. इससे हथियारों की उपलब्धता बढ़ी है और नशीली दवाओं की खेप भी पहुंच रही है, जिनका उपयोग उग्रवादी आंदोलन को फंड देने के लिए किया जाता है.

आतंकवाद रोधी अभियान के बाद कश्मीर में आतंकवादियों के पास हथियार, गोला-बारूद और अन्य युद्धक सामग्री के लिए धन की कमी हो रही है.

हथियारों के परिवहन, ड्रग्स की तस्करी और रसद के साथ सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद करने के लिए ड्रोन के उपयोग में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है.

ये 'हेक्साकॉप्टर' ड्रोन खुले बाजार में स्वतंत्र रूप से पाए जाते हैं और इन्हें कोई भी खरीद सकता है.

इनमें से प्रत्येक ड्रोन एकल हथियार छोड़ने वाले ऑपरेशन में कई बंदूकें या कई किलो ड्रग्स ले जा सकते हैं. इसके अलावा भारतीय सैनिकों की तैनाती या उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरों के माध्यम से सीमा सुरक्षा ग्रिड का पता लगाने में मदद करते हैं, जो भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे एक आतंकवादी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी है.

संकेत है कि इससे संभवतः युद्ध जैसी सामग्री और ड्रग्स का बड़ा समावेश हो गया है. इसका अंदाजा इस साल एलओसी और आईबी पर जब्त हथियारों से लगाया जा सकता है.

एक आधिकारिक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले साल जहां एलओसी / आईबी के पास हथियार जब्त किए जाने की अलग-अलग घटनाएं हुई थीं, वहीं इस साल 18 नवंबर तक दो चीन में निर्मित राइफलें, तीन एम14 / एम16 राइफलें, 46एके सीरीज और 58 पिस्तौल सुरक्षा बलों ने जब्त किए हैं.

सूत्रों ने कहा कि ये हथियार आतंकवादियों के पास से बरामद किए गए हथियारों के अलावा हैं, जिन्हें घुसपैठ की कोशिश के दौरान ढेर कर दिया गया था.

पढ़ें- सीमा पार से आया ड्रोन, बीएसएफ ने की फायरिंग तो वापस लौटा पाकिस्तान

उन्होंने कहा कि इस साल एलओसी पर घुसपैठ की आठ कोशिशों को नाकाम किया गया है और 14 आतंकवादी मारे गए हैं. जाहिर है कि आतंकवादी पाकिस्तान के प्रशिक्षण शिविरों में पलते हैं. हालांकि, भारत द्वारा बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने गुप्त रूप से इन आतंकी शिविरों का स्थान सुरक्षित कर लिया है.

सूत्र ने आगे कहा कि इस साल 80 किलोग्राम ड्रग्स आईबी और 10 किलो एलओसी पर बरामद किया गया है.

ड्रग्स में मुख्य रूप से ब्राउन शुगर और हेरोइन शामिल हैं, जो पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान से लाए गए हैं, जहां दुनिया की 84 प्रतिशत अफीम का उत्पादन होता है.

अंतरराष्ट्रीय सीमा जम्मू में लगभग 190 किमी लंबी है, जबकि एलओसी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लगभग 860 किलोमीटर लंबी है.

नई दिल्ली : चीन के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान की तरफ से आने वाले 'मेड-इन-चाइना' ड्रोन नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर भारतीय सुरक्षा बलों और सेना के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहे हैं.

आमतौर पर जम्मू-कश्मीर के साथ सीमावर्ती इलाकों में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी सर्दी की शुरुआत के साथ ही रुक जाती है, क्योंकि भारी बर्फबारी के साथ कई इलाकों में 40-50 फीट तक बर्फ जम जाती है.

अब कश्मीर में हथियार सप्लाई वाले अभियानों के लिए बर्फ कोई बाधा नहीं है, क्योंकि ड्रोन से हथियार भेजे जा सकते हैं. इससे हथियारों की उपलब्धता बढ़ी है और नशीली दवाओं की खेप भी पहुंच रही है, जिनका उपयोग उग्रवादी आंदोलन को फंड देने के लिए किया जाता है.

आतंकवाद रोधी अभियान के बाद कश्मीर में आतंकवादियों के पास हथियार, गोला-बारूद और अन्य युद्धक सामग्री के लिए धन की कमी हो रही है.

हथियारों के परिवहन, ड्रग्स की तस्करी और रसद के साथ सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद करने के लिए ड्रोन के उपयोग में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है.

ये 'हेक्साकॉप्टर' ड्रोन खुले बाजार में स्वतंत्र रूप से पाए जाते हैं और इन्हें कोई भी खरीद सकता है.

इनमें से प्रत्येक ड्रोन एकल हथियार छोड़ने वाले ऑपरेशन में कई बंदूकें या कई किलो ड्रग्स ले जा सकते हैं. इसके अलावा भारतीय सैनिकों की तैनाती या उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरों के माध्यम से सीमा सुरक्षा ग्रिड का पता लगाने में मदद करते हैं, जो भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे एक आतंकवादी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी है.

संकेत है कि इससे संभवतः युद्ध जैसी सामग्री और ड्रग्स का बड़ा समावेश हो गया है. इसका अंदाजा इस साल एलओसी और आईबी पर जब्त हथियारों से लगाया जा सकता है.

एक आधिकारिक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले साल जहां एलओसी / आईबी के पास हथियार जब्त किए जाने की अलग-अलग घटनाएं हुई थीं, वहीं इस साल 18 नवंबर तक दो चीन में निर्मित राइफलें, तीन एम14 / एम16 राइफलें, 46एके सीरीज और 58 पिस्तौल सुरक्षा बलों ने जब्त किए हैं.

सूत्रों ने कहा कि ये हथियार आतंकवादियों के पास से बरामद किए गए हथियारों के अलावा हैं, जिन्हें घुसपैठ की कोशिश के दौरान ढेर कर दिया गया था.

पढ़ें- सीमा पार से आया ड्रोन, बीएसएफ ने की फायरिंग तो वापस लौटा पाकिस्तान

उन्होंने कहा कि इस साल एलओसी पर घुसपैठ की आठ कोशिशों को नाकाम किया गया है और 14 आतंकवादी मारे गए हैं. जाहिर है कि आतंकवादी पाकिस्तान के प्रशिक्षण शिविरों में पलते हैं. हालांकि, भारत द्वारा बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने गुप्त रूप से इन आतंकी शिविरों का स्थान सुरक्षित कर लिया है.

सूत्र ने आगे कहा कि इस साल 80 किलोग्राम ड्रग्स आईबी और 10 किलो एलओसी पर बरामद किया गया है.

ड्रग्स में मुख्य रूप से ब्राउन शुगर और हेरोइन शामिल हैं, जो पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान से लाए गए हैं, जहां दुनिया की 84 प्रतिशत अफीम का उत्पादन होता है.

अंतरराष्ट्रीय सीमा जम्मू में लगभग 190 किमी लंबी है, जबकि एलओसी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लगभग 860 किलोमीटर लंबी है.

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