नई दिल्ली: चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Chinese foreign minister Wang Yi) गुरुवार की सुबह काबुल पहुंचे. उनकी यह यात्रा अघोषित और अचानक (unannounced and sudden visit) थी. वह इस्लामाबाद की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने के ठीक बाद काबुल पहुंचे हैं. इससे पहले उन्होंने विशेष अतिथि के रूप में इस्लामाबाद इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation) (IOC) के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लिया. जो बुधवार को खत्म हो गया. अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) ने काबुल पहुंचने पर एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वांग का स्वागत किया. सरकारी समाचार एजेंसी ने कहा कि दोनों पक्ष अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास में चीन की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की. नई दिल्ली की अपनी यात्रा की पूर्व संध्या पर चीनी विदेश मंत्री और राज्य सलाहकार वांग यी की काबुल यात्रा इस बात को रेखांकित करती है कि चीन अफगानिस्तान के विशाल खनिज भंडार को कितना महत्व दे रहा है.
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अफगानिस्तान में आधुनिक खनन उद्योग से संबंधित बुनियादी ढांचे की कमी है. जबकि चीन आधुनिक अत्याधुनिक निष्कर्षण तकनीकों से अफगानिस्तान की मदद का दावा करता रहा है. चीनी मंत्री ने काबुल के स्टोर पैलेस में अपने अफगान समकक्ष अमीर खान मुत्ताकी और उप प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की. नेताओं ने खनन क्षेत्र में काम शुरू करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा की. गुरुवार को, अफगानिस्तान के पहले उप प्रधान मंत्री, मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Deputy Prime Minister Mullah Abdul Ghani Baradar) के कार्यालय ने कहा कि मंत्री वांग ने बरादर के साथ अपनी बैठक में खनन और आर्थिक परियोजनाओं में निवेश करने और मेस अयनक तांबे की खदान में काम फिर से शुरू करने के लिए चीन ने तत्परता व्यक्त की है. विदेश मंत्री वांग ने इससे पहले जून 2017 में काबुल का दौरा किया था. उस समय एक ट्रक में भारी बम धमाका हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. तब उनकी यात्रा को मई 2017 में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हुई दोतरफा गोलीबारी के बाद बढ़े तनाव को कम करने की कोशिश के रूप में देखा गया था.
लोगार प्रांत में काबुल से लगभग 30 किमी दूर स्थित मेस अयनाक तांबे की खदान अफगानिस्तान की सबसे बड़ी खदान है. अनुमान है कि खदान में 11 मिलियन टन से अधिक तांबा है. जिसकी कीमत 100 बिलियन डॉलर से भी अधिक है. चीन की प्रमुख खनन कंपनी मेटलर्जिकल कॉर्प ऑफ चाइना (एमसीसी) और जियांग्शी कॉपर ने 2008 में मेस अयनाक तांबे की खदान के लिए 30 साल की लीज पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन अफगानिस्तान में अस्थिरता और गृहयुद्ध जैसी स्थिति के कारण पर्याप्त संचालन नहीं कर सके.
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अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में वापस आने के साथ ही चीनी 2008 के समझौते के नियमों और शर्तों के आधार पर फिर से परियोजना पर काम शुरू करने के इच्छुक हैं. यह कोई रहस्य नहीं है कि चीन अफगानिस्तान के खदानों में बंद दुर्लभ खनीजों जैसे लिथियम और तांबे पर नजर गड़ाए हुए है. ऐसे समय में जब तालिबान की सरकार नकदी की कमी और प्रशासन चलाने के लिए जरूरी संसाधनों की कमी से जूझ रही है चीनी मदद उन्हें आकर्षित कर रही है. अफगानिस्तान अपनी जमीन के नीचे तांबा, लौह-अयस्क, सोना, कीमती पत्थरों, प्राकृतिक गैस और हाइड्रोकार्बन के लिए प्रसिद्ध है. चीनी सरकार के स्वामित्व वाले मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में पांच चीनी कंपनियों ने पहले ही प्रतिनिधियों और अधिकारियों को तैनात कर दिया है, जबकि 20 से अधिक अन्य चीनी सरकारी और निजी कंपनियों ने लिथियम के खनन में रुचि व्यक्त की है. बोलीविया के मुकाबले अफगानिस्तान में लिथियम भंडार $ 1 ट्रिलियन से अधिक होने का अनुमान है.
इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरी बनाने में अपरिहार्य लिथियम का उपयोग लैपटॉप और सेल फोन की बैटरी बनाने के साथ-साथ ग्लास और सिरेमिक उद्योग में भी किया जाता है. ईवी क्रांति के कगार पर खड़ी कई अर्थव्यवस्थाओं में भारी मांग के कारण लिथियम का मूल्य दुनिया में कई गुना बढ़ गया है. एक ओर जहां चीन के पास लिथियम का महत्वपूर्ण भंडार नहीं है, वहीं आश्चर्यजनक रूप से चीन में दुनिया की अधिकांश लिथियम-प्रसंस्करण सुविधाएं हैं. जो दुनिया की लगभग दो-तिहाई लिथियम-आयन बैटरी का निर्माण करती है. गौरतलब है कि चीन ने अफगानिस्तान के लिए 50 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया है. जिसका निर्माण 2020 में शुरू हुआ था, जो वखवान कॉरिडोर को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है. यह सड़क 3,840 मीटर ऊंचाई पर बोजई गुंबज से शुरू होकर 4,923 मीटर ऊंचाई की वखजीर दर्रे से होकर गुजरती है. यह सड़क खनिजों के परिवहन के लिहाज से महत्वपूर्ण हो सकती है.