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श्रीलंका को IMF पैकेज पर पूर्व राजनयिक बोले- चीन ने कुछ नहीं किया, भारत ने अमेरिका और अन्य को मनाने में मदद का हाथ बढ़ाया

श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए आईएमएफ ने तीन अरब डॉलर मदद को मंजूरी दी है. इस राहत पैकेज को लेकर पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने कहा कि ये सिर्फ भारत की वजह से संभव हो सका. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

G Parthasarathy
जी पार्थसारथी
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Published : Mar 21, 2023, 6:28 PM IST

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने श्रीलंका को संकट से उबारने के लिए आखिरकार राहत पैकेज की मंजूरी दे दी है. मंगलवार को उसने घोषणा की कि आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड ने विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के तहत श्रीलंका को अनुदान देगा. यह कार्यक्रम श्रीलंका को आईएमएफ, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (आईएफआई) और बहुपक्षीय संगठनों से 7 अरब अमेरिकी डॉलर तक के वित्त पोषण तक पहुंचने की अनुमति देगा.

आईएमएफ ने ऋण के लिए श्रीलंका के अनुरोध पर विचार करने के लिए भारत को धन्यवाद भी दिया है. गौरतलब है कि नई दिल्ली आईएमएफ से वित्तीय पैकेज के रास्ते को खोलने के लिए श्रीलंका के ऋण के पुनर्गठन का आश्वासन देने में प्रभावशाली रहा है.

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व-राजनयिक जी पार्थसारथी (G Parthasarathy) ने ईटीवी भारत को बताया कि भारत ने अमेरिका और अन्य को मनाने में मदद की है और मदद का हाथ बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि 'जब मैं दो हफ्ते पहले श्रीलंका में था, यह स्पष्ट था कि वे आईएमएफ से मंजूरी की उम्मीद कर रहे थे.'

उन्होंने कहा कि चीन ने कुछ भी नहीं किया है, उसने सिर्फ टोकन मनी दिया है, जिसका अर्थ बहुत कम है. उन्होंने अपना कर्ज नहीं उतारा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन हंबनटोटा बंदरगाह की स्थिति में है. चीन ने एक बंदरगाह पर नियंत्रण कर लिया है लेकिन उसने बहुत कम दिया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या श्रीलंका का झुकाव चीन की ओर बढ़ रहा है, जो भू-राजनीतिक संदर्भ में भारत के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकता है. पार्थसारथी ने कहा कि 'भारत की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि कि अगर चीन श्रीलंका के साथ संबंध सुधारना चाहता है लेकिन अगर रक्षा सामग्री, डिफेंस कंटेंट की बात आती है जो भारत के लिए खतरा है तो हमें लगता है कि हमारे लिए चिंता का विषय है, इसे भारत मजबूती से उठाएगा.'

उन्होंने कहा कि 'तथ्य यह है कि जब भारत श्रीलंका में पैसा लगा रहा है, तब भी चीन का हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा है.' इस महीने की शुरुआत में श्रीलंका ने पेरिस क्लब के सदस्यों, भारत और चीन सहित अपने आधिकारिक लेनदारों से आईएमएफ से मदद का अनुरोध किया था. इस मदद से उसे अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व चुनौतियों से बाहर निकालने और सभी हितधारकों के बीच विश्वास पैदा करने की उम्मीद है.

राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने घोषणा का स्वागत करते हुए कहा,' श्रीलंका की स्वतंत्रता के 75 वर्षों में, हमारे आर्थिक भविष्य के लिए इससे अधिक महत्वपूर्ण अवधि कभी नहीं रही. हमारे आधिकारिक लेनदारों ने पिछले कुछ महीनों में निरंतर और सकारात्मक जुड़ाव के बाद अपने समर्थन की घोषणा की है, और हमें खुशी है कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने हमारे कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है, जिससे श्रीलंका को आईएमएफ और आईएफआई से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक की फंडिंग मिल सकेगी.'

विक्रमसिंघे ने कहा कि 'शुरुआत से ही, हम वित्तीय संस्थानों और अपने लेनदारों के साथ अपनी सभी चर्चाओं में पूर्ण पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध हैं. मैं आईएमएफ और हमारे अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के समर्थन के लिए आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि हम विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन और हमारे महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे के माध्यम से अर्थव्यवस्था को लंबी अवधि के लिए पटरी पर लाना चाहते हैं.'

उन्होंने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों में श्रीलंका की स्थिति और पहुंच में सुधार के लिए आईएमएफ कार्यक्रम भी अनिवार्य होगा, और यह प्रदर्शित करेगा कि श्रीलंका एक बार फिर प्रतिभा, निवेशकों और पर्यटकों के लिए आकर्षक देश है.

श्रीलंका 1 सितंबर 2022 को विस्तारित फंड सुविधा द्वारा समर्थित चार साल के कार्यक्रम पर आईएमएफ के साथ एक कर्मचारी-स्तर के समझौते पर पहुंचा. 3 बिलियन यूएस डॉलर की राशि वाले इस कार्यक्रम से कमजोर समूहों की रक्षा करते हुए व्यापक आर्थिक स्थिरता और ऋण स्थिरता को बहाल करने की उम्मीद है.

पढ़ें- श्रीलंका में संकट : दाने-दाने को मोहताज महिलाएं सेक्स-वर्कर बनने को मजबूर

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने श्रीलंका को संकट से उबारने के लिए आखिरकार राहत पैकेज की मंजूरी दे दी है. मंगलवार को उसने घोषणा की कि आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड ने विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के तहत श्रीलंका को अनुदान देगा. यह कार्यक्रम श्रीलंका को आईएमएफ, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (आईएफआई) और बहुपक्षीय संगठनों से 7 अरब अमेरिकी डॉलर तक के वित्त पोषण तक पहुंचने की अनुमति देगा.

आईएमएफ ने ऋण के लिए श्रीलंका के अनुरोध पर विचार करने के लिए भारत को धन्यवाद भी दिया है. गौरतलब है कि नई दिल्ली आईएमएफ से वित्तीय पैकेज के रास्ते को खोलने के लिए श्रीलंका के ऋण के पुनर्गठन का आश्वासन देने में प्रभावशाली रहा है.

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व-राजनयिक जी पार्थसारथी (G Parthasarathy) ने ईटीवी भारत को बताया कि भारत ने अमेरिका और अन्य को मनाने में मदद की है और मदद का हाथ बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि 'जब मैं दो हफ्ते पहले श्रीलंका में था, यह स्पष्ट था कि वे आईएमएफ से मंजूरी की उम्मीद कर रहे थे.'

उन्होंने कहा कि चीन ने कुछ भी नहीं किया है, उसने सिर्फ टोकन मनी दिया है, जिसका अर्थ बहुत कम है. उन्होंने अपना कर्ज नहीं उतारा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन हंबनटोटा बंदरगाह की स्थिति में है. चीन ने एक बंदरगाह पर नियंत्रण कर लिया है लेकिन उसने बहुत कम दिया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या श्रीलंका का झुकाव चीन की ओर बढ़ रहा है, जो भू-राजनीतिक संदर्भ में भारत के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकता है. पार्थसारथी ने कहा कि 'भारत की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि कि अगर चीन श्रीलंका के साथ संबंध सुधारना चाहता है लेकिन अगर रक्षा सामग्री, डिफेंस कंटेंट की बात आती है जो भारत के लिए खतरा है तो हमें लगता है कि हमारे लिए चिंता का विषय है, इसे भारत मजबूती से उठाएगा.'

उन्होंने कहा कि 'तथ्य यह है कि जब भारत श्रीलंका में पैसा लगा रहा है, तब भी चीन का हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा है.' इस महीने की शुरुआत में श्रीलंका ने पेरिस क्लब के सदस्यों, भारत और चीन सहित अपने आधिकारिक लेनदारों से आईएमएफ से मदद का अनुरोध किया था. इस मदद से उसे अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व चुनौतियों से बाहर निकालने और सभी हितधारकों के बीच विश्वास पैदा करने की उम्मीद है.

राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने घोषणा का स्वागत करते हुए कहा,' श्रीलंका की स्वतंत्रता के 75 वर्षों में, हमारे आर्थिक भविष्य के लिए इससे अधिक महत्वपूर्ण अवधि कभी नहीं रही. हमारे आधिकारिक लेनदारों ने पिछले कुछ महीनों में निरंतर और सकारात्मक जुड़ाव के बाद अपने समर्थन की घोषणा की है, और हमें खुशी है कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने हमारे कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है, जिससे श्रीलंका को आईएमएफ और आईएफआई से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक की फंडिंग मिल सकेगी.'

विक्रमसिंघे ने कहा कि 'शुरुआत से ही, हम वित्तीय संस्थानों और अपने लेनदारों के साथ अपनी सभी चर्चाओं में पूर्ण पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध हैं. मैं आईएमएफ और हमारे अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के समर्थन के लिए आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि हम विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन और हमारे महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे के माध्यम से अर्थव्यवस्था को लंबी अवधि के लिए पटरी पर लाना चाहते हैं.'

उन्होंने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों में श्रीलंका की स्थिति और पहुंच में सुधार के लिए आईएमएफ कार्यक्रम भी अनिवार्य होगा, और यह प्रदर्शित करेगा कि श्रीलंका एक बार फिर प्रतिभा, निवेशकों और पर्यटकों के लिए आकर्षक देश है.

श्रीलंका 1 सितंबर 2022 को विस्तारित फंड सुविधा द्वारा समर्थित चार साल के कार्यक्रम पर आईएमएफ के साथ एक कर्मचारी-स्तर के समझौते पर पहुंचा. 3 बिलियन यूएस डॉलर की राशि वाले इस कार्यक्रम से कमजोर समूहों की रक्षा करते हुए व्यापक आर्थिक स्थिरता और ऋण स्थिरता को बहाल करने की उम्मीद है.

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