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'क्वाड' के 'मालाबार' से पहले तिब्बत में 50,000 चीनी सैनिकों ने किया अभ्यास

'क्वाड' में शामिल चार देशों, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान की नौसेनाओं के बीच गुआम अपतटीय क्षेत्र में गुरुवार को चार दिवसीय मालाबार युद्धाभ्यास का आगाज़ हो गया. इससे एक दिन पहले चीन ने तिब्बत में लगभग 50,000 पीएलए (PLA) सैनिकों के साथ मेगा अभ्यास किया, जो कि एलएसी से बहुत दूर नहीं है. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

चीनी सैनिकों ने किया अभ्यास
चीनी सैनिकों ने किया अभ्यास
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Published : Aug 26, 2021, 5:38 PM IST

नई दिल्ली : 'क्वाड' में शामिल चार देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान की नौसेनाओं के बीच गुआम अपतटीय क्षेत्र में गुरुवार को चार दिवसीय मालाबार युद्धाभ्यास का आगाज़ हो गया. इसे मालाबार युद्धाभ्यास के रूप में जाना जाता है. इस समुद्री अभ्यास की पृष्ठभूमि में चीनी मीडिया ने बुधवार शाम को एक अहम खबर दी. चीन की सरकारी मीडिया ने बताया कि तिब्बत में पीएलए ने आधुनिक हथियारों का उपयोग करके 'हाल ही में' सैन्य अभ्यास किया है.

चीन के अभ्यास को 'स्नोफील्ड ड्यूटी-2021' का नाम दिया गया है. यह समुद्र तल से 4500 से 6100 मीटर की ऊंचाई पर आयोजित किया गया. इस अभ्यास में 'पीएलए तिब्बत सैन्य कमान से संबद्ध 10 से अधिक ब्रिगेड और रेजिमेंट शामिल हुए. चीन का दावा है कि अभ्यास में लगभग 50,000 सैनिक शामिल हुए.

चीनी रिपोर्ट के मुताबिक अभ्यास में नवीनतम हथियारों का उपयोग किया गया. हल्के प्रकार के 15 टैंकों सहित कई अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल भी किया गया. इसके अलावा गोला-बारूद का उपयोग भी किया गया. चीन में प्रकाशित खबरों के मुताबिक तिब्बत में हुए 'स्नोफील्ड ड्यूटी-2021' में अलग-अलग समय अवधि और विशेष रूप से उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र के लिए सभी प्रकार के लड़ाकू उपकरणों को टेस्ट किया गया.

इस्तेमाल किए गए उपकरणों में हॉवित्जर तोप (howitzers), कई रॉकेट लॉन्चर सिस्टम, टैंक के सामने चलाए जा सकने वाले एंटी एयरक्राफ्ट बैटरी, पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन (infantry fighting vehicles) और दुश्मन के ठिकानों पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ने वाले वाहन शामिल रहे.

चीन का दावा है कि तिब्बत में 'स्नोफील्ड ड्यूटी-2021' के दौरान संचार प्रणालियों को विद्युत चुम्बकीय व्यवधान (electromagnetic disruption) का उपयोग करके लक्षित किया गया, जबकि हमले के दौरान प्रयोग किए जाने वाले हेलीकॉप्टरों ने अतिरिक्त बहुआयामी अग्नि सहायता (additional multidimensional fire support) प्रदान की.

गौरतलब है कि तिब्बत में चीन का यह अभ्यास आश्चर्यजनक है, क्योंकि यह दो महीने पहले तिब्बत में 3,700 मीटर की ऊंचाई पर हुए एक और मेगा अभ्यास के ठीक बाद आयोजित किया गया.

2020 में भी पीएलए ने किया था ऐसा अभ्यास

2020 की गर्मियों में एलएसी से लगभग 200 किमी दूर हो रहे एक समान प्रशिक्षण अभ्यास के बाद ही अचानक पीएलए सैनिकों को भारत के साथ लगती सीमा पर भेज दिया गया था, जिसके बाद भारत-चीन के बाद गतिरोध हुआ था. जबकि इस तरह के अभ्यास गर्मियों में आम हैं, सेनाएं अभ्यास के पूरा होने के बाद बेस पर वापस चली जाती हैं लेकिन 2019 में पीएलए ने ऐसा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप सीमा पर झड़पें हुईं. चीन और भारत दोनों ने सीमा के पास हथियारों के साथ सैनिकों भारी जमावड़ा किया.

मालाबार अभ्यास का 25 वां संस्करण
मालाबार अभ्यास का 25 वां संस्करण चार क्वाड देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में हितों की बढ़ती निकटता के बीच हो रहा है. मालाबार अभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था. जापान 2015 में अभ्यास का स्थायी सदस्य बना था. यह वार्षिक अभ्यास 2018 में गुआम अपतटीय क्षेत्र में और 2019 में जापान अपतटीय क्षेत्र में आयोजित किया गया था.

पिछले साल यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया जिसका पहला चरण बंगाल की खाड़ी में और दूसरा चरण अरब सागर में हुआ था. भारत के आमंत्रण के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल मालाबार अभ्यास में हिस्सा लिया था. चीन वार्षिक मालाबार अभ्यास को संदेह की दृष्टि से देखता रहा है क्योंकि उसे लगता है कि युद्धाभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करने का प्रयास है.

आईएनएस 'शिवालिक' भी अभ्यास में शामिल
भारतीय नौसेना के आईएनएस 'शिवालिक' और पनडुब्बी रोधी आईएनएस 'कदमट' तथा 'पी8आई' गश्ती विमान इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं. जबकि अमेरिकी नौसेना का प्रतिनिधित्व यूएसएस बैरी, यूएसएनएस रप्पाहनॉक, यूएसएनएस बिग हॉर्न और पी8ए गश्ती विमान द्वारा किया जा रहा है. जापानी नौसेना का प्रतिनिधित्व जेएस कागा, मुरासामे और शिरानुई व पी1 गश्ती विमान के साथ किया जा रहा है, जबकि रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना का प्रतिनिधित्व एचएमएएस वाररामुंगा द्वारा किया जा रहा है. गुरुवार को अमेरिकी नौसेना की एक विज्ञप्ति में कहा गया है: 'रॉयल ऑस्ट्रेलियाई, भारतीय, जापानी और अमेरिकी समुद्री बल नियमित रूप से इंडो-पैसिफिक में एक साथ काम करते हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के प्रति एक साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं.'

विज्ञप्ति में यूएसएस बैरी के कमांडिंग ऑफिसर कमांडर क्रिस गहल के हवाले से कहा गया है कि मालाबार 21 हमारी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करने का शानदार अवसर प्रदान करता है ... हमारी टीम (पनडुब्बी रोधी युद्ध) क्षमताओं का प्रदर्शन करने और हमारे इंडो-पैसिफिक भागीदारों और सहयोगियों के साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित है. अभ्यास के दौरान जो सीखने को मिलेगा या साझा रणनीति से हमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के सामान्य दृष्टिकोण का समर्थन करने में हमारी ताकत और क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा.

पढ़ें- भारत के दो नौसैन्य पोत मालाबार अभ्यास में हिस्सा लेने गुआम द्वीप पहुंचे

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, 'सतह रोधी, वायु रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास और अन्य सैन्य व्यूह अभ्यास तथा सामरिक अभ्यास सहित कई जटिल अभ्यास किये जायेंगे. इस नौसैन्य अभ्यास में भाग लेने वाली नौसेनाओं को एक दूसरे की विशेषज्ञता एवं अनुभवों से लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा.'

नई दिल्ली : 'क्वाड' में शामिल चार देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान की नौसेनाओं के बीच गुआम अपतटीय क्षेत्र में गुरुवार को चार दिवसीय मालाबार युद्धाभ्यास का आगाज़ हो गया. इसे मालाबार युद्धाभ्यास के रूप में जाना जाता है. इस समुद्री अभ्यास की पृष्ठभूमि में चीनी मीडिया ने बुधवार शाम को एक अहम खबर दी. चीन की सरकारी मीडिया ने बताया कि तिब्बत में पीएलए ने आधुनिक हथियारों का उपयोग करके 'हाल ही में' सैन्य अभ्यास किया है.

चीन के अभ्यास को 'स्नोफील्ड ड्यूटी-2021' का नाम दिया गया है. यह समुद्र तल से 4500 से 6100 मीटर की ऊंचाई पर आयोजित किया गया. इस अभ्यास में 'पीएलए तिब्बत सैन्य कमान से संबद्ध 10 से अधिक ब्रिगेड और रेजिमेंट शामिल हुए. चीन का दावा है कि अभ्यास में लगभग 50,000 सैनिक शामिल हुए.

चीनी रिपोर्ट के मुताबिक अभ्यास में नवीनतम हथियारों का उपयोग किया गया. हल्के प्रकार के 15 टैंकों सहित कई अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल भी किया गया. इसके अलावा गोला-बारूद का उपयोग भी किया गया. चीन में प्रकाशित खबरों के मुताबिक तिब्बत में हुए 'स्नोफील्ड ड्यूटी-2021' में अलग-अलग समय अवधि और विशेष रूप से उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र के लिए सभी प्रकार के लड़ाकू उपकरणों को टेस्ट किया गया.

इस्तेमाल किए गए उपकरणों में हॉवित्जर तोप (howitzers), कई रॉकेट लॉन्चर सिस्टम, टैंक के सामने चलाए जा सकने वाले एंटी एयरक्राफ्ट बैटरी, पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन (infantry fighting vehicles) और दुश्मन के ठिकानों पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ने वाले वाहन शामिल रहे.

चीन का दावा है कि तिब्बत में 'स्नोफील्ड ड्यूटी-2021' के दौरान संचार प्रणालियों को विद्युत चुम्बकीय व्यवधान (electromagnetic disruption) का उपयोग करके लक्षित किया गया, जबकि हमले के दौरान प्रयोग किए जाने वाले हेलीकॉप्टरों ने अतिरिक्त बहुआयामी अग्नि सहायता (additional multidimensional fire support) प्रदान की.

गौरतलब है कि तिब्बत में चीन का यह अभ्यास आश्चर्यजनक है, क्योंकि यह दो महीने पहले तिब्बत में 3,700 मीटर की ऊंचाई पर हुए एक और मेगा अभ्यास के ठीक बाद आयोजित किया गया.

2020 में भी पीएलए ने किया था ऐसा अभ्यास

2020 की गर्मियों में एलएसी से लगभग 200 किमी दूर हो रहे एक समान प्रशिक्षण अभ्यास के बाद ही अचानक पीएलए सैनिकों को भारत के साथ लगती सीमा पर भेज दिया गया था, जिसके बाद भारत-चीन के बाद गतिरोध हुआ था. जबकि इस तरह के अभ्यास गर्मियों में आम हैं, सेनाएं अभ्यास के पूरा होने के बाद बेस पर वापस चली जाती हैं लेकिन 2019 में पीएलए ने ऐसा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप सीमा पर झड़पें हुईं. चीन और भारत दोनों ने सीमा के पास हथियारों के साथ सैनिकों भारी जमावड़ा किया.

मालाबार अभ्यास का 25 वां संस्करण
मालाबार अभ्यास का 25 वां संस्करण चार क्वाड देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में हितों की बढ़ती निकटता के बीच हो रहा है. मालाबार अभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था. जापान 2015 में अभ्यास का स्थायी सदस्य बना था. यह वार्षिक अभ्यास 2018 में गुआम अपतटीय क्षेत्र में और 2019 में जापान अपतटीय क्षेत्र में आयोजित किया गया था.

पिछले साल यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया जिसका पहला चरण बंगाल की खाड़ी में और दूसरा चरण अरब सागर में हुआ था. भारत के आमंत्रण के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल मालाबार अभ्यास में हिस्सा लिया था. चीन वार्षिक मालाबार अभ्यास को संदेह की दृष्टि से देखता रहा है क्योंकि उसे लगता है कि युद्धाभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करने का प्रयास है.

आईएनएस 'शिवालिक' भी अभ्यास में शामिल
भारतीय नौसेना के आईएनएस 'शिवालिक' और पनडुब्बी रोधी आईएनएस 'कदमट' तथा 'पी8आई' गश्ती विमान इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं. जबकि अमेरिकी नौसेना का प्रतिनिधित्व यूएसएस बैरी, यूएसएनएस रप्पाहनॉक, यूएसएनएस बिग हॉर्न और पी8ए गश्ती विमान द्वारा किया जा रहा है. जापानी नौसेना का प्रतिनिधित्व जेएस कागा, मुरासामे और शिरानुई व पी1 गश्ती विमान के साथ किया जा रहा है, जबकि रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना का प्रतिनिधित्व एचएमएएस वाररामुंगा द्वारा किया जा रहा है. गुरुवार को अमेरिकी नौसेना की एक विज्ञप्ति में कहा गया है: 'रॉयल ऑस्ट्रेलियाई, भारतीय, जापानी और अमेरिकी समुद्री बल नियमित रूप से इंडो-पैसिफिक में एक साथ काम करते हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के प्रति एक साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं.'

विज्ञप्ति में यूएसएस बैरी के कमांडिंग ऑफिसर कमांडर क्रिस गहल के हवाले से कहा गया है कि मालाबार 21 हमारी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करने का शानदार अवसर प्रदान करता है ... हमारी टीम (पनडुब्बी रोधी युद्ध) क्षमताओं का प्रदर्शन करने और हमारे इंडो-पैसिफिक भागीदारों और सहयोगियों के साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित है. अभ्यास के दौरान जो सीखने को मिलेगा या साझा रणनीति से हमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के सामान्य दृष्टिकोण का समर्थन करने में हमारी ताकत और क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा.

पढ़ें- भारत के दो नौसैन्य पोत मालाबार अभ्यास में हिस्सा लेने गुआम द्वीप पहुंचे

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, 'सतह रोधी, वायु रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास और अन्य सैन्य व्यूह अभ्यास तथा सामरिक अभ्यास सहित कई जटिल अभ्यास किये जायेंगे. इस नौसैन्य अभ्यास में भाग लेने वाली नौसेनाओं को एक दूसरे की विशेषज्ञता एवं अनुभवों से लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा.'

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