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आजादी के सात दशक बाद भी कर्नाटक के इस गांव में नहीं है बुनियादी सुविधाएं, हर दिन जान जोखिम में डालते हैं लोग

आजादी के सात दशक बाद भी कर्नाटक का माहिमे गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. सरकार द्वारा कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई गईं, कुछ योजनाएं धरातल पर उतरीं भी, लेकिन इस गांव में अधिकांश का लाभ नहीं मिला. नाले पर पुलिया न होने के चलते इस गांव के बच्चे हर दिन जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं.

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Published : Oct 8, 2021, 7:48 PM IST

कर्नाटक के इस गांव में नहीं है बुनियादी सुविधाएं,
कर्नाटक के इस गांव में नहीं है बुनियादी सुविधाएं,

बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार के द्वारा आखिरी घर तक विकास पहुंचाने के लाख दावे किये जाते हैं, लेकिन उन तमाम हकीकत को इन तस्वीरों के माध्यम से समझा जा सकता है, तस्वीरों में साफ जाहिर होता है कि किस तरह ग्रामीण अपने बच्चों को कंधे पर लादकर नाला पार करा रहे हैं, ताकि बच्चे स्कूल पहुंच सके और अपने भविष्य को सुनहरा बना सके.

कर्नाटक उत्तर कन्नड़ जिले के माहिमे गांव का खस्ता हाल है, यहां पर बुनियादी सुविधाएं नहीं है, जिसके चलते बच्चों को नाला पार कर स्कूल जाना पड़ता है. माहिमे गांव की आबादी 1200 है, इस गांव के 40 से ज्यादा बच्चे 8 किमी पैदल चलकर जंगल के रास्ते से स्कूल जाते हैं. स्कूल जाने के लिए बच्चों को एक नाला पार करना पड़ता है, लेकिन बारिश के मौसम के इस नाला का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे बच्चों के साथ ग्रामीणों की समस्या और विकराल रूप ले लेती है. नाले का जलस्तर बढ़ने से कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं.

वहीं जब नाले का जलस्तर कम होता है, तो अभिभावक नाले के दोनों ओर पेड़ों से रस्सी बांधकर बच्चों को नाला पार करवाते हैं. तो कभी-कभी अभिभावक बच्चों को कंधे पर लादकर नाला पार करवाते हैं, इसके बाद भी बच्चे टाइम पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं.

मूलभूत सुविधाओं के न होने से बारिश के मौसम में गर्भवती महिलाओं और मरीजों के लिए आपातकालीन स्थितियों में नाला पार करना मुश्किल होता है. गर्भवती महिलाओं, मरीजों को कंधों पर उठाकर नाला पार करवाना पड़ता है.

यह गांव आजादी के बाद से पिछड़े गांवों की सूची में है, पिछले पांच दशक से यहां पर सड़क और पुल नहीं है, लेकिन राज्य के नेता और अधिकारी गांव पर ध्यान नहीं देते हैं. ग्रामीणों ने सरकार से बुनियादी सुविधा मुहैया करवाने की मांग की है.

यह भी पढ़ें- भारत में 19 साल की उम्र तक के लोगों में कोविड-19 की अधिक दर : अध्ययन

इस संबंध में दिनेश मराटे का कहना है कि हम हर दिन स्कूल जाने के लिए समस्याओं का समाना करते हैं, हमारे गांव में सड़क की समुचित सुविधा नहीं है. अगर हमें दूसरी सड़क पर आने वाली बस पकड़नी है, तो हमें अपने घरों से सुबह 5 बजे निकलना पड़ता है.

स्थानीय कार्यकर्ता राजेश का कहना है कि हमें सड़क, पुल और परिवहन सुविधा की आवश्यकता है. इन सुविधाओं के अभाव में छात्रों, गर्भवती महिलाओं, रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हम आग्रह करते हैं कि जनप्रतिनिधि हमारे गांव को बुनियादी सुविधा मुहैया करवाएं.

बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार के द्वारा आखिरी घर तक विकास पहुंचाने के लाख दावे किये जाते हैं, लेकिन उन तमाम हकीकत को इन तस्वीरों के माध्यम से समझा जा सकता है, तस्वीरों में साफ जाहिर होता है कि किस तरह ग्रामीण अपने बच्चों को कंधे पर लादकर नाला पार करा रहे हैं, ताकि बच्चे स्कूल पहुंच सके और अपने भविष्य को सुनहरा बना सके.

कर्नाटक उत्तर कन्नड़ जिले के माहिमे गांव का खस्ता हाल है, यहां पर बुनियादी सुविधाएं नहीं है, जिसके चलते बच्चों को नाला पार कर स्कूल जाना पड़ता है. माहिमे गांव की आबादी 1200 है, इस गांव के 40 से ज्यादा बच्चे 8 किमी पैदल चलकर जंगल के रास्ते से स्कूल जाते हैं. स्कूल जाने के लिए बच्चों को एक नाला पार करना पड़ता है, लेकिन बारिश के मौसम के इस नाला का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे बच्चों के साथ ग्रामीणों की समस्या और विकराल रूप ले लेती है. नाले का जलस्तर बढ़ने से कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं.

वहीं जब नाले का जलस्तर कम होता है, तो अभिभावक नाले के दोनों ओर पेड़ों से रस्सी बांधकर बच्चों को नाला पार करवाते हैं. तो कभी-कभी अभिभावक बच्चों को कंधे पर लादकर नाला पार करवाते हैं, इसके बाद भी बच्चे टाइम पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं.

मूलभूत सुविधाओं के न होने से बारिश के मौसम में गर्भवती महिलाओं और मरीजों के लिए आपातकालीन स्थितियों में नाला पार करना मुश्किल होता है. गर्भवती महिलाओं, मरीजों को कंधों पर उठाकर नाला पार करवाना पड़ता है.

यह गांव आजादी के बाद से पिछड़े गांवों की सूची में है, पिछले पांच दशक से यहां पर सड़क और पुल नहीं है, लेकिन राज्य के नेता और अधिकारी गांव पर ध्यान नहीं देते हैं. ग्रामीणों ने सरकार से बुनियादी सुविधा मुहैया करवाने की मांग की है.

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इस संबंध में दिनेश मराटे का कहना है कि हम हर दिन स्कूल जाने के लिए समस्याओं का समाना करते हैं, हमारे गांव में सड़क की समुचित सुविधा नहीं है. अगर हमें दूसरी सड़क पर आने वाली बस पकड़नी है, तो हमें अपने घरों से सुबह 5 बजे निकलना पड़ता है.

स्थानीय कार्यकर्ता राजेश का कहना है कि हमें सड़क, पुल और परिवहन सुविधा की आवश्यकता है. इन सुविधाओं के अभाव में छात्रों, गर्भवती महिलाओं, रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हम आग्रह करते हैं कि जनप्रतिनिधि हमारे गांव को बुनियादी सुविधा मुहैया करवाएं.

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