अहमदाबाद : इस समय पूरा देश कोरोना महमारी से जूझ रहा है. देशभर में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. विशेषज्ञों ने निकट भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर की भी भविष्यवाणी की है. इस बीच गुजरात के सूरत में पिछले तीन महीने में 10 साल तक के 1661 बच्चे संक्रमित हुए हैं.
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए सूरत के सिविल अस्पताल में कोरोना से संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए 100 बिस्तर की सुविधा स्थापित करने का आदेश दिया गया है. अक्टूबर-नवंबर के महीने में कोरोना की तीसरी लहर की भविष्यवाणी की गई है.
विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में बच्चों में कोरोना का खतरा अधिक होगा, जहां तक बाल रोग विशेषज्ञों की बात है, तो सूरत शहर में करीब 300 और जिले में करीब 100 डॉक्टर उपलब्ध हैं.
हालांकि अकेले सूरत में पिछले तीन महीने में 1,680 बच्चे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. कोरोना की तीसरी लहर में 3,000 से अधिक बच्चों के संक्रमित होने की आशंका है.
इस बारे में डॉ. रागिनी, प्रभारी अधीक्षक ने कहा की हमें राज्य सरकार की ओर से कोरोना की तीसरी लहर में 100 बेड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है, यह सुविधा सिविल अस्पताल परिसर में स्टेम सेल भवन की 7वीं मंजिल पर स्थापित की जाएगी, जिसके लिए आवश्यक उपकरणों की सूची तैयार कर राज्य सरकार को भेजी गई है.
शहर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष गोटी ने कहा कि कोरोना संक्रमण वाले बच्चों में एमआईएस-सी भी देखने को मिल सकता है. इसका पूरा नाम मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम ईन चिलड्रन ( Multisystem inflammatory syndrome in children ) है. यह बीमारी कोरोना से जुड़ी है. यह कोरोना की पहली लहर मे देखने को मीली थी. बच्चों में लगातार बुखार, शरीर पर धब्बे, लाल होंठ, शरीर में सूजन, गले में खराश, पेट दर्द और दस्त और उल्टी जेसे लक्षण देखने को मिलते हैं, इस बीमारी के सटीक आंकड़े अभी तक ज्ञात नहीं हैं, लेकिन पिछले तीन महीनों में सूरत में एमआईएस-सी के अनुमानित 200 मामले सामने आए हैं.'
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एमआईएस-सी रोग की गंभीरता के बारे में बात करते हुए आशीष गोटी ने कहा कि कोरोना की तरह एमआईएस-सी भी एक गंभीर बीमारी है और कोरोना की तरह इसका इलाज भी उपलब्ध है. अगर इस बीमारी को शुरुआती दौर में ही पकड़ लिया जाए तो इस पर काबू पाया जा सकता है. यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए या ठीक से इलाज न किया जाए, तो रोगी का हृदय क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है और बच्चों की मृत्यु भी हो सकती हैं.