ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड : छोटी बेगम बनेंगी किन्रर अखाड़े की महामंडलेश्वर - Kinnar Samaj head Acharya Mahamandaleshwar Laxmi Narayan Tripathi

उत्तराखंड के किन्नर अखाड़े में लगभग 11 से अधिक किन्नर समाज के लोग महामंडलेश्वर के पद पर सुशोभित होंगे. उन्हीं में से एक हैं छोटी बेगम. छोटी बेगम सालों से किन्नर समाज का हिस्सा रही हैं, लेकिन अब वह चाहती हैं कि वह समाज में रहकर हिंदू धर्म की रक्षा करें.

chhoti
chhoti
author img

By

Published : Mar 3, 2021, 10:45 PM IST

हरिद्वार : उत्तराखंड में आज जूना अखाड़ा की धर्मध्वजा स्थापित की गई. बीते दिनों जिस किन्नर अखाड़े को लेकर जूना अखाड़ा में विवाद चल रहा था, उसका भी पटाक्षेप हो गया. आज हरिद्वार के बिरला घाट पर जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा की धर्म ध्वजा स्थापित होने के दौरान सबकी नजरें किन्नर अखाड़े पर थी.

इस कुंभ में किन्नर अखाड़े में लगभग 11 से अधिक किन्नर समाज के लोग महामंडलेश्वर के पद पर सुशोभित होंगे. उन्हीं में से एक हैं छोटी बेगम. छोटी बेगम सालों से किन्नर समाज का हिस्सा रही हैं, लेकिन अब वह चाहती हैं कि वह समाज में रहकर हिंदू धर्म की रक्षा करें. खास बात यह है कि छोटी बेगम अब तक इस्लाम धर्म के मुताबिक कार्य करती थीं, लेकिन उनका कहना है किन्नर समाज की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से इतनी प्रभावित हुईं कि ना केवल उन्होंने अपना धर्म पीछे छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया, बल्कि अब वह कल्याणी नाम से पहचानी जाती हैं. छोटी बेगम उर्फ कल्याणी इस कुंभ में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होंगी.

लाखों का सोना पहनने वाली छोटी बेगम

जूना अखाड़ा की छावनी में प्रवेश

गले में भारी-भरकम आभूषण माथे पर बड़ा सा तिलक हाथों में सोने और नग नगीनों से जुड़े कंगन पहनकर उन्होंने आज जूना अखाड़ा की छावनी में प्रवेश किया. कल्याणी कहती है कि जब उन्होंने इस धर्म को अपनाने के लिए पहला कदम रखा, तो समाज ने तरह-तरह की बातें की, लेकिन वह चाहती हैं कि समाज में रहकर हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करें. उन्होंने कहा कि वह अंतिम समय तक महामंडलेश्वर बनके भगवान की आराधना और हिंदू धर्म की रक्षा करना चाहती हैं.

मोहिनी गिरी किन्नर बनेगी महामंडलेश्वर

इसी तरह से मोहिनी गिरी किन्नर अखाड़ा में इस बार महामंडलेश्वर बनने जा रही हैं. उनका कहना है कि वह दिल्ली से हैं और गुरु का जैसा आदेश हुआ, उसका पालन करते हुए किन्नर समाज के साथ जुड़कर ही आगे धर्म का कार्य करेंगी. ऐसा नहीं है कि किन्नर अखाड़ा में सिर्फ किन्नर ही महामंडलेश्वर या शामिल होने वाले संत होते हैं, बल्कि अब इस अखाड़े से महिला वर्ग भी जुड़ रहा है. दिल्ली की रहने वाली रामेश्वरी नंदगिरी भी इस अखाड़े के साथ जुड़ गई हैं. इस बार वह महामंडलेश्वर पद पर आसीन होंगी.

उनका कहना है कि इस अखाड़े से इसलिए जुड़ी हैं, क्योंकि अखाड़े में रहकर वह सभी ना केवल सिंगार कर सकती हैं, बल्कि परिवार के साथ रह करके भी भगवान की आराधना और हिंदू धर्म की अलख जगा सकती हैं.

यह भी पढ़ें-शशिकला का राजनीति से संन्यास, फैसले ने सबको चौंकाया

'महामंडलेश्वर संतों के विचार बेहद अलग'

उन्होंने कहा कि वह किसी और अखाड़े में भी शामिल हो सकती थीं, लेकिन किन्नर समाज से आने वाली महामंडलेश्वर संतों के विचार बेहद अलग होते हैं. लिहाजा, उन्होंने इस बार अपने परिवार से सलाह मशवरा करके ही इस अखाड़े में शामिल होने का मन बनाया है.

हरिद्वार : उत्तराखंड में आज जूना अखाड़ा की धर्मध्वजा स्थापित की गई. बीते दिनों जिस किन्नर अखाड़े को लेकर जूना अखाड़ा में विवाद चल रहा था, उसका भी पटाक्षेप हो गया. आज हरिद्वार के बिरला घाट पर जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा की धर्म ध्वजा स्थापित होने के दौरान सबकी नजरें किन्नर अखाड़े पर थी.

इस कुंभ में किन्नर अखाड़े में लगभग 11 से अधिक किन्नर समाज के लोग महामंडलेश्वर के पद पर सुशोभित होंगे. उन्हीं में से एक हैं छोटी बेगम. छोटी बेगम सालों से किन्नर समाज का हिस्सा रही हैं, लेकिन अब वह चाहती हैं कि वह समाज में रहकर हिंदू धर्म की रक्षा करें. खास बात यह है कि छोटी बेगम अब तक इस्लाम धर्म के मुताबिक कार्य करती थीं, लेकिन उनका कहना है किन्नर समाज की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से इतनी प्रभावित हुईं कि ना केवल उन्होंने अपना धर्म पीछे छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया, बल्कि अब वह कल्याणी नाम से पहचानी जाती हैं. छोटी बेगम उर्फ कल्याणी इस कुंभ में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होंगी.

लाखों का सोना पहनने वाली छोटी बेगम

जूना अखाड़ा की छावनी में प्रवेश

गले में भारी-भरकम आभूषण माथे पर बड़ा सा तिलक हाथों में सोने और नग नगीनों से जुड़े कंगन पहनकर उन्होंने आज जूना अखाड़ा की छावनी में प्रवेश किया. कल्याणी कहती है कि जब उन्होंने इस धर्म को अपनाने के लिए पहला कदम रखा, तो समाज ने तरह-तरह की बातें की, लेकिन वह चाहती हैं कि समाज में रहकर हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करें. उन्होंने कहा कि वह अंतिम समय तक महामंडलेश्वर बनके भगवान की आराधना और हिंदू धर्म की रक्षा करना चाहती हैं.

मोहिनी गिरी किन्नर बनेगी महामंडलेश्वर

इसी तरह से मोहिनी गिरी किन्नर अखाड़ा में इस बार महामंडलेश्वर बनने जा रही हैं. उनका कहना है कि वह दिल्ली से हैं और गुरु का जैसा आदेश हुआ, उसका पालन करते हुए किन्नर समाज के साथ जुड़कर ही आगे धर्म का कार्य करेंगी. ऐसा नहीं है कि किन्नर अखाड़ा में सिर्फ किन्नर ही महामंडलेश्वर या शामिल होने वाले संत होते हैं, बल्कि अब इस अखाड़े से महिला वर्ग भी जुड़ रहा है. दिल्ली की रहने वाली रामेश्वरी नंदगिरी भी इस अखाड़े के साथ जुड़ गई हैं. इस बार वह महामंडलेश्वर पद पर आसीन होंगी.

उनका कहना है कि इस अखाड़े से इसलिए जुड़ी हैं, क्योंकि अखाड़े में रहकर वह सभी ना केवल सिंगार कर सकती हैं, बल्कि परिवार के साथ रह करके भी भगवान की आराधना और हिंदू धर्म की अलख जगा सकती हैं.

यह भी पढ़ें-शशिकला का राजनीति से संन्यास, फैसले ने सबको चौंकाया

'महामंडलेश्वर संतों के विचार बेहद अलग'

उन्होंने कहा कि वह किसी और अखाड़े में भी शामिल हो सकती थीं, लेकिन किन्नर समाज से आने वाली महामंडलेश्वर संतों के विचार बेहद अलग होते हैं. लिहाजा, उन्होंने इस बार अपने परिवार से सलाह मशवरा करके ही इस अखाड़े में शामिल होने का मन बनाया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.