ETV Bharat / bharat

छत्तीसगढ़ में यहां हाथी लोगों को वोट तक डालने नहीं देते, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

Elephant Effects Voting on Surguja सरगुजा क्षेत्र के कई हिस्सों में हाथियों का आतंक देखने को मिलता है. इस बार 17 नवंबर को चुनाव है.ऐसे में हाथी प्रभावित इलाकों में मतदान को लेकर ग्रामीणों में उत्साह नहीं दिख रहा है. ग्रामीणों की मानें तो यदि मतदान के दिन हाथी आएंगे तो शायद ही वोटिंग करेंगे, क्योंकि जान ज्यादा जरुरी है. Chhattisgarh Election 2023

Elephant Effects Voting on Surguja
सरगुजा में हाथी का आतंक
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 10, 2023, 9:27 AM IST

Updated : Nov 10, 2023, 12:56 PM IST

सरगुजा के कई हिस्सों में हाथी का आतंक

सरगुजा : छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान में बस्तर संभाग की 12 सीटों के साथ दुर्ग संभाग की 8 सीटों पर मतदान हुआ. वहीं अब दूसरे चरण में बची 70 सीटों के लिए 17 नवंबर को वोटिंग है. दूसरे चरण के चुनाव में 958 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर लगी है. सेकंड फेज के चुनाव में कई विधानसभा सीट ऐसी हैं, जो हाथी के आतंक से प्रभावित हैं. यही वजह है कि इस चुनाव में हाथी का भी मुद्दा छाया है.

कहां हैं हाथी प्रभावित क्षेत्र ? : गरियाबंद, महासमुंद, कोरबा, रायगढ़, धरमजयगढ़, सरगुजा, बलरामपुर और सूरजपुर जैसे जिले हाथी प्रभावित हैं.इन इलाकों में हाथी अक्सर किसानों की फसल और घरों को निशाना बनाते रहते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जिन इलाकों में हाथी सक्रिय हैं, क्या वहां के मतदाता वोटिंग के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचेंगे.

Elephant Effects Voting on Surguja
सरगुजा में हाथी का आतंक

सरगुजा में हाथी के कारण परेशानी : सरगुजा जिले में उदयपुर, मैनपाट और लुंड्रा विकासखण्ड में हाथी लगातार सक्रिय रहते हैं. हाथियों का सबसे अधिक आतंक सूरजपुर जिले में देखा जाता है. यहां के प्रतापपुर विकासखण्ड में हाथी सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. प्रतापपुर के किसान सबसे ज्यादा गन्ना उगाते हैं. इसलिए हाथियों का रुख इस ओर सबसे ज्यादा रहता है. बलरामपुर जिले का रामचंद्रपुर विकासखण्ड भी हाथी प्रभावित है. वहीं सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखण्ड के कुछ गांव में भी हाथियों का आतंक भी बना रहता है. इसके बावजूद इन इलाकों में स्वीप की टीम निर्वाचन आयोग के निर्देश पर लगातार मतदाता जागरूकता फैला रही है, लेकिन इस टीम के पास भी हाथियों का हल नहीं है.

"प्रतापपुर के गणेशपुर, धरमपुर, मदनपुर, गोटगवा, बंशीपुर क्षेत्र में अक्सर हाथी आते हैं, अन्य क्षेत्रों में तो हाथी रात में आते हैं.लेकिन इन गांवों में इतने हाथी हैं कि दिन में भी मुख्य मार्ग और आबादी वाले क्षेत्र में दिखाई दे जाएंगे.'' रवींद्र गुप्ता, ग्रामीण प्रतापपुर

किन इलाकों में हाथी सक्रिय ? : सरगुजा और रायगढ़ की सीमा पर मैनपाट की तराई में मौजूदा समय में हाथी मौजूद हैं. वर्तमान में यहां 13 हाथियों का दल है. जिले के सरभंजा, केसरा, कंडराजा, डांड़केसरा, बावपहाड़, पुरंगा क्षेत्र के जंगलों में हैं. ग्रामीणों में भय का माहौल है. यदि मतदान के पहले हाथी गांव में पहुंचते हैं तो यहां मतदान प्रभावित हो सकता है.

" हमारे गांव में 9 हाथी हैं, हाथी कभी भी आ जाता है, उसके आने का कोई टाइम नहीं है. आने से फसल का नुकसान होगा, घर का नुकसान होगा. आदमी को पाएंगे तो पटक देंगे तो वो मर जाएगा. अभी यहां 4 हमले हो चुके हैं. मतदान के दिन हाथी आएगा तो मतदान करने नहीं जाएंगे. यहां गाय भैंस देखेंगे कि मतदान करने जाएंगे." - केदार यादव, बरडांड

बैकुंठपुर में मल्लिकार्जुन खड़गे का हमला, कहा- मोदी और आरएसएस संविधान बदलने की कोशिश कर रहे
पीएम मोदी नहीं चाहते सत्ता गरीबों के हाथ में आए, बीजेपी दलित और आदिवासी विरोधी : मल्लिकार्जुन खड़गे
छत्तीसगढ़ चुनाव में राजनीतिक दलों का मेगा प्रचार, बैकुंठपुर और कोरबा में मल्लिकार्जुन खड़गे भरेंगे हुंकार, रायगढ़ में अमित शाह करेंगे रोड शो

अभी हाथियों का खतरा नहीं : जिला प्रशासन की मानें तो हाथी प्रभावित क्षेत्रों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. अभी जो उदयपुर के पास मामला आया था, वहां वन विभाग की टीम ने जाकर हाथियों को खदेड़ा था. वहां कोई हाथी अभी नहीं है.

''कोरबा और रायगढ़ से हाथियों का दल आता है, लेकिन पूरी टीम मुस्तैद है. डर तो है लेकिन मतदान प्रभावित नहीं होगा. लोगों में कॉन्फ़िडेन्स बिल्डिंग का काम किया जा रहा है.'' - कुंदन कुमार, कलेक्टर

सरगुजा रेंज में 115 से 125 हाथी : सरगुजा रेंज में करीब 115 से 125 हाथी हैं. हाथी अपनी मूवमेंट चेंज करते रहते हैं. एलिफेंट रिजर्व के एरिया में वर्तमान में करीब 70 हाथियों का डेरा है. एलिफेंट रिहैबिलिटेशन सेंटर के निर्माण के बाद अब क्षेत्र में हाथियों के लिये अनुकूल माहौल बन रहाम है. जिसमें उनके भोजन और पानी की व्यवस्था की गई है.

सरगुजा के कई हिस्सों में हाथी का आतंक

सरगुजा : छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान में बस्तर संभाग की 12 सीटों के साथ दुर्ग संभाग की 8 सीटों पर मतदान हुआ. वहीं अब दूसरे चरण में बची 70 सीटों के लिए 17 नवंबर को वोटिंग है. दूसरे चरण के चुनाव में 958 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर लगी है. सेकंड फेज के चुनाव में कई विधानसभा सीट ऐसी हैं, जो हाथी के आतंक से प्रभावित हैं. यही वजह है कि इस चुनाव में हाथी का भी मुद्दा छाया है.

कहां हैं हाथी प्रभावित क्षेत्र ? : गरियाबंद, महासमुंद, कोरबा, रायगढ़, धरमजयगढ़, सरगुजा, बलरामपुर और सूरजपुर जैसे जिले हाथी प्रभावित हैं.इन इलाकों में हाथी अक्सर किसानों की फसल और घरों को निशाना बनाते रहते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जिन इलाकों में हाथी सक्रिय हैं, क्या वहां के मतदाता वोटिंग के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचेंगे.

Elephant Effects Voting on Surguja
सरगुजा में हाथी का आतंक

सरगुजा में हाथी के कारण परेशानी : सरगुजा जिले में उदयपुर, मैनपाट और लुंड्रा विकासखण्ड में हाथी लगातार सक्रिय रहते हैं. हाथियों का सबसे अधिक आतंक सूरजपुर जिले में देखा जाता है. यहां के प्रतापपुर विकासखण्ड में हाथी सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. प्रतापपुर के किसान सबसे ज्यादा गन्ना उगाते हैं. इसलिए हाथियों का रुख इस ओर सबसे ज्यादा रहता है. बलरामपुर जिले का रामचंद्रपुर विकासखण्ड भी हाथी प्रभावित है. वहीं सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखण्ड के कुछ गांव में भी हाथियों का आतंक भी बना रहता है. इसके बावजूद इन इलाकों में स्वीप की टीम निर्वाचन आयोग के निर्देश पर लगातार मतदाता जागरूकता फैला रही है, लेकिन इस टीम के पास भी हाथियों का हल नहीं है.

"प्रतापपुर के गणेशपुर, धरमपुर, मदनपुर, गोटगवा, बंशीपुर क्षेत्र में अक्सर हाथी आते हैं, अन्य क्षेत्रों में तो हाथी रात में आते हैं.लेकिन इन गांवों में इतने हाथी हैं कि दिन में भी मुख्य मार्ग और आबादी वाले क्षेत्र में दिखाई दे जाएंगे.'' रवींद्र गुप्ता, ग्रामीण प्रतापपुर

किन इलाकों में हाथी सक्रिय ? : सरगुजा और रायगढ़ की सीमा पर मैनपाट की तराई में मौजूदा समय में हाथी मौजूद हैं. वर्तमान में यहां 13 हाथियों का दल है. जिले के सरभंजा, केसरा, कंडराजा, डांड़केसरा, बावपहाड़, पुरंगा क्षेत्र के जंगलों में हैं. ग्रामीणों में भय का माहौल है. यदि मतदान के पहले हाथी गांव में पहुंचते हैं तो यहां मतदान प्रभावित हो सकता है.

" हमारे गांव में 9 हाथी हैं, हाथी कभी भी आ जाता है, उसके आने का कोई टाइम नहीं है. आने से फसल का नुकसान होगा, घर का नुकसान होगा. आदमी को पाएंगे तो पटक देंगे तो वो मर जाएगा. अभी यहां 4 हमले हो चुके हैं. मतदान के दिन हाथी आएगा तो मतदान करने नहीं जाएंगे. यहां गाय भैंस देखेंगे कि मतदान करने जाएंगे." - केदार यादव, बरडांड

बैकुंठपुर में मल्लिकार्जुन खड़गे का हमला, कहा- मोदी और आरएसएस संविधान बदलने की कोशिश कर रहे
पीएम मोदी नहीं चाहते सत्ता गरीबों के हाथ में आए, बीजेपी दलित और आदिवासी विरोधी : मल्लिकार्जुन खड़गे
छत्तीसगढ़ चुनाव में राजनीतिक दलों का मेगा प्रचार, बैकुंठपुर और कोरबा में मल्लिकार्जुन खड़गे भरेंगे हुंकार, रायगढ़ में अमित शाह करेंगे रोड शो

अभी हाथियों का खतरा नहीं : जिला प्रशासन की मानें तो हाथी प्रभावित क्षेत्रों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. अभी जो उदयपुर के पास मामला आया था, वहां वन विभाग की टीम ने जाकर हाथियों को खदेड़ा था. वहां कोई हाथी अभी नहीं है.

''कोरबा और रायगढ़ से हाथियों का दल आता है, लेकिन पूरी टीम मुस्तैद है. डर तो है लेकिन मतदान प्रभावित नहीं होगा. लोगों में कॉन्फ़िडेन्स बिल्डिंग का काम किया जा रहा है.'' - कुंदन कुमार, कलेक्टर

सरगुजा रेंज में 115 से 125 हाथी : सरगुजा रेंज में करीब 115 से 125 हाथी हैं. हाथी अपनी मूवमेंट चेंज करते रहते हैं. एलिफेंट रिजर्व के एरिया में वर्तमान में करीब 70 हाथियों का डेरा है. एलिफेंट रिहैबिलिटेशन सेंटर के निर्माण के बाद अब क्षेत्र में हाथियों के लिये अनुकूल माहौल बन रहाम है. जिसमें उनके भोजन और पानी की व्यवस्था की गई है.

Last Updated : Nov 10, 2023, 12:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.