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छत्तीसगढ़ में परित्यक्त खदान भूमि पर बनेगा भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित वन - 885 एकड़ जमीन पर 80 हजार पेड़ लगाए जाएंगे.

छत्तीसगढ़ के दुर्ग में भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित वन (biggest man-made forest) बनाया जाएगा. 885 एकड़ जमीन पर 80 हजार पेड़ लगाए जाएंगे.

सबसे बड़ा मानव निर्मित वन
सबसे बड़ा मानव निर्मित वन
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Published : Jul 19, 2021, 6:10 AM IST

दुर्ग (छत्तीसगढ़) : छत्तीसगढ़ के दुर्ग (Durg) जिले में खदान की 885 एकड़ भूमि पर अगले तीन साल में तीन करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित वन (biggest man-made forest) बनाया जाएगा. अधिकारियों ने इस बाबत रविवार को जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि यह परियोजना, जिला प्रशासन की देखरेख में परित्यक्त नंदिनी चूनापत्थर स्थल पर पूरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके जरिये दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया जाएगा कि खदान की भूमि को जीव जंतुओं के प्राकृतिक आवास में कैसे बदला जा सकता है.

नंदिनी इलाके में लगभग 17 किलोमीटर वन क्षेत्र

राज्य सरकार के जन संपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'यह परियोजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर चलाई जा रही है. इस खदान से सेल के भिलाई स्टील प्लांट में चूनापत्थर की आपूर्ति की जाती थी लेकिन पिछले कुछ सालों से यह परित्यक्त स्थान है. खनन शुरू होने से पहले नंदिनी इलाके में लगभग 17 किलोमीटर वन क्षेत्र था. अब 885 एकड़ जमीन पर 80 हजार पेड़ लगाए जाएंगे. जिला खनिज फाउंडेशन से पैसा दिया जाएगा.'

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: शोपियां में आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़

दुर्ग डिवीजन के डिविजनल वन अधिकारी धम्मशील गणवीर ने कहा, 'इसके साथ ही इलाके में वन क्षेत्र ढाई हजार एकड़ बढ़ जाएगा. यह प्रवासी पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास का काम करेगा तथा पर्यावरण पर्यटन के अनुभव के लिए भी होगा. इस पर जल्दी ही कार्य शुरू होगा. यह क्षेत्र आर्द्रभूमि रहा है जहां व्हिस्लिंग डक और ओपनबिल स्टोर्क जैसे पक्षी देखे गए हैं. झील के किनारे के इलाके को पक्षियों के लिए विकसित किया जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

दुर्ग (छत्तीसगढ़) : छत्तीसगढ़ के दुर्ग (Durg) जिले में खदान की 885 एकड़ भूमि पर अगले तीन साल में तीन करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित वन (biggest man-made forest) बनाया जाएगा. अधिकारियों ने इस बाबत रविवार को जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि यह परियोजना, जिला प्रशासन की देखरेख में परित्यक्त नंदिनी चूनापत्थर स्थल पर पूरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके जरिये दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया जाएगा कि खदान की भूमि को जीव जंतुओं के प्राकृतिक आवास में कैसे बदला जा सकता है.

नंदिनी इलाके में लगभग 17 किलोमीटर वन क्षेत्र

राज्य सरकार के जन संपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'यह परियोजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर चलाई जा रही है. इस खदान से सेल के भिलाई स्टील प्लांट में चूनापत्थर की आपूर्ति की जाती थी लेकिन पिछले कुछ सालों से यह परित्यक्त स्थान है. खनन शुरू होने से पहले नंदिनी इलाके में लगभग 17 किलोमीटर वन क्षेत्र था. अब 885 एकड़ जमीन पर 80 हजार पेड़ लगाए जाएंगे. जिला खनिज फाउंडेशन से पैसा दिया जाएगा.'

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दुर्ग डिवीजन के डिविजनल वन अधिकारी धम्मशील गणवीर ने कहा, 'इसके साथ ही इलाके में वन क्षेत्र ढाई हजार एकड़ बढ़ जाएगा. यह प्रवासी पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास का काम करेगा तथा पर्यावरण पर्यटन के अनुभव के लिए भी होगा. इस पर जल्दी ही कार्य शुरू होगा. यह क्षेत्र आर्द्रभूमि रहा है जहां व्हिस्लिंग डक और ओपनबिल स्टोर्क जैसे पक्षी देखे गए हैं. झील के किनारे के इलाके को पक्षियों के लिए विकसित किया जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

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