जयपुर. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज की धातु से बनी विशालकाय प्रतिमा लगाने की तैयारी है. मीरा भयंदर रोड पर लगने वाली यह प्रतिमा करीब 30 फीट ऊंची है. दावा किया जा रहा है कि घोड़े पर सवार शिवाजी महाराज की धातु से बनी यह सबसे बड़ी प्रतिमा है. इस प्रतिमा को जयपुर में आकार दिया जा रहा है. धातु की प्रतिमाएं बनाने वाले देश के प्रसिद्ध कलाकार राजकुमार पंडित और उनके साथी जयपुर के विश्वकर्मा इंडस्ट्रीयल इलाके में इस प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल जून तक धातु की 30 फीट की यह प्रतिमा बनकर तैयार हो जाएगी. इसका वजन करीब 10 टन होगा.
धातु की मूर्ति बनाने वाले प्रसिद्ध कलाकार राजकुमार पंडित बताते हैं कि उन्हें मुंबई में लगने वाली शिवाजी महाराज की धातु की प्रतिमा बनाने का काम मिला है. वे और उनकी टीम करीब एक साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. काफी काम पूरा हो चुका है. अब आगामी जून तक इसे तैयार कर लिया जाएगा. मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की ओर से यह प्रतिमा लगवाई जा रही है.
एक साथ नहीं, टुकड़ों में जाएगी प्रतिमा : जयपुर में बन रही तीस फीट ऊंची यह प्रतिमा पूरी तरह होने के बाद मुंबई पहुंचाया जाएगा. यह प्रतिमा जयपुर से मुंबई तक का सफर एक बार में तय नहीं कर पाएगी. आकार में ज्यादा बड़ी होने के कारण इसे टुकड़ों में ट्रेलर की सहायता से मुंबई पहुंचाया जाएगा. आकार में बड़ी होने के कारण इस प्रतिमा को जयपुर से मुंबई पहुंचाना भी बड़ी चुनौती माना जा रहा है.
चार चरण में पूरी होती है प्रतिमा : इस प्रोजेक्ट से जुड़े कलाकार का कहना है कि सबसे पहले प्रतिमा का लोहे से स्ट्रक्चर बनाया जाता है. इस पर मिट्टी (क्ले) की मदद से मूर्ति का आकार और बनावट तय की जाती है. इसके बाद इसका मोल्ड (सांचा) निकाला जाता है, फिर इस सांचे पर वैक्स (मोम) चढ़ाया जाता है और भट्टी में पकाया जाता है. भट्टी में पककर तैयार सांचे पर धातु चढ़ाई जाती है. इस पूरी प्रक्रिया का हर एक चरण पूरा करने में काफी समय लगता है. इसलिए अब तक एक साल का समय लग चुका है, लेकिन अभी भी इसके जून तक पूरा होने की संभावना है.
पढ़ें : Ruckus in JNU on Shivaji: ABVP छात्रों ने दीवारों पर लिखा जय शिवाजी, कम्युनिस्ट्स आर नॉट अलाउड
25 लोगों की टीम एक साल से लगातार कर रही काम : प्रतिमा बनाने वाले राजकुमार पंडित बताते हैं कि उनकी टीम में कुल मिलाकर 25 लोग शामिल हैं. इनमें कलाकार और हेल्पर शामिल हैं. ये सब लोग पिछले एक साल से शिवाजी महाराज की विशालकाय प्रतिमा को बनाने में जुटे हुए हैं. हर कलाकार का अपना निर्धारित टास्क है और सभी लोग एक टीम के रूप रूप में दिन-रात मेहनत कर इस प्रतिमा को पूरा करने में जुटे हैं. अभी इसके सांचे बनाने की प्रक्रिया चल रही है.
85 फीसदी तांबा, हवा, धूप, पानी का नहीं होगा असर : राजकुमार पंडित ने बताया कि इस प्रतिमा पर हवा, धूप और पानी का कोई असर नहीं होगा. इसका कारण यह है कि यह प्रतिमा मुख्य रूप से ब्रॉन्ज की बनाई जाएगी. इसमें 85 फीसदी तांबा होगा. जबकि अन्य धातुएं भी मिश्रित की जाएंगी. इससे यह प्रतिमा लंबे समय तक खराब नहीं होगी.
पढ़ें : छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक समारोह मनाया
बारिश में गिर गया था ढांचा, बेकार गई मेहनत : यह प्रतिमा बनाने के दौरान कलाकारों को मौसम की चुनौती का भी सामना करना पड़ा था. क्ले (मिट्टी) का सांचा तैयार करने के बाद अचानक हुई तेज बारिश में इस ढांचे का काफी नुकसान हो गया था. इसके बाद इसे पूरी तरह नए सिरे से तैयार किया गया. इसके चलते इसे बनाने में कुछ समय ज्यादा लग गया है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्रतिमा इस साल जून तक बनकर तैयार हो जाएगी.