कोल्हापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बीते दिन 8 चीतों (8 Cheetahs) को कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़ा है. 70 साल के बाद भारत में चीतों का आगमन एक बार फिर हुआ है. इन चीतों सीधे नामीबिया (Namibia) के जंगलों से भारत में लाया गया है. लेकिन कभी एक समय ऐसा भी था कि कोल्हापुर में एक या दो नहीं, बल्कि 35 चीतों (35 Cheetahs In Kolhapur) को सिर्फ शिकार के लिए रखा जाता था. जीहां, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि छत्रपति शाहू महाराज (Chhatrapati Shahuji Maharaj) इन्हीं चीतों को शिकार के लिए रखते थे.
चीतों के शिकार का शाही खेल: सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में अफ्रीकी चीते को भारत लाने के लिए हरी झंडी दी थी. लेकिन हर कोई इस बात को लेकर उत्सुक था कि चीता असल में कब आएगा. चीता को दुनिया का सबसे फुर्तीला जानवर माना जाता है. लेकिन ये चीते 70 साल पहले भारत से विलुप्त हो गए थे. लेकिन एक समय था जब राजर्षि शाहू महाराज इन चीतों को शिकार (Chhatrapati Shahuji Maharaj used to hunt cheetahs) के लिए रखते थे. उन्हें शिकार का बहुत शौक था. चीतों का शिकार किया जा सकता है, यह जानने के बाद शाहू महाराज ने चीतों को शिकार के लिए रखा. यह शिकार का शाही खेल हुआ करता था.
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चीतों की होती थी देखभाल: शिकार के लिए लाए गए इन चीतों को प्रशिक्षित किया जाता था. चीतों की निगरानी के लिए, शाहू महाराज ने हैदराबाद संस्था से दो चिट्टेवानों को आमंत्रित किया था, जिसका अर्थ है चीता रखवाले. कोल्हापुर के बस अड्डा क्षेत्र में आज भी चित्तेखाना वास्तुकला देखी जा सकती है. इन चीतों की देखभाल करने वाले चित्तेवालों के वंशज आज भी शहर के बिंदु चौक इलाके में रहते हैं. कोल्हापुर में चित्तवान वंश के चौथे वंशज अमजद चित्तवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि चीतों को नहलाने और उनकी देखभाल करने का काम चित्तवनों का था.
1960 में अंतिम बार दर्ज चीता: भारतीय चीता विश्व में प्रसिद्ध था. हालांकि भारतीय चीते शिकार के कारण विलुप्त हो चुके हैं. भारत में, राजपूत राजा, हैदराबाद के नवाब और कोल्हापुर के राजा चीतों के शिकार के लिए प्रसिद्ध थे. छत्रपति शाहूजी महाराज ने ही चीतों के शिकार में इजाफा किया था. उनके द्वारा रखे गए चीते हिरणों का शिकार करते थे. शाहू महाराज के बाद इनका रखरखाव नहीं किया गया. वरिष्ठ इतिहास शोधकर्ता जयसिंहराव पवार ने कहा है कि आखिरी चीता 1960 में देखा गया था.
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किताबों में मिलता है कोल्हापुर और चीतों का उल्लेख: 'द एंड ऑफ ए ट्रेल, द चीता ऑफ इंडिया' (The End of a Trail, The Cheetah of India) पुस्तक भारत में चीतों के इतिहास को प्रस्तुत किया गया है. इसमें देश के कई संस्थानों का जिक्र किया गया है. पुस्तक में कोल्हापुर संस्थानों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. चीतों द्वारा शिकार कैसे लिया गया? उनकी देखभाल कैसे करें? ये सब तस्वीरों के साथ दिखाया गया है. कहा जाता है कि छत्रपति शाहूजी महाराज के समय में लगभग 35 चीतों को शिकार के लिए रखा गया था.