रायपुर : बृहस्पति सिंह हमला मामले को लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव अपनी ही सरकार से नाराज़ होकर विधानसभा से बाहर निकल गए. जिसके बाद पीएल पुनिया के फोन करने पर टीएस सिंहदेव विधानसभा पहुंचे. मुख्यमंत्री से कुछ देर में चर्चा होगी. मुख्यमंत्री कक्ष में सिंहदेव के साथ सीएम और कैबिनेट के दूसरे मंत्री करेंगे चर्चा.
दरअसल कांग्रेस के विधायक बृहस्पति सिंह के काफिले पर शनिवार रात अज्ञात लोगों ने पत्थर मारकर हमला कर दिया था. इसके बाद रामानुजगंज के इस कांग्रेस विधायक का सनसनीखेज बयान आया था कि उन पर जानलेवा हमला करने के पीछे टीएस सिंहदेव के लोग हो सकते हैं.
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरा दिन इस मामले को लेकर सरकार की ओर से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का सदन में बयान दिया कि पायलेट वाहन सहित सुरक्षित गंतव्य तक पहुंच गए थे, जिसमे उनके फॉलो वाहन से एक गाड़ी टकराई. उनकी चाबी लेकर गाड़ी में तोड़फोड़ किया गया है. वाहन चालक सुदर्शन सिंह की शिकायत पर FIR की गई. पुलिस ने त्वरित करवाई करते हुए 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बृहस्पति सिंह को Z सुरक्षा श्रेणी दी गई है.
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के सदन से बाहर निकलने पर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा, ढाई साल में (छत्तीसगढ़) सरकार पूरी तरह से बिखर गई है. जब एक मंत्री ने सरकार से सारी उम्मीदें खो दी हैं, तो राज्य के 2.7 करोड़ लोग इस पर क्यों भरोसा करेंगे? उन्होंने कहा, भाजपा की मांग है कि आज सदन में दिए गए बयानों पर राज्य विधानसभा और छत्तीसगढ़ की जनता के सामने स्पष्टीकरण पेश किया जाए.
बता दें कि बलरामपुर जिले से अम्बिकापुर आते वक्त रामानुजगंज विधायक बृहस्पति सिंह के काफिले पर शनिवार देर रात अज्ञात लोगों ने हमला किया था.
प्रदेश में पहली बार हुई इस तरह की घटना !
मानसून सत्र के पहले दिन सदन में दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देने के बाद बीजेपी ने इस मुद्दे पर जमकर बवाल मचाया. बीजेपी ने विधायक बृहस्पति सिंह पर हुए हमले और उनके आरोप को आधार बनाकर बघेल सरकार पर ताबड़तोड़ प्रश्नों की बौछार कर दी. बृहस्पति सिंह ने कहा था कि इस हमले के पीछे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का हाथ हो सकता है. इसको लेकर विपक्ष ने सवाल उठाना शुरू कर दिया. सबसे पहले पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि एक सदस्य द्वारा दूसरे सदस्य पर जानलेवा हमला कराने का आरोप लगाया गया है. ये घटना काफी गंभीर और शर्मनाक है, सदन के इतिहास में ये पहली घटना है, एक पार्टी के सदस्य अपनी ही पार्टी के मंत्री पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाया है. इसके बाद भाजपा सदस्यों ने इस मुद्दे पर सदन से स्वतः कार्रवाई करने की मांग की है.
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इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि ढाई साल में कांग्रेस के कितने रूप देखने को मिल रहे हैं, अंदर ही अंदर बड़ा विभाजन दिख रहा है. छत्तीसगढ़ में 15 साल में ऐसा मौका नहीं देखा, जो अभी दिख रहा है. विधायक पर हमला होना ये जांच का भी विषय है. नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि, ये कांग्रेस ही नहीं छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यजनक घटना है, सदन की कमेटी से इसकी जांच होनी चाहिए. इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि विपक्ष मीडिया में छपी खबरों के आधार पर मुद्दा बना रहा है. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में कहा- सभी विधायकों की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है और इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी. वहीं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि प्रदेश में किसी विधायक पर हमला नहीं हुआ है. एफआईआर के मुताबिक सुरक्षाकर्मी पर हमला हुआ है.
दिल्ली जा रहे पुनिया एयरपोर्ट से लौटे
सदन में जिस तरह से बृहस्पति सिंह और टीएस सिंहदेव के मामले में विपक्ष मुखर था और सिंहदेव के पक्ष में सरगुजा में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर उतरे. सरगुजा के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे सिंहदेव के खिलाफ साजिश बताया. इसकी खबर पार्टी आलाकमान तक पहुंच गई. पिछले तीन दिनों से प्रदेश में दौरे पर रहे पीएल पूनिया आज दिल्ली लौट रहे थे तभी अचानक वे एयरपोर्ट से सीधे विधानसभा के लिए रवाना हो गए. यहां उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, बृहस्पति सिंह समेत कुछ और नेताओं से बात की. हालांकि बाहर निकलने पर उन्होंने इस विषय पर बस इतना कहा कि, ये मामला खत्म हो चुका है. उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. पुनिया ने इसे बृहस्पति सिंह का निजी मामला बता दिया.
कांग्रेस को अंदर से सुलगा देने वाला क्या है ये पूरा मामला ?
दरअसल शनिवार रात को कांग्रेस विधायक के काफिले पर अंबिकापुर में पत्थर से हमला हुआ. इसे लेकर बृहस्पति सिंह का बयान आया कि, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के लोगों ने उन पर जानलेवा हमला किया है. क्योंकि उन्होंने कुछ दिन पहले मीडिया में उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तारीफ की थी और उनके द्वारा अच्छे काम किए जा रहे हैं इसके चलते उन्हें 20-25 सालों तक कोई नहीं सत्ता से हटा नहीं सकता. इसको लेकर शायद सिंहदेव के लोग नाराज हैं. इसके बाद उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर मेरा मर्डर करा कर सिंहदेव मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो उन्हें मुबारक. बस इसी मामले को लेकर आज विधानसभा में विपक्ष ने सरकार को घेरा है. संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में भी ये मामला सुलगता रहेगा.
निजी मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विवाद
राज्य में निजी मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब मंगलवार को एक अखबार ने खबर प्रकाशित की कि राज्य की कांग्रेस सरकार विधानसभा सत्र में चन्दूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, दुर्ग का अधिग्रहण करने के लिए एक विधेयक पेश करेगी. इस कॉलेज को उस परिवार के लोग चला रहे हैं जिस परिवार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बेटी की शादी हुई है.
अखबार में खबर छपने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर आरोपों को निराधार बताया. बघेल ने ट्वीट कर कहा है कि चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज पर प्रकाशित खबर महज कयास हैं और उसका आधार नहीं है. यह प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज और सैकड़ों छात्रों के भविष्य को बचाने का प्रयास है. इससे एक नया मेडिकल कॉलेज बनाने का समय बचेगा और हर साल प्रदेश को डेढ़ सौ डॉक्टर मिलेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक रिश्तेदारी और निहित स्वार्थ का सवाल है तो मैं प्रदेश की जनता को बताना चाहता हूं कि भूपेश बघेल उसके प्रति उत्तरदायी है और उसने हमेशा पारदर्शिता के साथ राजनीति की है, सरकार में भी हमेशा पारदर्शिता ही होगी. सौदा होगा तो सब कुछ साफ हो जाएगा.
उन्होंने ट्वीट किया कि यह खबर कल्पनाशीलता की पराकाष्ठा से उपजा विवाद है, जिसे मैं चुनौती देता हूं. अगर जनहित का सवाल होगा तो सरकार निजी मेडिकल कॉलेज भी ख़रीदेगी और नगरनार का संयंत्र भी. हम सार्वजनिक क्षेत्र के पक्षधर लोग हैं और रहेंगे. हम उनकी तरह जनता की संपत्ति बेच नहीं रहे हैं.
और कहा कि यह विधेयक कॉलेज से जुड़े लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है.
कॉलेज के अधिग्रहण के संबंध में मीडिया रिपोर्ट को लेकर अग्रवाल ने कहा कि ऐसा लगता है कि कॉलेज से जुड़े लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. अन्यथा ऐसे कई कॉलेज हैं जो नुकसान का सामना कर रहे हैं. क्या सरकार सभी कॉलजों का अधिग्रहण करने जा रही है.
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने भी इस मेडिकल कॉलेज के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज किया था. मेरी जानकारी के अनुसार कॉलेज पर 300 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. प्रस्तावित विधेयक में कर्ज चुकाने और वहां काम कर रहे डॉक्टरों और कर्मचारियों को समायोजित करने की प्रक्रिया का कोई जिक्र नहीं है.
अग्रवाल ने कहा कि कॉलेज का अधिग्रहण इससे जुड़े लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस अधिग्रहण ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री को संदेह के घेरे में ला दिया है.
भाजपा नेता ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में यह उल्लेख किया गया है कि कॉलेज को प्रति वर्ष 140 करोड़ रुपये दिए जाएंगे लेकिन कब तक यह स्पष्ट नहीं है. 140 करोड़ रुपये से एक नया मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जा सकता है.
इस विवाद के बाद राज्य सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि छत्तीसगढ़ की जनता और छात्रों के हित में इस मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण का फैसला लिया गया है.
राज्य के जनसंपर्क विभाग से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि चन्दूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, दुर्ग का अधिग्रहण संबंधी विधेयक छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किया जाएगा. 20 जुलाई को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस चिकित्सा महाविद्यालय के अधिग्रहण संबंधी विधेयक के प्रारूप को अनुमोदित किया गया है.