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चिट्टीसिंहपोरा नरसंहार के 22 साल गुजरे, पीड़ितों को अब भी न्याय का इंतजार - चिट्टीसिंहपोरा नरसंहार

जम्मू कश्मीर के चिट्टीसिंहपोरा में 35 सिखों की सामूहिक हत्या के 22 साल बीत गए हैं, मगर आज तक उनके परिवार वालों के जख्म पर मरहम नहीं लगा है. वह आज भी इंसाफ की इंतजार में हैं.

Chattisinghpora massacre
Chattisinghpora massacre
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Published : Mar 22, 2022, 4:15 PM IST

जम्मू-कश्मीर : करीब 22 साल पहले 20 मार्च 2000 को जम्मू और कश्मीर में अनंतनाग जिले के चिट्टीसिंहपोरा गांव में 35 सिखों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. आतंकियों ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत की राजकीय यात्रा की पूर्व संध्या पर इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया था.

20 मार्च 2000 को अनंतनाग जिले के चिट्टीसिंहपोरा गांव के गुरुद्वारे में सिख समुदाय के लोग प्रार्थना के लिए जमा हुए थे. तभी सैनिकों की ड्रेस में आतंकी वहां पहुंचे और भीड़ पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. इस गोलीमारी में 36 सिख मारे गए थे. केंद्र सरकार की जांच में सामने आया कि इस नरसंहार के पीछे आतंकी ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों का हाथ था. घटना के पांच दिन बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया कि इस घटना में शामिल पांच उग्रवादियों को एक मुठभेड़ में मार गिराया गया है. हालांकि बाद में इस एनकाउंटर पर भी सवाल उठे. सीबीआई ने 2006 के अपने आरोप पत्र में कहा कि मारे गए सभी पांच लोग आम नागरिक थे.

20 मार्च 2022 को इस हत्याकांड की 22वीं बरसी पर सिख समुदाय के लोगों ने श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि पीड़ितों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दोषियों को सजा दिलाना होगा. उन्होंने कहा कि हत्यारों को सजा न देकर अधिकारी इतने सालों में न्याय दिलाने में विफल रहे हैं. वह भयानक घटना हमारे दिमाग में अंकित है और हम उस खूनी रात को कभी नहीं भूलेंगे. सरकारें मामले को सुलझाने में नाकाम रही हैं.

स्थानीय सिख समुदाय ने राज्य सरकार से हत्यारों का पता लगाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर सरकार निष्पक्ष होकर जांच करेगी तभी सच्चाई का खुलासा हो सकता है.

पढ़ें : तेलंगाना: सड़क हादसा देख 16 वर्षीय युवक की हार्ट अटैक से मौत

जम्मू-कश्मीर : करीब 22 साल पहले 20 मार्च 2000 को जम्मू और कश्मीर में अनंतनाग जिले के चिट्टीसिंहपोरा गांव में 35 सिखों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. आतंकियों ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत की राजकीय यात्रा की पूर्व संध्या पर इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया था.

20 मार्च 2000 को अनंतनाग जिले के चिट्टीसिंहपोरा गांव के गुरुद्वारे में सिख समुदाय के लोग प्रार्थना के लिए जमा हुए थे. तभी सैनिकों की ड्रेस में आतंकी वहां पहुंचे और भीड़ पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. इस गोलीमारी में 36 सिख मारे गए थे. केंद्र सरकार की जांच में सामने आया कि इस नरसंहार के पीछे आतंकी ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों का हाथ था. घटना के पांच दिन बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया कि इस घटना में शामिल पांच उग्रवादियों को एक मुठभेड़ में मार गिराया गया है. हालांकि बाद में इस एनकाउंटर पर भी सवाल उठे. सीबीआई ने 2006 के अपने आरोप पत्र में कहा कि मारे गए सभी पांच लोग आम नागरिक थे.

20 मार्च 2022 को इस हत्याकांड की 22वीं बरसी पर सिख समुदाय के लोगों ने श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि पीड़ितों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दोषियों को सजा दिलाना होगा. उन्होंने कहा कि हत्यारों को सजा न देकर अधिकारी इतने सालों में न्याय दिलाने में विफल रहे हैं. वह भयानक घटना हमारे दिमाग में अंकित है और हम उस खूनी रात को कभी नहीं भूलेंगे. सरकारें मामले को सुलझाने में नाकाम रही हैं.

स्थानीय सिख समुदाय ने राज्य सरकार से हत्यारों का पता लगाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर सरकार निष्पक्ष होकर जांच करेगी तभी सच्चाई का खुलासा हो सकता है.

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