छपरा: बिहार के सारण में छपरा जिला उपभोक्ता आयोग ने नौ वर्ष पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए रेल अधिकारियों को जुर्माना लगाया है. दरअसल, 9 वर्ष पहले एक यात्री ने एसी फर्स्ट क्लास का टिकट लिया गया था लेकिन रेलवे द्वारा उस श्रेणी की बोगी ट्रेन में नहीं लगाई गई थी. उसे दूसरी श्रेणी की बोगी में सफर करने का कहा गया था. इससे नाराज होकर उस यात्री ने जिला उपभोक्ता आयोग में रेल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया.
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9 साल पुराने मामले में फैसला: छपरा के नगर थाना क्षेत्र के माधव बिहारी लेने सलेमपुर के रहने वाले मनकेश्वर प्रसाद सिंह ने 2014 में उपभोक्ता आयोग में परिवाद दाखिल किया था. उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल 2014 को दिल्ली कैंट से छपरा के लिए गरीब नवाज एक्सप्रेस में एसी फर्स्ट क्लास का 2967 रुपये का टिकट कटवाया था. निश्चित तिथि को ट्रेन में एसी फर्स्ट क्लास का डिब्बा लगाया ही नहीं गया.
'फर्स्ट क्लास का टिकट लेकिन सेकेंड क्लास में सीट': वह बताते हैं कि जब उन्होंने रेल अधिकारियों को शिकायत की तो उन्हें दूसरी श्रेणी में सीट दी गई, जिसका मूल्य कम था. इससे उन्हें मानसिक और शारीरिक परेशानी हुई. वह दिल के मरीज हैं और अपने घुटने का प्रत्यारोपण कराने एम्स गए हुए थे. इसके विरुद्ध उन्होंने रेलवे बोर्ड में 22 अप्रैल 2014 को एक टीडीआर भी भरा था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अंतत उन्होंने उपभोक्ता आयोग में परिवाद दाखिल किया था.
"मैंने 21 अप्रैल 2014 को दिल्ली कैंट से छपरा के लिए गरीब नवाज एक्सप्रेस में एसी फर्स्ट क्लास का टिकट लिया था. जिसके लिए मैंने 2967 रुपये पे किया था लेकिन निश्चित तिथि को जब सफर करने के लिए गया तो ट्रेन में एसी फर्स्ट क्लास का डिब्बा नहीं लगाया गया था. मैंने जब शिकायत की तो मुझे दूसरी श्रेणी में सफर करने को कहा गया. मैं दिल का मरीज हैं और अपने घुटने का प्रत्यारोपण कराने एम्स गया हुआ था"- मनकेश्वर प्रसाद सिंह, शिकायतकर्ता
उत्तर रेलवे नई दिल्ली के महाप्रबंधक पर 30000 का जुर्माना: मनकेश्वर प्रसाद सिंह की शिकायत पर जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह और सदस्य मनमोहन कुमार की पीठ ने सुनवाई करते हुए यात्री को शारीरिक और मानसिक कष्ट पहुंचाने के लिए ₹25000 जुर्माना उत्तर रेलवे नई दिल्ली के महाप्रबंधक वाणिज्य को भुगतान करने का आदेश दिया है. साथ ही मुकदमा शुल्क के तौर पर ₹5000 अलग से देने होंगे. 2 माह के अंदर यह राशि भुगतान नहीं करने पर 9% ब्याज दर की दर से आवेदक को भुगतान करना होगा.