बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-2 के 'आर्बिटर' और चंद्रयान-3 के 'लुनार मॉड्यूल' के बीच दोतरफा संचार स्थापित हुआ है.
राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, 'स्वागत है दोस्त! चंद्रयान-2 आर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया. दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है. एमओक्स (मिशन ऑपरेशंस कॉम्पलेक्स) के पास अब लैंडर मॉड्यूल तक पहुंचने के लिए अधिक मार्ग हैं.'
चांद पर उतरने की 'प्रक्रिया बेहद जटिल' : उधर, चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के बुधवार को अपेक्षित 'टचडाउन' (उतरने की प्रक्रिया) से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर (Former ISRO chief Madhavan Nair) ने योजना के अनुरूप सब कुछ सफल होने की कामना की. उन्होंने कहा कि 'टचडाउन' बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और सभी को सतर्क रहना होगा, क्योंकि इसकी सफलता के लिए जरूरी है कि सभी प्रणाली एकसाथ काम करें.
चंद्रयान-1 मिशन के प्रक्षेपण के वक्त 2008 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नेतृत्व कर रहे नायर ने कहा कि एक सफल लैंडिंग ग्रहों के अन्वेषण के अगले चरण के लिए इसरो की एक बड़ी शुरुआत होगी.
उन्होंने सोमवार को कहा, 'यह (लैंडिंग) एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है. हम आखिरी दो किलोमीटर (चंद्रमा की सतह से ऊपर) में ऐसा (चंद्रयान -2 मिशन में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग) करने से चूक गए.'
नायर ने कहा, 'तो ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें एक साथ काम करना होगा...थ्रस्टर, सेंसर, अल्टीमीटर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और बाकी सभी चीजें. कहीं भी कोई गड़बड़ी होने पर...हम मुसीबत में पड़ सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमें वास्तव में सतर्क रहना होगा और निगरानी रखनी होगी. बेशक, मैं समझता हूं कि इसरो ने पर्याप्त सिमुलेशन (अनुकूलन तैयारी) किया है और अतिरेक को लेकर भी काम किया है ताकि ऐसी विफलता की संभावना कम हो. फिर भी, हमें अपनी तरफ से दुआ करनी होगी.'
इसरो के अनुसार, रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के बुधवार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है.
नायर ने कहा, 'हम (चंद्रमा की) सतह से जो आंकड़े एकत्र कर सकते हैं, वह कुछ खनिजों की पहचान करने में उपयोगी होगा...दुर्लभ खनिज, ...हीलियम-3 इत्यादि. यह भी जांचने का प्रयास किया जाएगा कि हम अन्वेषण या मानव उपस्थिति के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास किस प्रकार की व्यवस्था कर सकते हैं. यह (सफल सॉफ्ट-लैंडिंग) इसरो के ग्रह अन्वेषण के अगले चरण के लिए एक बड़ी शुरुआत होने जा रही है.'
ये भी पढ़ें- Watch: जानें चंद्रयान-3 के फेलियर बेस्ड डिजाइन में क्या है खास, क्यों हार नहीं मानेगा 'विक्रम' |
(पीटीआई-भाषा)