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Watch Video : विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व डायरेक्टर बोले, सफल होगा चंद्रयान 3 का प्रक्षेपण

भारत चंद्रयान 3 लॉन्च (Chandrayaan 3 launch ) करने के लिए तैयार है. इस बीच विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व डायरेक्टर और चंद्रयान 1 लॉन्च प्राधिकरण बोर्ड के प्रमुख एमसी दाथन का बयान सामने आया है. जानिए उन्होंने क्या कहा.

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Published : Jul 13, 2023, 9:22 PM IST

Updated : Jul 14, 2023, 6:52 AM IST

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तिरुवनंतपुरम : विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व डायरेक्टर और चंद्रयान 1 लॉन्च प्राधिकरण बोर्ड के प्रमुख एमसी दाथन (MC Dattan) का कहना है कि चंद्रयान 2 को फेल नहीं मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 का प्रक्षेपण (Chandrayaan 3 launch) सफल होगा. बता दें, श्रीहरिकोटा से आज चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग होनी है.

उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट 90 फीसदी लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा है. लेकिन केवल लैंडिंग चरण में असफल रहा. चंद्रयान 2 में हमारे पास लैंडर रोवर सिस्टम है. हमने एक सॉफ्ट लैंडिंग के बारे में सोचा था, लेकिन सॉफ्टवेयर लॉजिक कंट्रोल एल्गोरिदम और प्रभावों के संयोजन का उपयोग करने में कुछ त्रुटियों के कारण लैंडिंग सॉफ्ट नहीं हो सकी. अब उन सभी मापदंडों का दोबारा अध्ययन किया गया है. इसे ठीक कर लिया गया है. इस मिशन के लिए भी इसरो ने दूसरे मिशन वाली ऑर्बिट चुना है.

कल के मिशन के लिए इसरो के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान का उपयोग किया जाएगा. 5 टन तक वजनी उपग्रह को 36000 किमी की दूरी की कक्षा में स्थापित किया जा सकता है. मार्क 3 रॉकेट को मनुष्यों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए संशोधित किया गया है. स्वदेश निर्मित मार्क 3 रॉकेट का 7वां मिशन कल है.

एमसी दाथन का कहना है कि मार्क 3 प्रक्षेपण यान के बिना हम चंद्रयान 3 और गगनयान जैसे मिशनों के बारे में सोच भी नहीं सकते. दातन ने यह भी स्पष्ट किया कि मार्क 3 रॉकेट इसरो के मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. दरअसल इस रॉकेट के निर्माण के सभी चरणों में एम. सी. दातन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

चंद्रयान 3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर एक लैंडर को उतारना और एक रोवर का उपयोग करके विस्तृत अध्ययन करना है. चंद्रमा की सतह पर खनिज और पानी की उपलब्धता का भी विस्तार से अध्ययन किया जाएगा. कल लॉन्च होने वाला मिशन 23 या 24 अगस्त को चंद्र सतह पर उतरेगा. लैंडर को प्रोपल्शन मॉड्यूल के बगल में रखा गया है. लैंडिंग एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है.

1.4 टन का लालटर्म एल्गोरिदम और सॉफ्टवेयर की मदद से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. इसके बाद रोवर ऑर्बिटर से निकलकर चंद्रमा की सतह पर यात्रा करेगा. 25 किलोग्राम के रोवर में दो पेलोड हैं. रोवर मिट्टी सहित चंद्रमा की सतह को स्कैन करेगा और उस जानकारी को लालटेन (lantern) तक पहुंचाएगा. यह लालटर्म ही है जो पृथ्वी पर सूचना भेजता है. सफल होने पर मिशन दुनिया के लिए अजूबा बन जाएगा.

चंद्रयान 1 ने बड़ा बदलाव किया है : एमसी दाथन ने कहा कि मिशन चंद्रयान 1 पूरी तरह से सफल रहा और इसने एक बड़ा बदलाव लाया. हालांकि हमारे देश ने पहले भी अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत गौरव हासिल किया था, लेकिन चंद्रयान 1 मिशन की सफलता ने दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा. इसरो को काफी स्वीकार्यता मिली. युवा इसरो का अधिक हिस्सा बने. जलवायु परिवर्तन का सभी अध्ययन किया गया है.

एम. सी. दाथन ने कहा कि कम लागत पर बड़े मिशन को अंजाम देने की क्षमता इसरो की विशिष्टता है. ऐसे कई कारक हैं जो इसमें योगदान करते हैं. घटकों के निर्माण की कम लागत इसमें एक प्रमुख कारक है. इसे अन्य देशों की तुलना में श्रम की कम लागत से भी मदद मिलती है. चंद्रयान 1 की लागत 386 करोड़, चंद्रयान 2 की 970 करोड़ और चंद्रयान 3 की लागत 615 करोड़ है. इससे पूरी दुनिया हैरान रह जाएगी.

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तिरुवनंतपुरम : विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व डायरेक्टर और चंद्रयान 1 लॉन्च प्राधिकरण बोर्ड के प्रमुख एमसी दाथन (MC Dattan) का कहना है कि चंद्रयान 2 को फेल नहीं मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 का प्रक्षेपण (Chandrayaan 3 launch) सफल होगा. बता दें, श्रीहरिकोटा से आज चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग होनी है.

उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट 90 फीसदी लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा है. लेकिन केवल लैंडिंग चरण में असफल रहा. चंद्रयान 2 में हमारे पास लैंडर रोवर सिस्टम है. हमने एक सॉफ्ट लैंडिंग के बारे में सोचा था, लेकिन सॉफ्टवेयर लॉजिक कंट्रोल एल्गोरिदम और प्रभावों के संयोजन का उपयोग करने में कुछ त्रुटियों के कारण लैंडिंग सॉफ्ट नहीं हो सकी. अब उन सभी मापदंडों का दोबारा अध्ययन किया गया है. इसे ठीक कर लिया गया है. इस मिशन के लिए भी इसरो ने दूसरे मिशन वाली ऑर्बिट चुना है.

कल के मिशन के लिए इसरो के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान का उपयोग किया जाएगा. 5 टन तक वजनी उपग्रह को 36000 किमी की दूरी की कक्षा में स्थापित किया जा सकता है. मार्क 3 रॉकेट को मनुष्यों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए संशोधित किया गया है. स्वदेश निर्मित मार्क 3 रॉकेट का 7वां मिशन कल है.

एमसी दाथन का कहना है कि मार्क 3 प्रक्षेपण यान के बिना हम चंद्रयान 3 और गगनयान जैसे मिशनों के बारे में सोच भी नहीं सकते. दातन ने यह भी स्पष्ट किया कि मार्क 3 रॉकेट इसरो के मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. दरअसल इस रॉकेट के निर्माण के सभी चरणों में एम. सी. दातन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

चंद्रयान 3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर एक लैंडर को उतारना और एक रोवर का उपयोग करके विस्तृत अध्ययन करना है. चंद्रमा की सतह पर खनिज और पानी की उपलब्धता का भी विस्तार से अध्ययन किया जाएगा. कल लॉन्च होने वाला मिशन 23 या 24 अगस्त को चंद्र सतह पर उतरेगा. लैंडर को प्रोपल्शन मॉड्यूल के बगल में रखा गया है. लैंडिंग एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है.

1.4 टन का लालटर्म एल्गोरिदम और सॉफ्टवेयर की मदद से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. इसके बाद रोवर ऑर्बिटर से निकलकर चंद्रमा की सतह पर यात्रा करेगा. 25 किलोग्राम के रोवर में दो पेलोड हैं. रोवर मिट्टी सहित चंद्रमा की सतह को स्कैन करेगा और उस जानकारी को लालटेन (lantern) तक पहुंचाएगा. यह लालटर्म ही है जो पृथ्वी पर सूचना भेजता है. सफल होने पर मिशन दुनिया के लिए अजूबा बन जाएगा.

चंद्रयान 1 ने बड़ा बदलाव किया है : एमसी दाथन ने कहा कि मिशन चंद्रयान 1 पूरी तरह से सफल रहा और इसने एक बड़ा बदलाव लाया. हालांकि हमारे देश ने पहले भी अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत गौरव हासिल किया था, लेकिन चंद्रयान 1 मिशन की सफलता ने दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा. इसरो को काफी स्वीकार्यता मिली. युवा इसरो का अधिक हिस्सा बने. जलवायु परिवर्तन का सभी अध्ययन किया गया है.

एम. सी. दाथन ने कहा कि कम लागत पर बड़े मिशन को अंजाम देने की क्षमता इसरो की विशिष्टता है. ऐसे कई कारक हैं जो इसमें योगदान करते हैं. घटकों के निर्माण की कम लागत इसमें एक प्रमुख कारक है. इसे अन्य देशों की तुलना में श्रम की कम लागत से भी मदद मिलती है. चंद्रयान 1 की लागत 386 करोड़, चंद्रयान 2 की 970 करोड़ और चंद्रयान 3 की लागत 615 करोड़ है. इससे पूरी दुनिया हैरान रह जाएगी.

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Last Updated : Jul 14, 2023, 6:52 AM IST
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