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बंगाल : महामारी के कारण चंदन नगर के लाइट बाजार पर छाया अंधेरा

पश्चिम बंगाल में चंदन नगर अपने लाइट वर्क्स से मशहूर है. पिछले दो साल से कोरोना वायरस के कारण इस व्यवसाय पर अंधेरा छा गया है और कई कारोबारियों को मजबूरन किराने और सब्जी की दुकान खोलनी पड़ गई है.

चंदन नगर
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Published : Jun 16, 2021, 11:51 PM IST

चंदन नगर : पश्चिम बंगाल (West Bengal) के हुगली के जिले (Hooghly District) के चंदेरनगर (Chandan Nagar) की फ्रेंच कॉलोनी (French Colony) अपने लाइट वर्क्स (Light Works) से मशहूर है. पिछले दो साल से कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण यहां लाइट के कारोबार पर पूरी तरह से अंधेरा छा गया है. महामारी की पहली और दूसरी लहर ने लाइट कारोबारियों के लिए बड़ा संकट (Crisis) पैदा कर दिया है.

ये भी पढे़ं : आरएसएस की आपत्ति के कारण मुकुल रॉय को विस चुनाव से दूर रखा गया : रिपोर्ट

बीते साल कारोबार ठप होने के कारण कई कारोबारियों ने धंधे से अपने पैर पीछे खींच लिए थे. वहीं, कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Corona Virus) में धंधे में कोई तेजी नहीं दिख रही है. हालांकि कुछ लोग व्यापार को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूजा समितियां अपने व्यापार को किराए पर लेने से हिचक रही हैं.

लोन लेकर भी डूबा कारोबार

कुछ कारोबारियों ने लाइट का कच्चा माल खरीदने के लिए बैंक से लोन भी लिया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. इस धंधे से जुड़े कामकाजी लोग लॉकडाउन के कारण बाजार में वापस आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. कई वर्करों को मजबूरन दूसरा काम तलाशना पड़ रहा है.

अब कारोबारियों को राज्य सरकार से सब्सिडी और सहायता की उम्मीद है, क्योंकि महामारी की आगामी तीसरी लहर (Third Wave of Corona Virus) की वजह से उनमें डर घर कर गया है. ऐसे में कई लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamta Banjerjee) का चंदेरनगर में 'लाइट हब' (Light Hub Dream Project) का ड्रीम प्रोजेक्ट कहीं एक सपना बनकर ही ना रह जाए.

किराने-सब्जी की दुकान से चला रहे घर

वैक्सीनेशन की धीमी गति के कारण भी बाजार पर में तेजी नहीं आ रही है. बता दें कि तकरीबन 10 हजार श्रमिक इस व्यापार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे. कोरोना के कारण ठप हुए कारोबार से जुड़े कारोबारियों ने सब्जी और किराने की दुकान खोल ली है. अब इस व्यापार में केवल सौ कारोबारी ही बचे हैं.

कारोबारियों ने कहा कि मई में देश के अलग-अलग हिस्सों से ऑर्डर आने शुरू हो गए थे. प्रत्येक वर्ष व्यापार का औसत लेनदेन मूल्य 100 करोड़ रुपये था, लेकिन अब सब बर्बाद हो गया.

राज्य में सभी व्यवसाय ठप

संघ सचिव बाबू पाल ने कहा, 'प्रदेश के साथ-साथ देश में लाइट वर्क से जुड़े सभी काम अभी पूरी तरह ठप हैं. हमें नहीं पता कि भविष्य के लिए कैसे और क्या योजना बनाई जाए.'

उन्होंने आगे कहा, 'हमने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के विधायक इंद्रनील सेन के साथ प्रस्तावित लाइट हब पर चर्चा की थी. व्यापार में प्रत्येक आर्टिस्ट को प्रस्तावित हब में स्लॉट पाने के लिए 50 हजार रुपये देने की आवश्यकता है, पर अब ये मुमकिन नहीं है.'

ये भी पढे़ं : आज से 256 जिलों में सोने पर अनिवार्य हॉलमार्किंग की व्यवस्था लागू

उनके अनुसार, महामारी से पहले आर्टिस्ट को दिल्ली से चीनी एलईडी लैंप की नियमित आपूर्ति मिलती थी, जो मौजूदा संकट के कारण बंद है. इसलिए हमारे बचने की एकमात्र शर्त सरकारी सहायता है, जो श्रमिक व्यापार से जुड़े हैं, उन्हें जल्द से जल्द टीका लगाया जाना चाहिए.'

चंदन नगर : पश्चिम बंगाल (West Bengal) के हुगली के जिले (Hooghly District) के चंदेरनगर (Chandan Nagar) की फ्रेंच कॉलोनी (French Colony) अपने लाइट वर्क्स (Light Works) से मशहूर है. पिछले दो साल से कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण यहां लाइट के कारोबार पर पूरी तरह से अंधेरा छा गया है. महामारी की पहली और दूसरी लहर ने लाइट कारोबारियों के लिए बड़ा संकट (Crisis) पैदा कर दिया है.

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बीते साल कारोबार ठप होने के कारण कई कारोबारियों ने धंधे से अपने पैर पीछे खींच लिए थे. वहीं, कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Corona Virus) में धंधे में कोई तेजी नहीं दिख रही है. हालांकि कुछ लोग व्यापार को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूजा समितियां अपने व्यापार को किराए पर लेने से हिचक रही हैं.

लोन लेकर भी डूबा कारोबार

कुछ कारोबारियों ने लाइट का कच्चा माल खरीदने के लिए बैंक से लोन भी लिया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. इस धंधे से जुड़े कामकाजी लोग लॉकडाउन के कारण बाजार में वापस आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. कई वर्करों को मजबूरन दूसरा काम तलाशना पड़ रहा है.

अब कारोबारियों को राज्य सरकार से सब्सिडी और सहायता की उम्मीद है, क्योंकि महामारी की आगामी तीसरी लहर (Third Wave of Corona Virus) की वजह से उनमें डर घर कर गया है. ऐसे में कई लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamta Banjerjee) का चंदेरनगर में 'लाइट हब' (Light Hub Dream Project) का ड्रीम प्रोजेक्ट कहीं एक सपना बनकर ही ना रह जाए.

किराने-सब्जी की दुकान से चला रहे घर

वैक्सीनेशन की धीमी गति के कारण भी बाजार पर में तेजी नहीं आ रही है. बता दें कि तकरीबन 10 हजार श्रमिक इस व्यापार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे. कोरोना के कारण ठप हुए कारोबार से जुड़े कारोबारियों ने सब्जी और किराने की दुकान खोल ली है. अब इस व्यापार में केवल सौ कारोबारी ही बचे हैं.

कारोबारियों ने कहा कि मई में देश के अलग-अलग हिस्सों से ऑर्डर आने शुरू हो गए थे. प्रत्येक वर्ष व्यापार का औसत लेनदेन मूल्य 100 करोड़ रुपये था, लेकिन अब सब बर्बाद हो गया.

राज्य में सभी व्यवसाय ठप

संघ सचिव बाबू पाल ने कहा, 'प्रदेश के साथ-साथ देश में लाइट वर्क से जुड़े सभी काम अभी पूरी तरह ठप हैं. हमें नहीं पता कि भविष्य के लिए कैसे और क्या योजना बनाई जाए.'

उन्होंने आगे कहा, 'हमने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के विधायक इंद्रनील सेन के साथ प्रस्तावित लाइट हब पर चर्चा की थी. व्यापार में प्रत्येक आर्टिस्ट को प्रस्तावित हब में स्लॉट पाने के लिए 50 हजार रुपये देने की आवश्यकता है, पर अब ये मुमकिन नहीं है.'

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उनके अनुसार, महामारी से पहले आर्टिस्ट को दिल्ली से चीनी एलईडी लैंप की नियमित आपूर्ति मिलती थी, जो मौजूदा संकट के कारण बंद है. इसलिए हमारे बचने की एकमात्र शर्त सरकारी सहायता है, जो श्रमिक व्यापार से जुड़े हैं, उन्हें जल्द से जल्द टीका लगाया जाना चाहिए.'

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