हरिद्वार : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण (Shri Ram Mandir Ayodhya) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय (Champat Rai) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी (PM Narendra Modi on Ram Mandir) कोर्ट में चल रहे राम मंदिर विवाद में बाधक नहीं बने. साथ ही उन्होंने राम मंदिर निर्माण के स्वरूप और उसके संघर्ष की कहानी का विस्तार से वर्णन किया.
बता दें कि विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra General Secretary Champat Rai) इन दिनों हरिद्वार भ्रमण पर हैं. जहां वे राम मंदिर निर्माण के संबंध में संतों महात्माओं और कई वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात कर रहे हैं. इस कड़ी में आज चंपत राय हरिद्वार प्रेस क्लब पहुंचे. जहां उन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर विस्तार से वार्ता की.
राम मंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं
चंपत राय ने बताया कि आगामी 2023 तक श्री राम मंदिर के गर्भ गृह में भगवान श्री राम को स्थापित कर दिया जाएगा. राम मंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जा रहा है. राम मंदिर निर्माण में 17 से 18 लाख क्यूबेक फीट पत्थर का उपयोग किया जा रहा है. राम मंदिर का निर्माण अगले 1000 साल तक के हिसाब से किया जा रहा है.
पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ की भूमिका
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राम मंदिर निर्माण में भूमिका (PM Modi Role in ram mandir construction) इतनी रही है कि उन्होंने मंदिर निर्माण को लेकर कोर्ट में चल रहे विवाद को लेकर बाधक नहीं बने और कानून को अपना काम करने दिया. वहीं, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)की भी भूमिका पर कहा कि उन्हीं के चलते हाईकोर्ट में रखी फाइलों का अनुवाद जल्द हो सका. जिस कारण मंदिर को लेकर फैसला जल्द आ सका.
सरकार का काम मंदिरों का संचालन नहीं
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय (Vishwa Hindu Parishad International Vice President Champat Rai) ने उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड भंग (Champat Rai Statement on Devasthanam Board dissolved) किए जाने पर स्वागत किया है.
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साथ ही उन्होंने अन्य सभी दक्षिण भारत के अधिग्रहित मंदिरों को भी मुक्त किए जाने की मांग की. चंपत राय का कहना है कि सरकारों का कार्य मंदिरों का संचालन करना नहीं है. मंदिर का संचालन मंदिर के भक्तों का काम है और विश्व हिंदू परिषद के अंतर्गत यह उसकी नीति का हिस्सा है.