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चैत्र नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, ब्रह्मचर्य पालन की मिलती है प्रेरणा - नवरात्रि पूजा 2022

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्माचरिणी की पूजा का विधान है. मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी का है. यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से है और 'ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली, यानी ये देवी तप का आचरण करने वाली हैं. मां दुर्गा का ये स्वरूप अनन्त फल देने वाला है.

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नवरात्रि का दूसरा दिन
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Published : Apr 3, 2022, 12:56 PM IST

देहरादून: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मां ब्रह्माचरिणी हिमालय की पुत्री थीं और नारद के उपदेश के बाद भगवान (Chaitra Navratri 2022) शिव को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया, जिस कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां का यह रूप काफी शांत और मोहक है. माना जाता है कि जो भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मां का यह स्‍वरूप आपको ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है.

कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: कहते हैं आज जो भी व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है, वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीतने की शक्ति हासिल कर सकता है. इससे व्यक्ति के अंदर संयम, धैर्य और परिश्रम करने के लिये मनोबल की भी बढ़ोत्तरी होती है. अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है- ''ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: ।''

आज आपको इस मंत्र की कम से कम एक माला, यानि 108 बार जाप करना चाहिए. इससे विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित होगी साथ ही आज माता को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है. इसके साथ ही नौ ग्रहों में से मंगल के ऊपर मां ब्रह्मचारिणी का आधिपत्य रहता है. लिहाजा मंगल सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बड़ा ही लाभदायी होगा.

माता को शक्कर से बनी चीजें काफी प्रिय: आप माता को शक्कर से बनी खीर, मिठाई, हलवा आदि का भोग लगा सकते हैं. अगर आप माता को खीर का भोग लगाना चाहते हैं और आपका व्रत है जिसे आप भी प्रसाद के रूप में खाना चाहते हैं, तो आप साबूदाने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं. साबूदाने को व्रत के दौरान खूब खाया और पसंद किया जाता है.

यह भी पढ़ें- चैत्र नवरात्र में हरिद्वार स्थित सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर के करें दर्शन, बेहद खास है महिमा

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें. इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं.

मां ब्रह्मचारिणी की आरती:

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

दिल्ली के झंडेवालान मंदिर (Jhandewalan Temple) के मुख्य पुजारी अंबिका प्रसाद पंत (Ambika Prasad Pant) के मुताबिक यदि कुंवारी कन्याएं माता ब्रह्मचारिणी की पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करें, तो माता उन्हें योग्य वर मिलने का आशीर्वाद देती हैं. जिस प्रकार से भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए ब्रह्मचारिणी माता ने हजारों सालों तक तप किया था.

यह भी पढ़ें- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पूजा विधि

पंडित अंबिका पंत ने बताया कि ब्रह्मचारिणी माता को तपस्या का फल मिला और फिर उन्हें भोलेनाथ पति रूप में प्राप्त हुए थे ठीक उसी प्रकार से कुंवारी कन्याओं की भी यही कामना होती है कि उन्हें भी योग्य वर प्राप्त हो. इसके साथ ही माता ब्रह्मचारिणी की गृहस्थ जीवन से जुड़े श्रद्धालु भी यदि सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी आराधना करता है तो माता उनके घर में, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.

देहरादून: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मां ब्रह्माचरिणी हिमालय की पुत्री थीं और नारद के उपदेश के बाद भगवान (Chaitra Navratri 2022) शिव को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया, जिस कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां का यह रूप काफी शांत और मोहक है. माना जाता है कि जो भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मां का यह स्‍वरूप आपको ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है.

कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: कहते हैं आज जो भी व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है, वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीतने की शक्ति हासिल कर सकता है. इससे व्यक्ति के अंदर संयम, धैर्य और परिश्रम करने के लिये मनोबल की भी बढ़ोत्तरी होती है. अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है- ''ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: ।''

आज आपको इस मंत्र की कम से कम एक माला, यानि 108 बार जाप करना चाहिए. इससे विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित होगी साथ ही आज माता को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है. इसके साथ ही नौ ग्रहों में से मंगल के ऊपर मां ब्रह्मचारिणी का आधिपत्य रहता है. लिहाजा मंगल सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बड़ा ही लाभदायी होगा.

माता को शक्कर से बनी चीजें काफी प्रिय: आप माता को शक्कर से बनी खीर, मिठाई, हलवा आदि का भोग लगा सकते हैं. अगर आप माता को खीर का भोग लगाना चाहते हैं और आपका व्रत है जिसे आप भी प्रसाद के रूप में खाना चाहते हैं, तो आप साबूदाने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं. साबूदाने को व्रत के दौरान खूब खाया और पसंद किया जाता है.

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माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें. इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं.

मां ब्रह्मचारिणी की आरती:

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

दिल्ली के झंडेवालान मंदिर (Jhandewalan Temple) के मुख्य पुजारी अंबिका प्रसाद पंत (Ambika Prasad Pant) के मुताबिक यदि कुंवारी कन्याएं माता ब्रह्मचारिणी की पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करें, तो माता उन्हें योग्य वर मिलने का आशीर्वाद देती हैं. जिस प्रकार से भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए ब्रह्मचारिणी माता ने हजारों सालों तक तप किया था.

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पंडित अंबिका पंत ने बताया कि ब्रह्मचारिणी माता को तपस्या का फल मिला और फिर उन्हें भोलेनाथ पति रूप में प्राप्त हुए थे ठीक उसी प्रकार से कुंवारी कन्याओं की भी यही कामना होती है कि उन्हें भी योग्य वर प्राप्त हो. इसके साथ ही माता ब्रह्मचारिणी की गृहस्थ जीवन से जुड़े श्रद्धालु भी यदि सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी आराधना करता है तो माता उनके घर में, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.

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