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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, नागरिकता के लिए कोई भी विदेशी कर सकता है आवेदन

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसकी 28 मई, 2021 की अधिसूचना, जिसमें पड़ोसी देशों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों से नागरिकता देने के लिए आवेदन मांगे थे, का नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से कोई लेना-देना नहीं है. साथ ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोई भी विदेशी नागरिक नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है, सरकार मामले के आधार पर फैसला करेगी.

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Published : Jun 14, 2021, 9:07 PM IST

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा है कि 28 मई, 2021 की अधिसूचना जिसमें पड़ोसी देशों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों से नागरिकता के लिए आवेदन मांगे थे, का नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) 2019 से कोई लेना-देना नहीं है.

केंद्र का जवाब इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग की उस याचिका के जवाब में आया है जिसमें गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में गैर मुस्लिम प्रवासियों से आवेदन आमंत्रित करने वाली गृह मंत्रालय की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी.

'सीएए लागू करने की कोशिश'

याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार सीएए 2019 को लागू करने की कोशिश कर रही है, जबकि उसने अदालत से कहा था कि इसमें नियम नहीं बनाए गए हैं और अदालत मामले को अपने कब्जे में ले रही है.
सरकार ने ये दिया तर्क

केंद्र ने कहा है कि नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16, केंद्र सरकार को अपनी कुछ नागरिकता-अनुदान शक्तियों को ऐसे अधिकारियों या प्राधिकरण को सौंपने की शक्ति प्रदान करती है जो निर्दिष्ट किए जा सकते हैं.

वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने नागरिकता अधिनियम की धारा 16 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और अनुदान देने के लिए अपनी शक्ति का प्रत्यायोजन किया.

धारा 16 के तहत अपने अधिकार का किया था इस्तेमाल

वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने नागरिकता अधिनियम की धारा 16 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया. सरकार ने 16 जिलों के कलेक्टरों और 7 राज्यों की सरकारों के गृह सचिवों को छह निर्दिष्ट अल्पसंख्यकों से संबंधित प्रवासियों के संबंध में पंजीकरण या प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता प्रदान करने की अपनी शक्ति सौंप दी. दो साल की अवधि के लिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए ऐसा किया गया था.

पढ़ें- नागरिकता : 13 जिलों के गैर-मुस्लिम करेंगे आवेदन, पाक समेत इन देशों से आए लोगों को लाभ

केंद्र का कहना है कि 'विदेशियों की इस श्रेणी के नागरिकता आवेदनों पर निर्णय को तेजी से ट्रैक करने के लिए किया गया था. 2018 में सत्ता के इस प्रतिनिधिमंडल को अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था.'

गहलोत ने भी किया था अनुरोध

इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2002, 2004, 2009 में केंद्र से अनुरोध किया था कि पाकिस्तान से आए उन अल्पसंख्यक प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए कलेक्टरों को अपनी शक्ति सौंप दें, जो धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार होकर भारत आए हैं. केंद्र ने 2004, 2005, 2006, 2016 और 2018 में सत्ता के प्रत्यायोजन की अनुमति दी थी.

केंद्र ने किया दावा

केंद्र का दावा है कि अब भी उसे अपनी शक्ति सौंपने के लिए कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे और इसलिए उसने 29 जिलों के कलेक्टरों और 9 राज्यों के गृह सचिवों से कहा था कि वे विदेशियों के निर्दिष्ट वर्ग को नागरिकता देने के लिए केंद्र की शक्तियों का प्रयोग करें.

'अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं'

केंद्र ने कहा, नागरिकता अधिनियम, 1955 और उसके तहत बनाए गए नियमों में निर्धारित विभिन्न विदेशी नागरिकों के बीच पात्रता मानदंड के संबंध में कोई छूट नहीं दी गई है. इसलिए अनुच्छेद 14 के उल्लंघन का सवाल उत्पन्न नहीं होता है.'

पढ़ें-नागरिकता: गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से आवेदन मांगने को लेकर आईयूएमएल ने न्यायालय का रुख किया

केंद्र ने कहा, 'किसी भी धर्म का कोई भी विदेशी किसी भी समय भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है. केंद्र सरकार कानून और नियमों के अनुसार उस आवेदन पर फैसला करेगी.' यह मामला कल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध है.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा है कि 28 मई, 2021 की अधिसूचना जिसमें पड़ोसी देशों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों से नागरिकता के लिए आवेदन मांगे थे, का नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) 2019 से कोई लेना-देना नहीं है.

केंद्र का जवाब इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग की उस याचिका के जवाब में आया है जिसमें गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में गैर मुस्लिम प्रवासियों से आवेदन आमंत्रित करने वाली गृह मंत्रालय की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी.

'सीएए लागू करने की कोशिश'

याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार सीएए 2019 को लागू करने की कोशिश कर रही है, जबकि उसने अदालत से कहा था कि इसमें नियम नहीं बनाए गए हैं और अदालत मामले को अपने कब्जे में ले रही है.
सरकार ने ये दिया तर्क

केंद्र ने कहा है कि नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16, केंद्र सरकार को अपनी कुछ नागरिकता-अनुदान शक्तियों को ऐसे अधिकारियों या प्राधिकरण को सौंपने की शक्ति प्रदान करती है जो निर्दिष्ट किए जा सकते हैं.

वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने नागरिकता अधिनियम की धारा 16 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और अनुदान देने के लिए अपनी शक्ति का प्रत्यायोजन किया.

धारा 16 के तहत अपने अधिकार का किया था इस्तेमाल

वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने नागरिकता अधिनियम की धारा 16 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया. सरकार ने 16 जिलों के कलेक्टरों और 7 राज्यों की सरकारों के गृह सचिवों को छह निर्दिष्ट अल्पसंख्यकों से संबंधित प्रवासियों के संबंध में पंजीकरण या प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता प्रदान करने की अपनी शक्ति सौंप दी. दो साल की अवधि के लिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए ऐसा किया गया था.

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केंद्र का कहना है कि 'विदेशियों की इस श्रेणी के नागरिकता आवेदनों पर निर्णय को तेजी से ट्रैक करने के लिए किया गया था. 2018 में सत्ता के इस प्रतिनिधिमंडल को अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था.'

गहलोत ने भी किया था अनुरोध

इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2002, 2004, 2009 में केंद्र से अनुरोध किया था कि पाकिस्तान से आए उन अल्पसंख्यक प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए कलेक्टरों को अपनी शक्ति सौंप दें, जो धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार होकर भारत आए हैं. केंद्र ने 2004, 2005, 2006, 2016 और 2018 में सत्ता के प्रत्यायोजन की अनुमति दी थी.

केंद्र ने किया दावा

केंद्र का दावा है कि अब भी उसे अपनी शक्ति सौंपने के लिए कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे और इसलिए उसने 29 जिलों के कलेक्टरों और 9 राज्यों के गृह सचिवों से कहा था कि वे विदेशियों के निर्दिष्ट वर्ग को नागरिकता देने के लिए केंद्र की शक्तियों का प्रयोग करें.

'अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं'

केंद्र ने कहा, नागरिकता अधिनियम, 1955 और उसके तहत बनाए गए नियमों में निर्धारित विभिन्न विदेशी नागरिकों के बीच पात्रता मानदंड के संबंध में कोई छूट नहीं दी गई है. इसलिए अनुच्छेद 14 के उल्लंघन का सवाल उत्पन्न नहीं होता है.'

पढ़ें-नागरिकता: गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से आवेदन मांगने को लेकर आईयूएमएल ने न्यायालय का रुख किया

केंद्र ने कहा, 'किसी भी धर्म का कोई भी विदेशी किसी भी समय भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है. केंद्र सरकार कानून और नियमों के अनुसार उस आवेदन पर फैसला करेगी.' यह मामला कल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध है.

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