नई दिल्ली : देश में अप्रैल महीने में कोयला संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने और कोयले के आयात को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो. केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्ष 2020-2021 में कोयला उत्पादन 716.083 मीट्रिक था जो वर्ष 2021-2022 बढ़कर 778.19 मिलियन टन (एमटी) रहा. इसके अलावा चालू वित्त वर्ष (जून तक) में देश ने पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 156.11 मीट्रिक टन की तुलना में लगभग 31 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 204.876 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया है.
उन्होंने बताया कि सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने और कोयले के आयात को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ सचिव (कोयला) की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति का गठन किया गया है. कोयला ब्लॉक आवंटियों को कोयला उत्पादन जल्दी शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने का एक प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत खदान के मालिक अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) का 50% खुले बाजार में बेच सकते हैं. वहीं, उत्पादित कोयले की मात्रा के लिए अंतिम प्रस्ताव पर 50% की छूट की अनुमति होगी.
इसके अलावा मंत्रालय ने कोयला गैसीकरण या द्रवीकरण (अंतिम प्रस्ताव पर 50% की छूट) पर प्रोत्साहन दिया है. सीआईएल ने राजस्व बंटवारे के आधार पर फिर से खोलने के लिए 20 बंद कोयला खदानों की पेशकश की है. कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने स्वदेशी उत्पादन/आपूर्ति में 80% से अधिक का योगदान करते हुए अपने वर्तमान उत्पादन से वर्ष 2024-25 तक एक बिलियन टन (बीटी) कोयले के स्तर तक पहुंचने की योजना तैयार की है.
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