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केंद्र ने पांच साल में पूर्वोत्तर के विकास पर खर्च किए सवा तीन लाख करोड़ - Centre spends over three lakh crore in North East for development in five years

पूर्वोत्तर में विकास परियोजनाओं (Development projects in Northeast) पर केंद्र सरकार का खास ध्यान है. केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के समग्र विकास में पिछले पांच वर्षों में 3,36,640.97 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. रेल, सड़क, बिजली, परिवहन, दूरसंचार की कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है. गौतम देबरॉय की रिपोर्ट में विस्तार से जानिए.

Development projects in Northeast
पीएम मोदी
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Published : Jul 19, 2022, 8:15 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के समग्र विकास में पिछले पांच वर्षों में 3,36,640.97 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. 'ईटीवी भारत' के पास मौजूद सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि सरकार ने 2021-22 में कुल 70,874.32 करोड़ रुपये खर्च किए. पिछले पांच वर्षों में कई बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के साथ-साथ हवाई संपर्क, रेलवे, सड़क मार्ग, जलमार्ग, बिजली और दूरसंचार कनेक्टिविटी सहित कनेक्टिविटी परियोजनाएं शुरू की गई हैं.

हवाई संपर्क : 2016-17 से 2021-22 तक कुल 28 प्रोजेक्ट पूरे किए गए. इनकी स्वीकृति लागत 975.58 करोड़ रुपये थी, जिन्हें 979.07 करोड़ रुपये में पूरा किया गया है. अभी 2,212.30 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि की 15 परियोजनाएं चल रही हैं.

रेल संपर्क: इस साल अप्रैल तक रेल मंत्रालय ने 77,930 करोड़ रुपये की लागत वाली 19 परियोजनाओं को मंजूरी दी है. 2014 से स्वीकृत 1,909 किलोमीटर रेल मार्ग के में पूर्वोत्तर का भी क्षेत्र आता है. 409 किमी रेल मार्ग का काम चालू है. इस पर इस वर्ष मार्च तक 30,312 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

सड़क संपर्क: पूर्वोत्तर क्षेत्र में 58,385 करोड़ रुपये की लागत से कुल 4016.48 किलोमीटर सड़क संपर्क मार्ग का काम चल रहा है. इन परियोजनाओं को पिछले पांच वर्षों के दौरान शुरू किया गया था. पूर्वोत्तर में 15,570.44 करोड़ रुपये की लागत से 3099.50 किमी मार्ग परियोजनाओं का काम पूरा हो चुका है. चल रही परियोजनाओं के मई 2024 तक पूरा होने की संभावना है.

जलमार्ग संपर्क: जलमार्ग को भी विकसित किया जा रहा है. पांच वर्षों (2020-2025) के दौरान 461 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. बराक नदी को राष्ट्रीय राजमार्ग -16 (NW-16) भी घोषित किया गया था. ये असम की कछार घाटी में सिलचर, करीमगंज और बदरपुर को भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से हल्दिया और कोलकाता बंदरगाहों से जोड़ता है. पांच वर्षों (2020-25) के दौरान निर्मित और नियोजित सुविधाओं पर 145 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

विद्युत संपर्क: बिजली मंत्रालय ने जल विद्युत, ताप विद्युत के साथ-साथ गैस आधारित विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए कई पहल की हैं. सरकार ने उत्तर पूर्वी राज्यों सहित कई राज्यों को अपनी बिजली वितरण प्रणाली को मजबूत करने को कहा है. इसके लिए उप-पारेषण और वितरण बुनियादी ढांचे के निर्माण और वृद्धि के साथ-साथ वितरण बुनियादी ढांचे की मीटरिंग और आईटी सक्षमता (IT enablement ) आदि के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए भी कदम उठाए हैं.

दूरसंचार : इसी तरह दूरसंचार विभाग ने इस क्षेत्र में दूरसंचार कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए उत्तर पूर्वी राज्यों में कई परियोजनाएं शुरू की हैं. दूरसंचार विभाग ने कॉक्स बाजार (Cox Bazar) के माध्यम से बीएससीसीएल, बांग्लादेश से अगरतला को इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए 10 जीबीपीएस अंतरराष्ट्रीय बैंडविड्थ भी किराए पर लिया है. पूर्वोत्तर राज्यों में 1,246 गांवों को कवर करते हुए 1,358 टावर लगाए गए हैं और सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.

पढ़ें- पिछले आठ वर्ष में पूर्वोत्तर में हुआ अप्रत्याशित विकास: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के समग्र विकास में पिछले पांच वर्षों में 3,36,640.97 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. 'ईटीवी भारत' के पास मौजूद सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि सरकार ने 2021-22 में कुल 70,874.32 करोड़ रुपये खर्च किए. पिछले पांच वर्षों में कई बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के साथ-साथ हवाई संपर्क, रेलवे, सड़क मार्ग, जलमार्ग, बिजली और दूरसंचार कनेक्टिविटी सहित कनेक्टिविटी परियोजनाएं शुरू की गई हैं.

हवाई संपर्क : 2016-17 से 2021-22 तक कुल 28 प्रोजेक्ट पूरे किए गए. इनकी स्वीकृति लागत 975.58 करोड़ रुपये थी, जिन्हें 979.07 करोड़ रुपये में पूरा किया गया है. अभी 2,212.30 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि की 15 परियोजनाएं चल रही हैं.

रेल संपर्क: इस साल अप्रैल तक रेल मंत्रालय ने 77,930 करोड़ रुपये की लागत वाली 19 परियोजनाओं को मंजूरी दी है. 2014 से स्वीकृत 1,909 किलोमीटर रेल मार्ग के में पूर्वोत्तर का भी क्षेत्र आता है. 409 किमी रेल मार्ग का काम चालू है. इस पर इस वर्ष मार्च तक 30,312 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

सड़क संपर्क: पूर्वोत्तर क्षेत्र में 58,385 करोड़ रुपये की लागत से कुल 4016.48 किलोमीटर सड़क संपर्क मार्ग का काम चल रहा है. इन परियोजनाओं को पिछले पांच वर्षों के दौरान शुरू किया गया था. पूर्वोत्तर में 15,570.44 करोड़ रुपये की लागत से 3099.50 किमी मार्ग परियोजनाओं का काम पूरा हो चुका है. चल रही परियोजनाओं के मई 2024 तक पूरा होने की संभावना है.

जलमार्ग संपर्क: जलमार्ग को भी विकसित किया जा रहा है. पांच वर्षों (2020-2025) के दौरान 461 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. बराक नदी को राष्ट्रीय राजमार्ग -16 (NW-16) भी घोषित किया गया था. ये असम की कछार घाटी में सिलचर, करीमगंज और बदरपुर को भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से हल्दिया और कोलकाता बंदरगाहों से जोड़ता है. पांच वर्षों (2020-25) के दौरान निर्मित और नियोजित सुविधाओं पर 145 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

विद्युत संपर्क: बिजली मंत्रालय ने जल विद्युत, ताप विद्युत के साथ-साथ गैस आधारित विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए कई पहल की हैं. सरकार ने उत्तर पूर्वी राज्यों सहित कई राज्यों को अपनी बिजली वितरण प्रणाली को मजबूत करने को कहा है. इसके लिए उप-पारेषण और वितरण बुनियादी ढांचे के निर्माण और वृद्धि के साथ-साथ वितरण बुनियादी ढांचे की मीटरिंग और आईटी सक्षमता (IT enablement ) आदि के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए भी कदम उठाए हैं.

दूरसंचार : इसी तरह दूरसंचार विभाग ने इस क्षेत्र में दूरसंचार कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए उत्तर पूर्वी राज्यों में कई परियोजनाएं शुरू की हैं. दूरसंचार विभाग ने कॉक्स बाजार (Cox Bazar) के माध्यम से बीएससीसीएल, बांग्लादेश से अगरतला को इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए 10 जीबीपीएस अंतरराष्ट्रीय बैंडविड्थ भी किराए पर लिया है. पूर्वोत्तर राज्यों में 1,246 गांवों को कवर करते हुए 1,358 टावर लगाए गए हैं और सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.

पढ़ें- पिछले आठ वर्ष में पूर्वोत्तर में हुआ अप्रत्याशित विकास: प्रधानमंत्री

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