कोलकाता: केंद्र देश भर में राशन की दुकानों को कॉमन सर्विस सेंटर बनाने पर विचार कर रहा है (Centre plans to Develop Ration Shops). केंद्र ने राशन सामग्री के अलावा डाकघर की कई सेवाएं प्रदान करने का संकल्प लिया है. उपभोक्ताओं को राशन की दुकानों पर रसोई गैस भी मिलेगी.
ऐसा करने से आम ग्राहक राशन की दुकानों पर जाएंगे जिससे राशन डीलरों की आय में वृद्धि होगी. ऐसे में केंद्र दोनों वर्गों का समाधान चाहता है. दरअसल राशन डीलरों के कई संगठन पिछले कुछ सालों से अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्र से तरह-तरह की अपील कर रहे हैं. विरोध, मार्च और सभाओं का दौर जारी है. अखिल भारतीय उचित मूल्य दुकान डीलर्स फेडरेशन भी 20 फरवरी को राज्य के राज्यपाल को कई ज्ञापन सौंपेगा.
संगठन के सूत्रों के अनुसार, दो दिन पहले दिल्ली में केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण अधिकारियों ने देश भर के कई राशन डीलर संगठनों के नेताओं के साथ बैठक की. बैठक में केंद्रीय खाद्य एवं जन वितरण अधिकारियों ने देश की सभी राशन दुकानों को कॉमन सर्विस सेंटर बनाने के पक्ष में राय व्यक्त की.
ये है तैयारी : मूल रूप से केंद्र सरकार राशन की दुकानों को फिर से चालू करने की इच्छुक है. अगर राशन की दुकान को कॉमन सर्विस सेंटर बना दिया जाए तो देश भर की 5.3 लाख राशन की दुकानों से गैस, बैंक, डाकघर की सेवाएं और कई घरेलू सामान सहित खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराए जाएंगे.
इस तरह, दुकानों में ग्राहक बढ़ेंगे जिससे डीलरों को अधिक आय होगी. हालांकि योजना के क्रियान्वयन को लेकर डीलर संगठन सहमत हैं, लेकिन 50000 रुपये मासिक आय उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है.
ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के महासचिव बिश्वम्बर बोस ने कहा,' केंद्र राशन डीलरों के लिए 50000 रुपये मासिक आय सुनिश्चित करेगा. इसके अलावा और भी कई दावे हैं.' उन्होंने कहा कि 'राज्यपाल के माध्यम से केंद्र से इस संबंध में बात की जाएगी. 20 फरवरी को सियालदह से रानी रासमणि एवेन्यू पर धरना दिया जाएगा. वहां से प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल के पास जाएगा.'
इस बीच, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव संजीव चोपड़ा ने उचित मूल्य की दुकानों के कायाकल्प पर राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा,' उचित मूल्य की दुकान के डीलर अतिरिक्त सामुदायिक सेवाएं प्रदान करके 50,000 रुपये कमा सकते हैं. गुजरात में कई राशन दुकान मालिक शौचालय, पीने का पानी, कैमरा और अन्य सामान बेचकर 50,000 रुपये कमा रहे हैं. सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों से अनुरोध है कि डीएफपीडी द्वारा साझा किए गए सांकेतिक विनिर्देशों के अनुसार प्रत्येक जिले में 75 मॉडल एफपीएस की पहचान और विकास करें.'
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