नई दिल्ली : बिजली की किल्लत से जूझ रहे राज्यों को आने वाले कुछ साल बाद हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से भी मदद मिलेगी. कोयले के संकट के कारण अभी देश भर में बिजली की दिक्कत हो गई है. पिछले महीने के पहले 27 दिनों के दौरान भारत में बिजली आपूर्ति 1.88 अरब यूनिट की खपत हुई, जो डिमांड 1.6 फीसदी कम थी. बिजली मंत्रालय ने बताया है कि अभी देश में 98 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, जिससे 58,196.5 मेगावाट बिजली जेनरेट होगी. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि एक बार सभी चल रही पनबिजली परियोजनाओं ( Hydropower Project) को चालू कर दिया जाए तो भारत की बिजली की स्थिति बेहतर हो जाएगी.
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 21065 मेगावॉट वाले 31 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट सर्वे और जांच की स्टेज पर हैं जबकि 1700 मेगावॉट वाले दो प्रोजेक्ट का सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी परीक्षण कर रही है. 22,768 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 29 हाइड्रो प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट को सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने मंजूर कर लिया है, मगर अन्य कारणों से निर्माण शुरू नहीं हुआ है. 25 मेगावॉट से अधिक बिजली जेनरेट करने की क्षमता रखने वाले 36 हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं, जिनसे निकट भविष्य में 12, 663.5 मेगावॉट बिजली मिलेगी. अधिकतर प्रोजेक्ट रन ऑफ द रिवर हाइड्रो प्रोजेक्ट हैं.
रन ऑफ द रिवर हाइड्रो प्रोजेक्ट वे होते हैं, जहां बिजली बनाने के लिए बांध या रिजर्वायर नहीं बनाया जा सकता है, इसलिए टारबाइन को घुमाने के लिए नदी का पानी नहर के जरिये लाया जाता है. दूसरी ओर, पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट में एनर्जी को संग्रहित करने और बिजली उत्पन्न करने के लिए अलग-अलग ऊंचाई (ऊपरी और निचले जलाशय) पर स्थित दो जलाशयों के बीच पानी लाया जाते है. आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं, इससे वहां 9150 मेगावॉट बिजली जेनरेट होगी. दूसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश है, जहां 1671 मेगावॉट कपैसिटी के प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में 500 मेगावाट और आंध्र प्रदेश में 1,200 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना की मंजूरी के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) में जांच चल रही है।
जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में भी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है मगर ये सभी सर्वेक्षण और जांच के बाद शुरू होंगे. जनवरी 2022 तक भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 395.07 गीगावाट (GW) है, जिसमें से लगभग 12 प्रतिशत 46.51 GW हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से आ रही है. इस साल जनवरी तक भारत की कोयला आधारित बिजली स्थापित क्षमता 203.9 गीगावॉट थी, जो 2040 तक 330-441 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में चुनौतियां कम नहीं हैं. जब नहर और नदी के पानी को बिजली उत्पादन के लिए डायवर्ट किया जाता है, जो नदी की पारिस्थितिकी को नष्ट कर देता है. बांध बनाते समय होने वाली ब्लास्टिंग और टनलिंग से पहाड़ के झरने भी सूख जाते हैं, जबकि पावर प्लांट हमेशा पानी के निरंतर प्रवाह पर निर्भर करता है.
पढ़ें : बायोगैस संयंत्र से बिजली बनाने में महाराष्ट्र, कर्नाटक, एमपी और आंध्र प्रदेश अव्वल