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केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया CUET केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य नहीं, यूजीसी ने किया विरोध - कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए CUET अनिवार्य नहीं है. इसके पहले यूजीसी ने 21 सितंबर 2022 को एक आदेश जारी कर सभी विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए सीयूईटी को अनिवार्य बताया था.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 28, 2023, 9:19 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अनिवार्य नहीं है. केंद्र सरकार के वकील 25 अगस्त को अदालत में पेश हुए. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के मामलों में स्वायत्तता प्राप्त है, इसलिए सीयूईटी अनिवार्य नहीं है. हालांकि, यूजीसी के वकील ने कहा कि 21 दिसंबर, 2022 के उसके कार्यालय आदेश के अनुसार विश्वविद्यालयों में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए सीयूईटी अनिवार्य है.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष यूजीसी और केंद्र सरकार की ओर से ये दलीलें पेश की गई. हाईकोर्ट डीयू द्वारा अपने नए शुरू किए गए पांच-वर्षीय एकीकृत कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) स्कोर पर भरोसा करने के फैसले के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था. केंद्र और यूजीसी को अब एक सप्ताह में अपनी स्थिति बताते हुए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी.

सीयूईटी कई भाषाओं में आयोजित: डीयू के विधि संकाय के छात्र प्रिंस सिंह ने मांग की है कि विश्वविद्यालय को पांच साल के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी स्कोर लागू करना चाहिए. यह तर्क दिया गया कि यूजीसी ने कहा कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी स्नातक प्रवेश प्रक्रियाओं को सीयूईटी के अनुसार पूरा करेंगे, जबकि अन्य सभी पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश सीयूईटी के माध्यम से किया जा रहा है. वहीं, डीयू में पांच वर्षीय कानून पाठ्यक्रमों के लिए क्लैट स्कोर पर विचार किया जा रहा है. इसके कारण छात्रों का केवल एक अलग वर्ग ही पांच वर्षीय कानून कोर्स में प्रवेश ले सकता है. याचिका में यह भी बताया गया कि जहां सीयूईटी कई भाषाओं में आयोजित किया जाता है, वहीं क्लैट केवल अंग्रेजी में आयोजित होता है.

डीयू की ओर से ये हुए उपस्थित: याचिकाकर्ता प्रिंस सिंह कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए. वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद, अधिवक्ता मोहिंदर जेएस रूपल, हार्दिक रूपल और सचप्रीत कौर डीयू की ओर से उपस्थित हुए. यूजीसी का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता रविकेश के सिन्हा ने किया. केंद्र सरकार की स्थायी वकील (सीजीएससी) निधि रमन, अधिवक्ता जुबिन सिंह और आकाश मिश्रा के साथ से पेश हुई.

ये भी पढ़ें:

  1. DU Admission 2023: Delhi University से करें एमबीए की पढ़ाई, CUET नहीं चाहिए
  2. दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज को दी राहत, कहा- उसके पास अल्पसंख्यकों के लिए साक्षात्कार कराने का अधिकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अनिवार्य नहीं है. केंद्र सरकार के वकील 25 अगस्त को अदालत में पेश हुए. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के मामलों में स्वायत्तता प्राप्त है, इसलिए सीयूईटी अनिवार्य नहीं है. हालांकि, यूजीसी के वकील ने कहा कि 21 दिसंबर, 2022 के उसके कार्यालय आदेश के अनुसार विश्वविद्यालयों में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए सीयूईटी अनिवार्य है.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष यूजीसी और केंद्र सरकार की ओर से ये दलीलें पेश की गई. हाईकोर्ट डीयू द्वारा अपने नए शुरू किए गए पांच-वर्षीय एकीकृत कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) स्कोर पर भरोसा करने के फैसले के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था. केंद्र और यूजीसी को अब एक सप्ताह में अपनी स्थिति बताते हुए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी.

सीयूईटी कई भाषाओं में आयोजित: डीयू के विधि संकाय के छात्र प्रिंस सिंह ने मांग की है कि विश्वविद्यालय को पांच साल के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी स्कोर लागू करना चाहिए. यह तर्क दिया गया कि यूजीसी ने कहा कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी स्नातक प्रवेश प्रक्रियाओं को सीयूईटी के अनुसार पूरा करेंगे, जबकि अन्य सभी पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश सीयूईटी के माध्यम से किया जा रहा है. वहीं, डीयू में पांच वर्षीय कानून पाठ्यक्रमों के लिए क्लैट स्कोर पर विचार किया जा रहा है. इसके कारण छात्रों का केवल एक अलग वर्ग ही पांच वर्षीय कानून कोर्स में प्रवेश ले सकता है. याचिका में यह भी बताया गया कि जहां सीयूईटी कई भाषाओं में आयोजित किया जाता है, वहीं क्लैट केवल अंग्रेजी में आयोजित होता है.

डीयू की ओर से ये हुए उपस्थित: याचिकाकर्ता प्रिंस सिंह कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए. वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद, अधिवक्ता मोहिंदर जेएस रूपल, हार्दिक रूपल और सचप्रीत कौर डीयू की ओर से उपस्थित हुए. यूजीसी का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता रविकेश के सिन्हा ने किया. केंद्र सरकार की स्थायी वकील (सीजीएससी) निधि रमन, अधिवक्ता जुबिन सिंह और आकाश मिश्रा के साथ से पेश हुई.

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