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Power Crisis India: 17 थर्मल पॉवर प्रोजक्ट्स में देरी, सरकार ने बताया गंभीर मामला

ऐसे समय में जबकि पूरा देश बिजली कमी की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है. केंद्र सरकार ने देरी से चल रहे 17 थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट्स (Thermal Power Projects) को लेकर चिंता जताई है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

thermal power projects
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Published : May 3, 2022, 7:20 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देशभर में देरी से चल रही 17 ताप विद्युत परियोजनाओं (Thermal Power Projects) पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. विडंबना यह है कि विलंबित परियोजनाओं में न केवल अधिक समय लगा बल्कि इनकी लागत में भी जबरदस्त इजाफा हुआ. यह प्रोजेक्ट देश के आठ राज्यों में हैं, जिनकी कुल क्षमता 17000 मेगावाट है. इनमें से कई परियोजनाओं को 2021-22 तक पूरा किया जाना था.

क्या कहते हैं आंकड़े: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में चार ऐसी थर्मल पॉवर परियोजनाएं हैं, जिनमें समय और लागत दोनों बढ़ गई हैं. बिहार के बाढ़ एसटीपीपी-I, एनटीपीसी की यूनिट I, II और III, 660 मेगावाट की क्षमता वाले प्रोजेक्ट्स को क्रमश: दिसंबर 2020, सितंबर 2021 और जून 2022 तक पूरा करके ट्रायल रन शेड्यूल होना चाहिए था. इन तीनों इकाइयों की लागत की बात करें तो इसकी मूल लागत 8683 करोड़ से 145.16 प्रतिशत बढ़कर 21312.1 करोड़ हो गई है. इसी तरह 250 मेगावाट के लिए नबी नगर टीपीपी, एनटीपीसी और रेलवे के संयुक्त उद्यम, भेल जैसी परियोजनाओं में पहले से ही लागत के रूप में इसकी 5352.51 करोड़ से 9996.59 करोड़ तक 86.76 प्रतिशत से अधिक की लागत बढ़ी है.

लागत व समय दोनों बढ़े: झारखंड में 2780 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता वाली दो परियोजनाएं की लागत और समय बढ़ गया है. यहां के गाडरवारा एसटीपीपी/एनटीपीसी/बीटीजी-भेल की 800 मेगावाट की बिजली की क्षमता वाली दो इकाइयों को 2020 तक पूरा किया जाना था. लेकिन सिर्फ समय और लागत में ही वृद्धि हुई. इसी तरह ओडिशा में दो परियोजनाएं, राजस्थान में दो परियोजनाएं, तमिलनाडु और तेलंगाना में एक-एक परियोजनाओं व उत्तर प्रदेश में चार परियोजनाएं पहले ही भारी मात्रा में लागत बढ़ा चुकी हैं.

यह भी पढ़ें- Power Crisis India: बिजली संकट के बीच आरके सिंह ने अमित शाह से की मुलाकात

क्या कहता है प्राधिकरण: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority) के अनुसार देश में 60200 मेगावाट की तापीय उत्पादन क्षमता निर्माणाधीन है. जिसमें से 35835 मेगावाट क्षमता वाली 32 ताप विद्युत परियोजनाओं के अगले पांच वर्षों में चालू होने की संभावना है. 24365 मेगावाट वाली 28 और ताप विद्युत परियोजनाएं भी निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं. जो विभिन्न कारणों से रुकी हुई हैं. जैसे कि वित्तीय मुद्दे और अन्य जिसके लिए इन परियोजनाओं का चालू होना अनिश्चित है. सीईए ने आगे कहा है कि 34 कोयला आधारित थर्मल पावर प्रोजेक्ट, ज्यादातर निजी, कुल 40130 मेगावाट भी विलंबित की श्रेणी में हैं.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देशभर में देरी से चल रही 17 ताप विद्युत परियोजनाओं (Thermal Power Projects) पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. विडंबना यह है कि विलंबित परियोजनाओं में न केवल अधिक समय लगा बल्कि इनकी लागत में भी जबरदस्त इजाफा हुआ. यह प्रोजेक्ट देश के आठ राज्यों में हैं, जिनकी कुल क्षमता 17000 मेगावाट है. इनमें से कई परियोजनाओं को 2021-22 तक पूरा किया जाना था.

क्या कहते हैं आंकड़े: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में चार ऐसी थर्मल पॉवर परियोजनाएं हैं, जिनमें समय और लागत दोनों बढ़ गई हैं. बिहार के बाढ़ एसटीपीपी-I, एनटीपीसी की यूनिट I, II और III, 660 मेगावाट की क्षमता वाले प्रोजेक्ट्स को क्रमश: दिसंबर 2020, सितंबर 2021 और जून 2022 तक पूरा करके ट्रायल रन शेड्यूल होना चाहिए था. इन तीनों इकाइयों की लागत की बात करें तो इसकी मूल लागत 8683 करोड़ से 145.16 प्रतिशत बढ़कर 21312.1 करोड़ हो गई है. इसी तरह 250 मेगावाट के लिए नबी नगर टीपीपी, एनटीपीसी और रेलवे के संयुक्त उद्यम, भेल जैसी परियोजनाओं में पहले से ही लागत के रूप में इसकी 5352.51 करोड़ से 9996.59 करोड़ तक 86.76 प्रतिशत से अधिक की लागत बढ़ी है.

लागत व समय दोनों बढ़े: झारखंड में 2780 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता वाली दो परियोजनाएं की लागत और समय बढ़ गया है. यहां के गाडरवारा एसटीपीपी/एनटीपीसी/बीटीजी-भेल की 800 मेगावाट की बिजली की क्षमता वाली दो इकाइयों को 2020 तक पूरा किया जाना था. लेकिन सिर्फ समय और लागत में ही वृद्धि हुई. इसी तरह ओडिशा में दो परियोजनाएं, राजस्थान में दो परियोजनाएं, तमिलनाडु और तेलंगाना में एक-एक परियोजनाओं व उत्तर प्रदेश में चार परियोजनाएं पहले ही भारी मात्रा में लागत बढ़ा चुकी हैं.

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क्या कहता है प्राधिकरण: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority) के अनुसार देश में 60200 मेगावाट की तापीय उत्पादन क्षमता निर्माणाधीन है. जिसमें से 35835 मेगावाट क्षमता वाली 32 ताप विद्युत परियोजनाओं के अगले पांच वर्षों में चालू होने की संभावना है. 24365 मेगावाट वाली 28 और ताप विद्युत परियोजनाएं भी निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं. जो विभिन्न कारणों से रुकी हुई हैं. जैसे कि वित्तीय मुद्दे और अन्य जिसके लिए इन परियोजनाओं का चालू होना अनिश्चित है. सीईए ने आगे कहा है कि 34 कोयला आधारित थर्मल पावर प्रोजेक्ट, ज्यादातर निजी, कुल 40130 मेगावाट भी विलंबित की श्रेणी में हैं.

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