नई दिल्ली : गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद अचानक यह कयास लगाए जा रहे थे कि देश में गेहूं की किल्लत हो गई है. शनिवार को केंद्र सरकार के अधिकारियों ने साफ किया है कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है. यह आदेश सिर्फ गेहूं निर्यात करने वालों के लिए है. शनिवार को कृषि भवन में मीडिया से बातचीत में फूड सेक्रेटरी सुधांशु पांडे, कॉमर्स सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम और कृषि विभाग के सेक्रेटरी मनोज आहूजा ने कहा कि इस साल गेहूं के उत्पादन में भारी गिरावट और अनियंत्रित निर्यात के कारण गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है.
प्रतिबंध से पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि पिछले साल 2021-22 के मुकाबले निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी. इस साल रिकॉर्ड 10 मिलियन टन गेहूं निर्यात करने का अनुमान लगाया जा रहा था जबकि भारत ने 2021-22 के दौरान 7 मिलियन टन गेहूं एक्सपोर्ट किया था. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा कि कई कारणों से गेहूं की वैश्विक कीमतों ( global prices) में अचानक बढ़ोतरी हुई. इसके कारण भारत के पड़ोसी देशों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई.
गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के पीछे का कारण बताते हुए सुधांशु पांडे ने कहा कि पिछले एक महीने में देश में अनुमानित उत्पादन बदल गया और कई अन्य देशों में फसल की पैदावार काफी कम हुई है. देश के कुछ क्षेत्रों में गेहूं की कीमतों में लगभग 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. भारत सरकार ने अचानक अपना रुख क्यों बदल दिया, इसके जवाब में कृषि सचिव मनोज आहूजा ने बताया कि हम उचित परामर्श के बिना निर्णय नहीं लेते हैं. देश में खाद्यान्न की ऐसी कोई कमी नहीं है और इस फैसले को केवल गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि हम अपने पड़ोसी और कमजोर देशों का समर्थन और सहायता करना जारी रखेंगे. हमारा प्राथमिक लक्ष्य महंगाई की जांच करना है. सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के अनुसार, शिपमेंट के मामले में उनको निर्यात की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें अधिसूचना की तारीख या उससे पहले एक अपरिवर्तनीय साख पत्र जारी किया जाता है. भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दी गई अनुमति और सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी. सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष के लिए अनुमानित 111.32 मीट्रिक टन से अपने गेहूं के उत्पादन के अनुमान को 5.7% से घटाकर 105 मिलियन टन कर दिया है.
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