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Eye Drops Linked To Death In US: तमिलनाडु की कंपनी को नेत्र रोग संबंधी उत्पादों का निर्माण रोकने को कहा गया - आंखों की रोशनी जाने का मामला

अमेरिका में आई-ड्रॉप के इस्तेमाल से आंखों की रोशनी जाने से संबंधित मामले की जांच तेज कर दी गई है. केंद्र और राज्य औषधि नियामकों की दो टीमें इसकी जांच के लिए रवाना हुई थीं.

Etv BharatTwo teams leave for its plant after the use of 'eye-drops' in America (representational photo)
Etv Bharअमेरिका में ‘आई-ड्रॉप’ के इस्तेमाल से आंखों की रोशनी जाने के बाद दो टीम इसके संयंत्र के लिए रवाना (प्रतीकात्म फोटो)at
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Published : Feb 4, 2023, 2:23 PM IST

Updated : Feb 4, 2023, 7:12 PM IST

नई दिल्ली: अमेरिका में आई ड्रॉप से दृष्टिहीनता के मामले में भारतीय औषधि नियामक निकायों द्वारा तमिलनाडु के ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर के संयंत्र के निरीक्षण के एक दिन बाद जांच पूरी होने तक उसे नेत्र रोग संबंधी सभी उत्पादों का निर्माण रोकने को कहा गया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. कंपनी द्वारा आई ड्रॉप वापस लेने के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और राज्य औषधि नियंत्रक की टीम ने तमिलनाडु में चेन्नई से 40 किलोमीटर दूर कांचीपुरम में संयंत्र का दौरा किया. टीम ने आई ड्रॉप-आर्टिफिशियल टियर्स के नमूने भी एकत्र किए, जिन्हें निर्यात किया गया था. भारत में यह आई ड्रॉप नहीं बेचा जाता है.

एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के कांचीपुरम के तिरुपोरुर में कंपनी के निर्माण स्थल पर संयुक्त जांच 3 फरवरी को केंद्र और राज्य के वरिष्ठ औषधि अधिकारियों की टीम द्वारा तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण निदेशक और सीडीएससीओ के सहायक औषधि नियंत्रक (दक्षिण क्षेत्र) की देखरेख में की गई थी. जांच के दौरान, यह पाया गया कि, कंपनी ने अमेरिका को आई ड्रॉप के 24 बैच की दो खेप का निर्यात किया, जिनका निर्माण 2021 और 2022 में हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के दौरान उक्त बैच का कोई स्टॉक नहीं मिला.

संयुक्त जांच रिपोर्ट में कहा गया, 'कंपनी ने उक्त बैच के लिए नियंत्रण नमूने बनाए रखे हैं. नियंत्रण नमूनों के 4 बैच से विश्लेषण के लिए नमूने लिए गए. कच्चे माल कार्बोक्सी मिथाइल सेल्युलोज सोडियम का नमूना भी विश्लेषण के लिए लिया गया, जिसका इस्तेमाल तैयार उत्पादों के निर्माण के लिए किया गया था.' यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) ने पूर्व में एक बयान में कहा था कि चेन्नई स्थित कंपनी संभावित खामी के कारण एजरीकेयर, एलएलसी और डेलसम फार्मा द्वारा वितरित सभी आई ड्रॉप को उपभोक्ता स्तर पर वापस ले रही है.

अब तक आंखों में संक्रमण, दृष्टि के स्थायी नुकसान और रक्तप्रवाह संक्रमण से एक की मृत्यु सहित प्रतिकूल घटनाओं के 55 मामले सामने आए हैं. यूएसएफडीए ने कहा कि खामी वाले आई ड्रॉप के इस्तेमाल से आंखों में संक्रमण का खतरा हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अंधापन हो सकता है. 'आर्टिफिशियल टियर्स लुब्रिकेंट आई ड्रॉप्स' का इस्तेमाल जलन से बचाने या आंखों के सूखेपन को दूर करने के लिए किया जाता है. ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा था कि वह इस उत्पाद के वितरकों अरु फार्मा इंक और डेलसम फार्मा को सूचित कर रही है और अनुरोध कर रही है कि जिन थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और ग्राहकों के पास वापस मंगाए गए उत्पाद हैं, उन्हें इसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए.

ये भी पढ़ें- Viveka murder case: विवेकानंद रेड्डी हत्या मामले में सीबीआई ने सीएम के ओएसडी से की पूछताछ

(एक्सट्रा इनपुट भाषा)

नई दिल्ली: अमेरिका में आई ड्रॉप से दृष्टिहीनता के मामले में भारतीय औषधि नियामक निकायों द्वारा तमिलनाडु के ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर के संयंत्र के निरीक्षण के एक दिन बाद जांच पूरी होने तक उसे नेत्र रोग संबंधी सभी उत्पादों का निर्माण रोकने को कहा गया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. कंपनी द्वारा आई ड्रॉप वापस लेने के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और राज्य औषधि नियंत्रक की टीम ने तमिलनाडु में चेन्नई से 40 किलोमीटर दूर कांचीपुरम में संयंत्र का दौरा किया. टीम ने आई ड्रॉप-आर्टिफिशियल टियर्स के नमूने भी एकत्र किए, जिन्हें निर्यात किया गया था. भारत में यह आई ड्रॉप नहीं बेचा जाता है.

एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के कांचीपुरम के तिरुपोरुर में कंपनी के निर्माण स्थल पर संयुक्त जांच 3 फरवरी को केंद्र और राज्य के वरिष्ठ औषधि अधिकारियों की टीम द्वारा तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण निदेशक और सीडीएससीओ के सहायक औषधि नियंत्रक (दक्षिण क्षेत्र) की देखरेख में की गई थी. जांच के दौरान, यह पाया गया कि, कंपनी ने अमेरिका को आई ड्रॉप के 24 बैच की दो खेप का निर्यात किया, जिनका निर्माण 2021 और 2022 में हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के दौरान उक्त बैच का कोई स्टॉक नहीं मिला.

संयुक्त जांच रिपोर्ट में कहा गया, 'कंपनी ने उक्त बैच के लिए नियंत्रण नमूने बनाए रखे हैं. नियंत्रण नमूनों के 4 बैच से विश्लेषण के लिए नमूने लिए गए. कच्चे माल कार्बोक्सी मिथाइल सेल्युलोज सोडियम का नमूना भी विश्लेषण के लिए लिया गया, जिसका इस्तेमाल तैयार उत्पादों के निर्माण के लिए किया गया था.' यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) ने पूर्व में एक बयान में कहा था कि चेन्नई स्थित कंपनी संभावित खामी के कारण एजरीकेयर, एलएलसी और डेलसम फार्मा द्वारा वितरित सभी आई ड्रॉप को उपभोक्ता स्तर पर वापस ले रही है.

अब तक आंखों में संक्रमण, दृष्टि के स्थायी नुकसान और रक्तप्रवाह संक्रमण से एक की मृत्यु सहित प्रतिकूल घटनाओं के 55 मामले सामने आए हैं. यूएसएफडीए ने कहा कि खामी वाले आई ड्रॉप के इस्तेमाल से आंखों में संक्रमण का खतरा हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अंधापन हो सकता है. 'आर्टिफिशियल टियर्स लुब्रिकेंट आई ड्रॉप्स' का इस्तेमाल जलन से बचाने या आंखों के सूखेपन को दूर करने के लिए किया जाता है. ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा था कि वह इस उत्पाद के वितरकों अरु फार्मा इंक और डेलसम फार्मा को सूचित कर रही है और अनुरोध कर रही है कि जिन थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और ग्राहकों के पास वापस मंगाए गए उत्पाद हैं, उन्हें इसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए.

ये भी पढ़ें- Viveka murder case: विवेकानंद रेड्डी हत्या मामले में सीबीआई ने सीएम के ओएसडी से की पूछताछ

(एक्सट्रा इनपुट भाषा)

Last Updated : Feb 4, 2023, 7:12 PM IST
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