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केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं का किया विरोध

आतंकवाद-अलगाववादी एजेंडे से जुड़ी संगठित पथराव की घटनाएं, जो वर्ष 2018 में 1,767 तक थीं, वर्ष 2023 में अब तक शून्य पर आ गई हैं. केंद्र ने अपने जवाबी हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वर्ष 2018 में संगठित बंद/हड़ताल की 52 घटनाएं हुईं, जो वर्ष 2023 में अब तक शून्य हो गई हैं. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सुमित सक्सेना की रिपोर्ट...

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 10, 2023, 9:23 PM IST

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 2019 के बाद से, पूरे क्षेत्र में शांति, प्रगति, समृद्धि का एक अभूतपूर्व युग देखा गया है और आतंकवाद-अलगाववादी एजेंडे से जुड़ी संगठित पथराव की घटनाएं, जो 2018 में 1767 तक थीं, वर्ष 2023 में अब तक शून्य पर आ गई हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जवाबी हलफनामे में, गृह मंत्रालय ने कहा कि आतंकवादियों और अलगाववादी नेटवर्क द्वारा की गई सड़क हिंसा अब अतीत की बात बन गई है. हलफनामे में कहा गया है कि आतंकवाद-अलगाववादी एजेंडे से जुड़ी संगठित पथराव की घटनाएं, जो वर्ष 2018 में 1,767 तक थीं, वर्ष 2023 में अब तक शून्य पर आ गई हैं. वर्ष 2018 में संगठित बंद/हड़ताल की 52 घटनाएं हुई थीं, जो वर्ष 2023 में अब तक शून्य हो गई हैं.

इसके अलावा, मजबूत आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप आतंकी इको-सिस्टम को नष्ट कर दिया गया है, जो वर्ष 2018 में आतंकवादी भर्ती 199 से घटकर वर्ष 2023 में 12 हो गई है. केंद्र ने जोर देकर कहा कि उसने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और संवैधानिक बदलावों के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है.

हलफनामे में कहा गया है कि आतंकवादी घटनाओं में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है, साल 2018 में 228 से घटकर 2022 में 125 आतंकी घटनाएं हुई हैं. शुद्ध घुसपैठ में 90.2 प्रतिशत की कमी आई है, और कानून व व्यवस्था की घटनाओं में भी 97.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है. साल 2018 में 1,767 से घटकर 2022 में 50 और सुरक्षा बलों की हताहतों की संख्या 2018 में 91 से घटकर 2022 में 31 हो गई है.

केंद्र ने कहा कि ऐतिहासिक बदलावों के बाद, इस क्षेत्र में पिछले चार वर्षों में विकासात्मक गतिविधियों, सार्वजनिक प्रशासन और सुरक्षा मामलों सहित इसके संपूर्ण शासन में गहन सुधारात्मक, सकारात्मक और प्रगतिशील परिवर्तन देखे गए हैं. हलफनामे में कहा गया है कि साल 2019 के बाद से, पूरे क्षेत्र ने शांति, प्रगति और समृद्धि का एक अभूतपूर्व युग देखा है और तीन दशकों से अधिक की उथल-पुथल के बाद क्षेत्र में जीवन सामान्य स्थिति में लौट आया है.

हलफनामे में कहा गया कि यह प्रस्तुत किया गया है कि स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक संस्थान पिछले तीन वर्षों के दौरान बिना किसी हड़ताल या किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं. दैनिक हड़ताल, हड़ताल, पथराव और बंद की पहले की प्रथा अब अतीत की बातें हैं.

केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के सभी प्रावधानों के लागू होने से, क्षेत्र के सभी निवासी उन सभी अधिकारों का आनंद ले रहे हैं, जो देश के अन्य हिस्सों में सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं. शीर्ष अदालत अगले सप्ताह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है.

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 2019 के बाद से, पूरे क्षेत्र में शांति, प्रगति, समृद्धि का एक अभूतपूर्व युग देखा गया है और आतंकवाद-अलगाववादी एजेंडे से जुड़ी संगठित पथराव की घटनाएं, जो 2018 में 1767 तक थीं, वर्ष 2023 में अब तक शून्य पर आ गई हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जवाबी हलफनामे में, गृह मंत्रालय ने कहा कि आतंकवादियों और अलगाववादी नेटवर्क द्वारा की गई सड़क हिंसा अब अतीत की बात बन गई है. हलफनामे में कहा गया है कि आतंकवाद-अलगाववादी एजेंडे से जुड़ी संगठित पथराव की घटनाएं, जो वर्ष 2018 में 1,767 तक थीं, वर्ष 2023 में अब तक शून्य पर आ गई हैं. वर्ष 2018 में संगठित बंद/हड़ताल की 52 घटनाएं हुई थीं, जो वर्ष 2023 में अब तक शून्य हो गई हैं.

इसके अलावा, मजबूत आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप आतंकी इको-सिस्टम को नष्ट कर दिया गया है, जो वर्ष 2018 में आतंकवादी भर्ती 199 से घटकर वर्ष 2023 में 12 हो गई है. केंद्र ने जोर देकर कहा कि उसने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और संवैधानिक बदलावों के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है.

हलफनामे में कहा गया है कि आतंकवादी घटनाओं में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है, साल 2018 में 228 से घटकर 2022 में 125 आतंकी घटनाएं हुई हैं. शुद्ध घुसपैठ में 90.2 प्रतिशत की कमी आई है, और कानून व व्यवस्था की घटनाओं में भी 97.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है. साल 2018 में 1,767 से घटकर 2022 में 50 और सुरक्षा बलों की हताहतों की संख्या 2018 में 91 से घटकर 2022 में 31 हो गई है.

केंद्र ने कहा कि ऐतिहासिक बदलावों के बाद, इस क्षेत्र में पिछले चार वर्षों में विकासात्मक गतिविधियों, सार्वजनिक प्रशासन और सुरक्षा मामलों सहित इसके संपूर्ण शासन में गहन सुधारात्मक, सकारात्मक और प्रगतिशील परिवर्तन देखे गए हैं. हलफनामे में कहा गया है कि साल 2019 के बाद से, पूरे क्षेत्र ने शांति, प्रगति और समृद्धि का एक अभूतपूर्व युग देखा है और तीन दशकों से अधिक की उथल-पुथल के बाद क्षेत्र में जीवन सामान्य स्थिति में लौट आया है.

हलफनामे में कहा गया कि यह प्रस्तुत किया गया है कि स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक संस्थान पिछले तीन वर्षों के दौरान बिना किसी हड़ताल या किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं. दैनिक हड़ताल, हड़ताल, पथराव और बंद की पहले की प्रथा अब अतीत की बातें हैं.

केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के सभी प्रावधानों के लागू होने से, क्षेत्र के सभी निवासी उन सभी अधिकारों का आनंद ले रहे हैं, जो देश के अन्य हिस्सों में सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं. शीर्ष अदालत अगले सप्ताह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है.

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