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कृषि कानूनों पर बातचीत के लिए पंजाब के किसान संगठन आमंत्रित

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Published : Oct 11, 2020, 7:45 PM IST

Updated : Oct 10, 2022, 12:55 PM IST

पंजाब के किसान संगठनों ने कहा कि केंद्र सरकार ने उन्हें कृषि बिल के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक बार फिर से आमंत्रित किया है. यह निमंत्रण कृषि सचिव की ओर से आया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार किसानों से बात करना चाहती है.

पंजाब के किसान संगठन आमंत्रित
पंजाब के किसान संगठन आमंत्रित

चंडीगढ़ : नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे पंजाब के किसान संगठनों ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने 14 अक्टूबर को बातचीत के लिए एक बार फिर उन्हें आमंत्रित किया है. उन्होंने कहा कि निमंत्रण स्वीकार करने पर निर्णय 13 अक्टूबर को जालंधर में एक बैठक में लिया जाएगा.

कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए पार्टी के पंजाब इकाई के प्रभारी जरनैल सिंह ने कहा कि पार्टी का पंजाब कैडर जंतर मंतर पर सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक पंजाब और हरियाणा में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता के साथ विरोध प्रदर्शन करेगा.

किसान संगठनों ने पिछले सप्ताह केंद्रीय कृषि विभाग द्वारा 8 अक्टूबर को आयोजित सम्मेलन में भाग लेने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था. इन संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने प्रदर्शन के तहत पंजाब में रेल यातायात को बाधित किया है, जिससे ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है.

भारतीय किसान यूनियन (दकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि हमें 14 अक्टूबर को एक बैठक का निमंत्रण मिला है. यह निमंत्रण कृषि सचिव की ओर से आया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार किसानों से बात करना चाहती है.

उन्होंने कहा कि जालंधर में 13 अक्टूबर को होने वाली बैठक में सभी किसान संगठन तय करेंगे कि वार्ता के लिए दिल्ली जाना है या नहीं. पंजाब में किसानों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए.

प्रदर्शनकारी नए कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए इनके खिलाफ 24 सितंबर से राज्य के विभिन्न स्थानों पर रेलवे पटरियों पर रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं.

किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य तंत्र को नष्ट कर देंगे, कृषि उपज बाजार समितियों को समाप्त कर देंगे और यह क्षेत्र कॉरपोरेट के नियंत्रण में चला जाएगा.

सरकार हालांकि कह रही है कि इन कानूनों से किसानों की आय बढ़ेगी, उन्हें बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी और खेती में नई तकनीक की शुरुआत होगी.

बता दें कि तीनों विधेयकों के विरोध में देश के अलग अलग हिस्सों में प्रदर्शन हुए लेकिन विरोध का सबसे बड़ा केंद्र पंजाब ही रहा जहां अब भी किसान आंदोलन को जारी रखे हुए हैं.

पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध इतने बड़े स्तर पर है कि दबाव में पंजाब से अकाली दल की सांसद और मोदी सरकार में मंत्री रही हरसिमरत कौर बदल ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और उनकी पार्टी ने बीजेपी से 23 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया.

ऐसे में देश के अन्य राज्यों के किसान से संगठनों की नजर भी पंजाब पर ही है. हालांकि, पंजाब के किसान संगठन अब तक इन कानूनों को वापिस लिये जाने की मांग पर अड़े हुए हैं. ऐसे में यह देखना होगा कि 14 अक्टूबर के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए कौन कौन से किसान संगठन केंद्र सरकार से वार्ता को दिल्ली पहुंचते हैं.

इससे पहले भी कुछ किसानों, किसान नेताओं और विशेषज्ञों की टीम कृषि मंत्री और रक्षा मंत्री से मिल चुकी है और सरकार द्वारा किसानों के आंदोलन को शांत करने की कवायद लगातार चल रही है.

चंडीगढ़ : नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे पंजाब के किसान संगठनों ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने 14 अक्टूबर को बातचीत के लिए एक बार फिर उन्हें आमंत्रित किया है. उन्होंने कहा कि निमंत्रण स्वीकार करने पर निर्णय 13 अक्टूबर को जालंधर में एक बैठक में लिया जाएगा.

कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए पार्टी के पंजाब इकाई के प्रभारी जरनैल सिंह ने कहा कि पार्टी का पंजाब कैडर जंतर मंतर पर सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक पंजाब और हरियाणा में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता के साथ विरोध प्रदर्शन करेगा.

किसान संगठनों ने पिछले सप्ताह केंद्रीय कृषि विभाग द्वारा 8 अक्टूबर को आयोजित सम्मेलन में भाग लेने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था. इन संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने प्रदर्शन के तहत पंजाब में रेल यातायात को बाधित किया है, जिससे ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है.

भारतीय किसान यूनियन (दकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि हमें 14 अक्टूबर को एक बैठक का निमंत्रण मिला है. यह निमंत्रण कृषि सचिव की ओर से आया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार किसानों से बात करना चाहती है.

उन्होंने कहा कि जालंधर में 13 अक्टूबर को होने वाली बैठक में सभी किसान संगठन तय करेंगे कि वार्ता के लिए दिल्ली जाना है या नहीं. पंजाब में किसानों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए.

प्रदर्शनकारी नए कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए इनके खिलाफ 24 सितंबर से राज्य के विभिन्न स्थानों पर रेलवे पटरियों पर रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं.

किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य तंत्र को नष्ट कर देंगे, कृषि उपज बाजार समितियों को समाप्त कर देंगे और यह क्षेत्र कॉरपोरेट के नियंत्रण में चला जाएगा.

सरकार हालांकि कह रही है कि इन कानूनों से किसानों की आय बढ़ेगी, उन्हें बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी और खेती में नई तकनीक की शुरुआत होगी.

बता दें कि तीनों विधेयकों के विरोध में देश के अलग अलग हिस्सों में प्रदर्शन हुए लेकिन विरोध का सबसे बड़ा केंद्र पंजाब ही रहा जहां अब भी किसान आंदोलन को जारी रखे हुए हैं.

पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध इतने बड़े स्तर पर है कि दबाव में पंजाब से अकाली दल की सांसद और मोदी सरकार में मंत्री रही हरसिमरत कौर बदल ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और उनकी पार्टी ने बीजेपी से 23 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया.

ऐसे में देश के अन्य राज्यों के किसान से संगठनों की नजर भी पंजाब पर ही है. हालांकि, पंजाब के किसान संगठन अब तक इन कानूनों को वापिस लिये जाने की मांग पर अड़े हुए हैं. ऐसे में यह देखना होगा कि 14 अक्टूबर के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए कौन कौन से किसान संगठन केंद्र सरकार से वार्ता को दिल्ली पहुंचते हैं.

इससे पहले भी कुछ किसानों, किसान नेताओं और विशेषज्ञों की टीम कृषि मंत्री और रक्षा मंत्री से मिल चुकी है और सरकार द्वारा किसानों के आंदोलन को शांत करने की कवायद लगातार चल रही है.

Last Updated : Oct 10, 2022, 12:55 PM IST
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