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केंद्र ने HC को बताया, दुर्लभ बीमारियों के इलाज हेतु चंदा जुटाने के लिए डिजिटल मंच शुरू

केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने दुर्लभ बीमारियों के इलाज और दवा के लिए चंदा जुटाने हेतु डिजिटल मंच की शुरुआत कर दी है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की इस पहल की सराहना की है और इसका प्रचार-प्रसार करने के लिए भी निर्देशित किया है.

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Published : Aug 4, 2021, 8:09 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने दुर्लभ बीमारियों के इलाज और दवा के लिए चंदा जुटाने हेतु डिजिटल मंच की शुरुआत कर दी है. उच्च न्यायालय ने इस कोशिश की प्रशंसा करते हुए केंद्र से कहा कि वह नियमित तौर पर इस पोर्टल को अद्यतन करे और इस मंच की पूरी क्षमता से इस्तेमाल करने के लिए वृहद प्रचार-प्रसार करे.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने सरकार से कहा कि वह पोर्टल पर आग्रह करने वालों और दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के नाम भी शामिल करे. उल्लेखनीय है कि 14 जुलाई को अदालत ने कहा था कि अगर केंद्र दुर्लभ बीमारियों के लिए चंदा जुटाने हेतु डिजिटल मंच की शुरुआत नहीं करता वह जानबूझकर उसके निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर कार्रवाई करेगा.

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि http://rarediseases.aardeesoft.com पोर्टल शुरू हो गया है. उन्होंने भरोसा दिया कि इसमें योगदान के लिए सार्वजनिक उपक्रमों और उद्योग घरानों को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे.

अदालत ने केन्द्र को निर्देश दिया कि वह कई बच्चों की ओर से याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा इस पोर्टल के बारे में दिए गए सुझावों पर विचार करके छह सप्ताह में जवाब दाखिल करे. इसके साथ ही अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 20 सितंबर को सूचीबद्ध कर दिया.

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सरकार ने पहले 28 जनवरी को विशिष्ट निर्देशों के बावजूद कहा था कि डिजिटल क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म को 31 मार्च तक चालू कर दिया जाएगा, ऐसा नहीं किया गया. अदालत ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) और म्यूकोपॉली सेकेराइडोसिस या एमपीएस (हंटर सिंड्रोम) सहित दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों की ओर से याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी. जिसमें केंद्र को उन्हें निर्बाध और मुफ्त उपचार प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग कर रही थी क्योंकि इलाज बहुत महंगा है.

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दरअसल, डीएमडी यानि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के विभिन्न रूपों में से एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है जो बच्चों को विशेष रूप से प्रभावित करती है और प्रगतिशील कमजोरी का कारण बनती है. MPS भी एक दुर्लभ बीमारी है जो परिवारों में फैलती है और यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है और उनका शरीर उस प्रकार की चीनी को नहीं तोड़ सकता है जो हड्डियों, त्वचा, टेंडन और अन्य ऊतकों का निर्माण करती है.

यह भी पढ़ें- कितनी कारगर होगी दुर्लभ बीमारियों पर बनी नई राष्ट्रीय नीति

28 जनवरी को अदालत ने केंद्र सरकार को दवाओं और दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए डिजिटल क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म को चालू करने का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित किया था.

23 मार्च को अदालत ने दुर्लभ बीमारियों वाले व्यक्तियों के इलाज के संबंध में कई निर्देश पारित किए थे, जिसमें 31 मार्च तक दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को अधिसूचित करने और अनुसंधान, विकास और चिकित्सा विज्ञान के लिए एक राष्ट्रीय संघ की स्थापना करने का निर्देश शामिल था.

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अदालत ने कहा था कि क्राउड फंडिंग प्राप्त करने के लिए नीति के तहत बनाए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म को फंड से जोड़ा जाएगा और जो व्यक्ति और कंपनियां योगदान देना चाहती हैं, वे इसमें सीधे योगदान देंगी.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने दुर्लभ बीमारियों के इलाज और दवा के लिए चंदा जुटाने हेतु डिजिटल मंच की शुरुआत कर दी है. उच्च न्यायालय ने इस कोशिश की प्रशंसा करते हुए केंद्र से कहा कि वह नियमित तौर पर इस पोर्टल को अद्यतन करे और इस मंच की पूरी क्षमता से इस्तेमाल करने के लिए वृहद प्रचार-प्रसार करे.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने सरकार से कहा कि वह पोर्टल पर आग्रह करने वालों और दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के नाम भी शामिल करे. उल्लेखनीय है कि 14 जुलाई को अदालत ने कहा था कि अगर केंद्र दुर्लभ बीमारियों के लिए चंदा जुटाने हेतु डिजिटल मंच की शुरुआत नहीं करता वह जानबूझकर उसके निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर कार्रवाई करेगा.

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि http://rarediseases.aardeesoft.com पोर्टल शुरू हो गया है. उन्होंने भरोसा दिया कि इसमें योगदान के लिए सार्वजनिक उपक्रमों और उद्योग घरानों को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे.

अदालत ने केन्द्र को निर्देश दिया कि वह कई बच्चों की ओर से याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा इस पोर्टल के बारे में दिए गए सुझावों पर विचार करके छह सप्ताह में जवाब दाखिल करे. इसके साथ ही अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 20 सितंबर को सूचीबद्ध कर दिया.

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सरकार ने पहले 28 जनवरी को विशिष्ट निर्देशों के बावजूद कहा था कि डिजिटल क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म को 31 मार्च तक चालू कर दिया जाएगा, ऐसा नहीं किया गया. अदालत ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) और म्यूकोपॉली सेकेराइडोसिस या एमपीएस (हंटर सिंड्रोम) सहित दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों की ओर से याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी. जिसमें केंद्र को उन्हें निर्बाध और मुफ्त उपचार प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग कर रही थी क्योंकि इलाज बहुत महंगा है.

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दरअसल, डीएमडी यानि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के विभिन्न रूपों में से एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है जो बच्चों को विशेष रूप से प्रभावित करती है और प्रगतिशील कमजोरी का कारण बनती है. MPS भी एक दुर्लभ बीमारी है जो परिवारों में फैलती है और यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है और उनका शरीर उस प्रकार की चीनी को नहीं तोड़ सकता है जो हड्डियों, त्वचा, टेंडन और अन्य ऊतकों का निर्माण करती है.

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28 जनवरी को अदालत ने केंद्र सरकार को दवाओं और दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए डिजिटल क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म को चालू करने का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित किया था.

23 मार्च को अदालत ने दुर्लभ बीमारियों वाले व्यक्तियों के इलाज के संबंध में कई निर्देश पारित किए थे, जिसमें 31 मार्च तक दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को अधिसूचित करने और अनुसंधान, विकास और चिकित्सा विज्ञान के लिए एक राष्ट्रीय संघ की स्थापना करने का निर्देश शामिल था.

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अदालत ने कहा था कि क्राउड फंडिंग प्राप्त करने के लिए नीति के तहत बनाए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म को फंड से जोड़ा जाएगा और जो व्यक्ति और कंपनियां योगदान देना चाहती हैं, वे इसमें सीधे योगदान देंगी.

(पीटीआई)

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