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केंद्र ने निचली न्यायपालिका के लिए 9,000 करोड़ रुपये मंजूर किए : रिजीजू

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Published : Oct 8, 2021, 6:22 AM IST

रिजीजू ने कहा, सरकार ने हाल ही में न्यायपालिका के लिए एक बड़ा फैसला किया है. कैबिनेट ने निचली न्यायपालिका के लिए 9,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. अभी तक न्यायाधीश काम करने के लिए किराए के मकान में बैठते हैं और महिला वकीलों तथा न्यायाधीशों के लिए शौचालय नहीं है.

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायिक परिसरों में अधिक अदालत कक्ष, डिजिटल रूम, शौचालय आदि संबंधी बुनियादी ढांचागत जरूरतों को कुछ वर्षों में पूरा किया जाएगा और केंद्र ने निचली न्यायपालिका के लिए 9,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि "दरवाजे पर न्याय" को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

रिजीजू का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने 11 सितंबर को इलाहाबाद में एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत में अदालतें अब भी 'उचित सुविधाओं के बिना जर्जर ढांचों' से संचालित होती हैं और अंग्रेजों के जाने के बाद न्यायपालिका के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे की उपेक्षा की गयी है.

रिजीजू ने कहा, सरकार ने हाल ही में न्यायपालिका के लिए एक बड़ा फैसला किया है. कैबिनेट ने निचली न्यायपालिका के लिए 9,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. अभी तक न्यायाधीश काम करने के लिए किराए के मकान में बैठते हैं और महिला वकीलों तथा न्यायाधीशों के लिए शौचालय नहीं है. उन्होंने कहा कि अगले तीन से चार साल में बुनियादी ढांचा संबंधी जरूरतों को पूरा किया जाएगा.

कानून मंत्री दिल्ली के तीस हजारी अदालत में गजानंद ब्लॉक के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने देश में चार करोड़ से अधिक मामलों के लंबित रहने पर जोर दिया जिनमें से 90 प्रतिशत निचली न्यायपालिका में हैं. उन्होंने कहा कि "दरवाजे पर न्याय" को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायिक परिसरों में अधिक अदालत कक्ष, डिजिटल रूम, शौचालय आदि संबंधी बुनियादी ढांचागत जरूरतों को कुछ वर्षों में पूरा किया जाएगा और केंद्र ने निचली न्यायपालिका के लिए 9,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि "दरवाजे पर न्याय" को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

रिजीजू का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने 11 सितंबर को इलाहाबाद में एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत में अदालतें अब भी 'उचित सुविधाओं के बिना जर्जर ढांचों' से संचालित होती हैं और अंग्रेजों के जाने के बाद न्यायपालिका के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे की उपेक्षा की गयी है.

रिजीजू ने कहा, सरकार ने हाल ही में न्यायपालिका के लिए एक बड़ा फैसला किया है. कैबिनेट ने निचली न्यायपालिका के लिए 9,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. अभी तक न्यायाधीश काम करने के लिए किराए के मकान में बैठते हैं और महिला वकीलों तथा न्यायाधीशों के लिए शौचालय नहीं है. उन्होंने कहा कि अगले तीन से चार साल में बुनियादी ढांचा संबंधी जरूरतों को पूरा किया जाएगा.

कानून मंत्री दिल्ली के तीस हजारी अदालत में गजानंद ब्लॉक के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने देश में चार करोड़ से अधिक मामलों के लंबित रहने पर जोर दिया जिनमें से 90 प्रतिशत निचली न्यायपालिका में हैं. उन्होंने कहा कि "दरवाजे पर न्याय" को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

पीटीआई-भाषा

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