नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने इस बात को स्वीकार किया है कि बिहार, महाराष्ट्र और ओडिशा ने आगामी जनगणना में जातिवार आंकड़े एकत्र करने का अनुरोध किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि आजादी के बाद से जनगणना में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य किसी भी जाति की गणना नहीं की गई है.
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा, 'बिहार, महाराष्ट्र और ओडिशा की राज्य सरकारों ने आगामी जनगणना में जातिवार आंकड़े एकत्र करने का अनुरोध किया है.'
नित्यानंद राय ने कहा कि 2021 की जनगणना मिश्रित तरीके (census mixed mode approach) से की जाएगी. आंकड़ों के संग्रह के लिए मोबाइल ऐप और विभिन्न जनगणना गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी के लिए एक जनगणना पोर्टल पहले ही विकसित किया जा चुका है. राय ने कहा कि जनगणना अनुसूची केंद्रीय मंत्रियों सहित विभिन्न हितधारकों के परामर्श से तैयार की गई है.
उन्होंने कहा कि जनगणना 2021 (Census 2021) करने की सरकार की मंशा 28 मार्च 2019 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित की गई थी. लेकिन कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है. आगामी जनगणना पहली डिजिटल जनगणना होनी है. आंकड़ों के संग्रह के लिए मोबाइल ऐप और विभिन्न जनगणना संबंधी गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी के लिए एक जनगणना पोर्टल विकसित किया गया है.
अब तक जनगणना में, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित जातियों और जनजातियों की गणना होती रही है.
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उन्होंने कहा कि आगामी जनगणना में गणनाकर्मियों द्वारा प्रवीणता के क्रम में जानी जाने वाली मातृभाषा और दो अन्य भाषाओं के नाम प्रत्येक व्यक्ति के जवाब के अनुसार दर्ज किए जाने हैं.
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई राजनीतिक नेताओं ने जाति आधारित जनगणना की अपील की है.