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CDS Bipin Rawat Memories : यूएस रिपोर्ट पर चीन को सुनाई थी खरी-खरी - border dispute between china and india

सीडीएस बिपिन रावत के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर (CDS Bipin Rawat Memories ) व्याप्त है. सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले थे. राज्य स्थापना दिवस के मौके पर 9 नवंबर को सीडीएस बिपिन रावत देहरादून आए थे. तब उन्होंने यूएस रिपोर्ट पर खरी-खरी सुनाई थी.

CDS Bipin Rawat Memories
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Published : Dec 8, 2021, 8:11 PM IST

Updated : Dec 8, 2021, 8:42 PM IST

देहरादून : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS Bipin Rawat Memories ) जनरल बिपिन रावत हमारे बीच नहीं रहे. कुन्नूर हेलीकॉप्टर क्रैश में (tamilnadu Helicopter Crash) चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का निधन (CDS Bipin Rawat Death) हो गया है. उत्तराखंड से बिपिन रावत का गहरा नाता था. 9 नवंबर को सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड स्थापना दिवस के मौके पर देहरादून आए थे. तब US रिपोर्ट पर CDS बिपिन रावत ने खरी-खरी सुनाई थी. उन्होंने कहा था कि हमें अपनी सीमा पता है. भारत की सरहद पूरी तरह सेफ है.

भारत चीन सीमा विवाद

देहरादून में सीडीएस बिपिन रावत से चीन और भारत के बीच चल रहे सीमा विवाद (border dispute between china and india) को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा कि बाराहोती, लद्दाख जैसे इलाकों में जहां तक चीन सरहद मानता है वहां तक वो कभी-कभी आता है और जहां तक हम सरहद मानते हैं, लेकिन इस बात को कोई रिपोर्ट नहीं करता.

यूएस रिपोर्ट पर चीन को सुनाई थी खरी-खरी

बता दें कि अमेरिका की ओर से भारत बॉर्डर पर चीन (border dispute between china and india) की ओर से गांव बसाने वाली रिपोर्ट जारी की गई थी, जिस पर देहरादून में सीडीएस बिपिन रावत से सवाल किया गया था. तब उन्होंने कहा था कि चीन को पता है कि उनकी सरहद कहां है, हमें पता है हमारी सरहद कहां है, हमारी जो सरहद है उसकी पूरी तरह से देखभाल की हुई है, हमने अपनी सरहद के अंदर किसी को बसने नहीं दिया है.

उत्तराखंड में पलायन जैसी समस्या से दु:खी थे

सीडीएस बिपिन रावत ने माना था कि उत्तराखंड का सबसे बड़ा मुद्दा पलायन है. हालांकि, उनका कहना है कि व्यवस्थाओं और सुविधाओं के अभाव में ऐसा हुआ है. उन्होंने कहा था कि क्योंकि हमारा इलाका बॉर्डर का क्षेत्र है, इसलिए यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट नहीं हो पाया, लेकिन अब यहां बड़ी तेजी से सड़कें बन रही हैं, बॉर्डर तक सड़कें पहुंच रही हैं. कमी है तो मेडिकल की सुविधा की, जिस पर ध्यान दिया जा रहा है. इसके साथ ही एजुकेशन के क्षेत्र में भी पहाड़ी इलाकों पर ध्यान देने की जरूरत है.

पढ़ेंः CDS Bipin Rawat : यूं ही नहीं बनाया गया था देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस

पढ़ेंः DWWA की अध्यक्ष थीं जनरल बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत, जानिए उनके बारे में सब कुछ

देहरादून : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS Bipin Rawat Memories ) जनरल बिपिन रावत हमारे बीच नहीं रहे. कुन्नूर हेलीकॉप्टर क्रैश में (tamilnadu Helicopter Crash) चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का निधन (CDS Bipin Rawat Death) हो गया है. उत्तराखंड से बिपिन रावत का गहरा नाता था. 9 नवंबर को सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड स्थापना दिवस के मौके पर देहरादून आए थे. तब US रिपोर्ट पर CDS बिपिन रावत ने खरी-खरी सुनाई थी. उन्होंने कहा था कि हमें अपनी सीमा पता है. भारत की सरहद पूरी तरह सेफ है.

भारत चीन सीमा विवाद

देहरादून में सीडीएस बिपिन रावत से चीन और भारत के बीच चल रहे सीमा विवाद (border dispute between china and india) को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा कि बाराहोती, लद्दाख जैसे इलाकों में जहां तक चीन सरहद मानता है वहां तक वो कभी-कभी आता है और जहां तक हम सरहद मानते हैं, लेकिन इस बात को कोई रिपोर्ट नहीं करता.

यूएस रिपोर्ट पर चीन को सुनाई थी खरी-खरी

बता दें कि अमेरिका की ओर से भारत बॉर्डर पर चीन (border dispute between china and india) की ओर से गांव बसाने वाली रिपोर्ट जारी की गई थी, जिस पर देहरादून में सीडीएस बिपिन रावत से सवाल किया गया था. तब उन्होंने कहा था कि चीन को पता है कि उनकी सरहद कहां है, हमें पता है हमारी सरहद कहां है, हमारी जो सरहद है उसकी पूरी तरह से देखभाल की हुई है, हमने अपनी सरहद के अंदर किसी को बसने नहीं दिया है.

उत्तराखंड में पलायन जैसी समस्या से दु:खी थे

सीडीएस बिपिन रावत ने माना था कि उत्तराखंड का सबसे बड़ा मुद्दा पलायन है. हालांकि, उनका कहना है कि व्यवस्थाओं और सुविधाओं के अभाव में ऐसा हुआ है. उन्होंने कहा था कि क्योंकि हमारा इलाका बॉर्डर का क्षेत्र है, इसलिए यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट नहीं हो पाया, लेकिन अब यहां बड़ी तेजी से सड़कें बन रही हैं, बॉर्डर तक सड़कें पहुंच रही हैं. कमी है तो मेडिकल की सुविधा की, जिस पर ध्यान दिया जा रहा है. इसके साथ ही एजुकेशन के क्षेत्र में भी पहाड़ी इलाकों पर ध्यान देने की जरूरत है.

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Last Updated : Dec 8, 2021, 8:42 PM IST
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