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तालिबान वही सिर्फ साथी बदल गए, हर चुनौती के लिए भारत तैयार : CDS बिपिन रावत

सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि, हम इस बात से चिंतित थे कि अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधि भारत में कैसे फैल सकती है. इसलिए इससे निपटने के लिए हमारी आकस्मिक योजनाएं चल रही थी. ऐसे में आप यह कह सकते हैं कि भारत किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए तैयार है.

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Published : Aug 25, 2021, 3:58 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 11:00 PM IST

हैदराबाद : 'भारत-अमेरिका साझेदारी: 21वीं सदी की सुरक्षा' कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने कहा कि हमने तालिबान के शासन का अनुमान लगाया था. अफगानिस्तान के विषय पर उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ है वह कुछ ऐसा था जिसका अनुमान लगाया गया था, केवल समय बदल गया है. भारतीय नजरिए से देखा जाए तो हम तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे का अनुमान लगा रहे थे.

सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि हमने तालिबान के शासन का अनुमान लगाया था और उसी पर अपनी आकस्मिक योजनाएं बनाई हैं. यह वही तालिबान है, केवल उसके साथी बदल गए हैं. हम तालिबान के अधिग्रहण से होने वाली किसी भी आतंकी गतिविधि से निपटने के लिए तैयार हैं. समाचार रिपोर्ट और वहां से आए प्रवासियों की खबरें हमें बता रही हैं कि तालिबान किस तरह की गतिविधियां कर रहा है. अलग-अलग साझेदारों के साथ यह वही तालिबान है.

'भारत-अमेरिका साझेदारी: 21वीं सदी की सुरक्षा' कार्यक्रम में सीडीएस बिपिन रावत.

टाइमलाइन ने चौंका दिया

सीडीएस रावत ने कहा कि टाइमलाइन ने हमें चौंका दिया है क्योंकि उम्मीद कर रहे थे कि शायद कुछ महीनों के बाद ऐसा हो सकता है. लेकिन यह काफी हद तक वही है. वही तालिबान जो 20 साल पहले वहां था. हम इस बात से चिंतित थे कि अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधि भारत में कैसे फैल सकती है और इस हद तक हमारी आकस्मिक योजना चल रही थी और हम इसके लिए तैयार हैं.

इंडिया यूएस पार्टनरशिप- सेक्यूरिंग 21st सेंचुरी चर्चा के दौरान सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि मुझे लगता है कि हिंद-प्रशांत और अफगान स्थिति को एक ही नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. वे 2 अलग-अलग मुद्दे हैं. हां, दोनों क्षेत्र में सुरक्षा के लिए चुनौतियां हैं, लेकिन दोनों की अलग-अलग परिस्थितियां हैं. जैसे दो समानांतर रेखाओं के मिलने की संभावना नहीं है, वैसे ही इन मुद्दों को मिलाया नहीं जा सकता. जहां तक अफगानिस्तान का संबंध है, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी गतिविधि के अफगानिस्तान से बाहर निकलने और भारत में अपना रास्ता तलाशने की संभावना है, जिस तरह से हम अपने देश में आतंकवाद से निपट रहे हैं, उससे निपटा जाएगा.

हम दो पड़ोसियों से घिरे हैं जो सामरिक हथियारों से लैस हैं

रावत ने कहा कि, अगर समन्वय से किसी भी तरह का समर्थन मिल सकता है, कम से कम आतंकवादियों की पहचान करने और आतंकवाद के खिलाफ इस वैश्विक युद्ध से लड़ने के लिए कुछ खुफिया जानकारी प्राप्त करने में, मुझे लगता है कि इसका स्वागत होगा. जहां तक हमारा संबंध है, हम इस बात से चिंतित हैं कि इस क्षेत्र में कहीं भी क्या हो रहा है. यह सिर्फ उत्तरी पड़ोसी नहीं है, यहां तक कि हमारे पश्चिमी पड़ोसी के पास भी परमाणु हथियार प्रणालियां हैं. इसलिए हम दो पड़ोसियों से घिरे हैं जो सामरिक हथियारों से लैस हैं.

हम अपनी रणनीति विकसित कर रहे हैं. पड़ोसियों की क्या मंशा है इसपर लगातार अध्ययन किया जा रहा है. हम अपनी क्षमताओं को विकसित और विकसित कर रहे हैं. परंपरागत रूप से हम बहुत मजबूत हैं, हम अपनी पारंपरिक ताकतों के साथ विरोधियों से निपटने में सक्षम हैं.

पढ़ेंः पेगासस विवाद मामले में SC में सुनवाई आज, केंद्र व बंगाल सरकारें देंगी नोटिस का जवाब

हैदराबाद : 'भारत-अमेरिका साझेदारी: 21वीं सदी की सुरक्षा' कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने कहा कि हमने तालिबान के शासन का अनुमान लगाया था. अफगानिस्तान के विषय पर उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ है वह कुछ ऐसा था जिसका अनुमान लगाया गया था, केवल समय बदल गया है. भारतीय नजरिए से देखा जाए तो हम तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे का अनुमान लगा रहे थे.

सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि हमने तालिबान के शासन का अनुमान लगाया था और उसी पर अपनी आकस्मिक योजनाएं बनाई हैं. यह वही तालिबान है, केवल उसके साथी बदल गए हैं. हम तालिबान के अधिग्रहण से होने वाली किसी भी आतंकी गतिविधि से निपटने के लिए तैयार हैं. समाचार रिपोर्ट और वहां से आए प्रवासियों की खबरें हमें बता रही हैं कि तालिबान किस तरह की गतिविधियां कर रहा है. अलग-अलग साझेदारों के साथ यह वही तालिबान है.

'भारत-अमेरिका साझेदारी: 21वीं सदी की सुरक्षा' कार्यक्रम में सीडीएस बिपिन रावत.

टाइमलाइन ने चौंका दिया

सीडीएस रावत ने कहा कि टाइमलाइन ने हमें चौंका दिया है क्योंकि उम्मीद कर रहे थे कि शायद कुछ महीनों के बाद ऐसा हो सकता है. लेकिन यह काफी हद तक वही है. वही तालिबान जो 20 साल पहले वहां था. हम इस बात से चिंतित थे कि अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधि भारत में कैसे फैल सकती है और इस हद तक हमारी आकस्मिक योजना चल रही थी और हम इसके लिए तैयार हैं.

इंडिया यूएस पार्टनरशिप- सेक्यूरिंग 21st सेंचुरी चर्चा के दौरान सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि मुझे लगता है कि हिंद-प्रशांत और अफगान स्थिति को एक ही नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. वे 2 अलग-अलग मुद्दे हैं. हां, दोनों क्षेत्र में सुरक्षा के लिए चुनौतियां हैं, लेकिन दोनों की अलग-अलग परिस्थितियां हैं. जैसे दो समानांतर रेखाओं के मिलने की संभावना नहीं है, वैसे ही इन मुद्दों को मिलाया नहीं जा सकता. जहां तक अफगानिस्तान का संबंध है, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी गतिविधि के अफगानिस्तान से बाहर निकलने और भारत में अपना रास्ता तलाशने की संभावना है, जिस तरह से हम अपने देश में आतंकवाद से निपट रहे हैं, उससे निपटा जाएगा.

हम दो पड़ोसियों से घिरे हैं जो सामरिक हथियारों से लैस हैं

रावत ने कहा कि, अगर समन्वय से किसी भी तरह का समर्थन मिल सकता है, कम से कम आतंकवादियों की पहचान करने और आतंकवाद के खिलाफ इस वैश्विक युद्ध से लड़ने के लिए कुछ खुफिया जानकारी प्राप्त करने में, मुझे लगता है कि इसका स्वागत होगा. जहां तक हमारा संबंध है, हम इस बात से चिंतित हैं कि इस क्षेत्र में कहीं भी क्या हो रहा है. यह सिर्फ उत्तरी पड़ोसी नहीं है, यहां तक कि हमारे पश्चिमी पड़ोसी के पास भी परमाणु हथियार प्रणालियां हैं. इसलिए हम दो पड़ोसियों से घिरे हैं जो सामरिक हथियारों से लैस हैं.

हम अपनी रणनीति विकसित कर रहे हैं. पड़ोसियों की क्या मंशा है इसपर लगातार अध्ययन किया जा रहा है. हम अपनी क्षमताओं को विकसित और विकसित कर रहे हैं. परंपरागत रूप से हम बहुत मजबूत हैं, हम अपनी पारंपरिक ताकतों के साथ विरोधियों से निपटने में सक्षम हैं.

पढ़ेंः पेगासस विवाद मामले में SC में सुनवाई आज, केंद्र व बंगाल सरकारें देंगी नोटिस का जवाब

Last Updated : Aug 25, 2021, 11:00 PM IST
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