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CBSE: लैंगिक रूढ़ीवादिता के आरोप, विवादों में घिरा 10वीं का प्रश्नपत्र

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Published : Dec 13, 2021, 8:01 AM IST

CBSE की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के प्रश्नपत्र के कुछ अंशों में 'लैंगिक रूढ़िवादिता' (gender stereotypes) को कथित तौर पर बढ़ावा देने और 'प्रतिगामी धारणाओं' (regressive perceptions) का समर्थन करने संबंधी आरोप लगे हैं.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड

नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education-CBSE) की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के प्रश्नपत्र को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, प्रश्नपत्र के कुछ अंशों में 'लैंगिक रूढ़िवादिता' (gender stereotypes) को कथित तौर पर बढ़ावा दिए जाने और 'प्रतिगामी धारणाओं' (regressive perceptions) का समर्थन करने संबंधी आरोप लगे हैं. इसके चलते बोर्ड ने इस मामले को विषय के विशेषज्ञों के पास भेज दिया है.

गौरतलब है कि शनिवार को आयोजित 10वीं की परीक्षा में प्रश्नपत्र (question paper in 10th exam) में 'महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया' और 'अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है' जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जतायी गई है.

प्रश्नपत्र के ऐसे अंश सोशल मीडिया पर वायरल (question paper viral in social media) हो गए. इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग सीबीएसई पर निशाना (twitter users targets CBSE) साध रहे हैं और उपयोगकर्ता हैशटैग 'सीबीएसई इनसल्टस वुमैन' (#CBSEinsultswomen) का समर्थन करने का आह्वान करते दिखाई दिये.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा (Congress General Sec Priyanka Gandhi Vadra) ने भी प्रश्नपत्र पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर का सहारा लिया.

उन्होंने ट्वीट किया कि अविश्वसनीय. क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार महिलाओं संबंधी इन प्रतिगामी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education-CBSE) की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के प्रश्नपत्र को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, प्रश्नपत्र के कुछ अंशों में 'लैंगिक रूढ़िवादिता' (gender stereotypes) को कथित तौर पर बढ़ावा दिए जाने और 'प्रतिगामी धारणाओं' (regressive perceptions) का समर्थन करने संबंधी आरोप लगे हैं. इसके चलते बोर्ड ने इस मामले को विषय के विशेषज्ञों के पास भेज दिया है.

गौरतलब है कि शनिवार को आयोजित 10वीं की परीक्षा में प्रश्नपत्र (question paper in 10th exam) में 'महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया' और 'अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है' जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जतायी गई है.

प्रश्नपत्र के ऐसे अंश सोशल मीडिया पर वायरल (question paper viral in social media) हो गए. इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग सीबीएसई पर निशाना (twitter users targets CBSE) साध रहे हैं और उपयोगकर्ता हैशटैग 'सीबीएसई इनसल्टस वुमैन' (#CBSEinsultswomen) का समर्थन करने का आह्वान करते दिखाई दिये.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा (Congress General Sec Priyanka Gandhi Vadra) ने भी प्रश्नपत्र पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर का सहारा लिया.

उन्होंने ट्वीट किया कि अविश्वसनीय. क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार महिलाओं संबंधी इन प्रतिगामी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?

(पीटीआई-भाषा)

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