श्रीनगर : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू-कश्मीर राजस्व विभाग में घोटाला मामले में तीन अलग-अलग केस दर्ज किए हैं. एक जनहित याचिका (नंबर 19/2011) पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में यह मामले दर्ज किए गए.
साथ ही सीबीआई ने इन मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली है, जो पहले विजिलेंस ऑर्गेनाइजेशन, जम्मू (अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, जम्मू-कश्मीर) द्वारा दर्ज किए गए थे. जिसमें एफआईआर नंबर 23/2015, एफआईआर नंबर 5/2015 और एफआईआर नंबर 6/2014 शामिल है.
पहला मामला (एफआईआर नंबर 23/2015) राजस्व विभाग (जम्मू) के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया गया है. आरोप है कि जम्मू जिले के राजस्व विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों ने जानबूझकर राज्य के भूमि पर अवैध कब्जेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया. साथ ही रोशनी अधिनियम और नियमों के निर्धारित प्रावधानों की अनदेखी की गई.
अधिकारियों ने गलत तरीके से राज्य की भूमि के मालिकाना अवांछनीय व्यक्तियों को दिया, जिससे राज्य सरकारी खजाने को भारी मौद्रिक नुकसान हुआ.
दूसरा मामला सांबा जिले के राजस्व विभाग के अज्ञात अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ विजिलेंस ऑर्गेनाइजेशन (जम्मू) के एफआईआर नंबर 5/2015 के संबंध में दर्ज किया गया है.
आरोप है कि सांबा जिले के राजस्व विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों ने जानबूझकर रोशनी अधिनियम के कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करके राज्य भूमि के अवैध कब्जेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया था.
यह भी आरोप है कि कई मामलों में, राज्य की भूमि पर मालिकाना हक उन व्यक्तियों के पक्ष में दिया गया था, जो राजस्व रिकॉर्ड में उनके संबंधित नामों में दर्ज नहीं थे.
कहा गया है कि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मूल्य निर्धारण समिति द्वारा दरें तय नहीं की गई थीं और कई मामलों में सरकारी खजाने को प्रेषित नहीं किया गया, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ.
तीसरा मामला, विजिलेंस ऑर्गेनाइजेशन (जम्मू) के एफआईआर नंबर 6/2014 के संबंध में दर्ज किया गया है. जो जम्मू के गांधी नगर के रहने वाले एक निजी व्यक्ति, जम्मू के राजस्व विभाग के अज्ञात अधिकारियों /कर्मचारियों तथा जेडीए के अधिकारियों व अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज है.
आरोप है कि जम्मू जिले के राजस्व अधिकारियों ने उक्त निजी व्यक्ति के साथ आपराधिक साजिश रची थी और उसे भूमि के स्वामित्व अधिकार प्रदान किए.
यह भी आरोप है कि राजस्व रिकॉर्ड में किसी भी प्रविष्टि के बगैर राज्य की भूमि को अवैध रूप से नियमित कर दिया गया था और भूमि पर वाणिज्यिक भवन के निर्माण के लिए लाभार्थी के पक्ष में एनओसी जारी किया गया था.