हैदराबाद : सेना ने कई आवासीय परियोजनाओं के निर्माण में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश करने का निर्णय लिया है. इन परियोजनाओं में निजी ठेकेदार और सैन्य अभियंता सेवाएं (एमईएस) शामिल हैं. पिछले महीने इस संबंध में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की ओर से पत्र प्राप्त होने के बाद सेना विभिन्न परियोजनाओं की सख्ती से पड़ताल कर रही है.
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने बताया शर्मनाक
सूत्रों ने कहा कि सेना ने पिछले महीने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत से गलत तरीके से काम करवाने वालों और घपला करने वाले लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है. एक पत्र में जनरल रावत ने गलत तरीके से किए जा रहे कार्यों, भुगतान में देरी और एमईएस प्रक्रियाओं में हो रही गलतियों की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक था, इसके संबंध में सीवीसी के सवालों का भी सामना करना पड़ा था.
सेना प्रमुख एमएम नरवणे की प्रतिक्रिया
सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने नौसेना और भारतीय वायु सेना को भी इसी तरह का पत्र लिखा है. पत्र विभिन्न परियोजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में पारदर्शिता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस तरह का गलत काम बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
परियोजनाओं पर नजर
सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मेरठ में आर्मी मैरिड हाउसिंग प्रोजेक्ट (एमएपी) के कार्यान्वयन में व्यापक अनियमितता और वित्तीय सेंधमारी के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इसकी जांच सौंपी गई है. सैन्य कर्मियों को आवास प्रदान करने के लिए बनाई गई मेरठ परियोजना के पहले चरण के लिए 6,033 करोड़ रुपये और दूसरे चरम के लिए 13,682 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए, लेकिन घटिया निर्माण के चलते यह इमारत ढह गई. इसमें पाया गया कि बहु-मंजिला इमारत की खिड़कियों की ग्रिल को केवल चिपकाया गया था और ऐसा ही गुणवत्ताहीन काम किया गया था.
अन्य प्रोजेक्ट जिनकी होगी जांच
लेह, बेंगलुरु, गुवाहाटी और अहमदनगर के एमईएस निर्माण परियोजनाओं में विभागीय पूछताछ के दौरान पेश किए गए फर्जी बिल.
सीडीएस ने कोलकाता में सैन्य कर्मियों के आवास के लिए बनाई गई इमारतें खराब निर्माण के चलते एक तरफ से झुक गई हैं.
सैन्य अभियंता सेवा (एमईएस) के नेतृत्व में निर्माण परियोजनाओं से जुड़े कथित घोटालों, जिसमें मौजूदा गतिरोध के दौरान लद्दाख में बड़े पैमाने पर नकली बिल रैकेट शामिल है, भारतीय सेना ने सीबीआई जांच का फैसला किया है.
रावत के पत्र लिखे जाने के बाद सरकार ने राजस्थान के बीकानेर जिले में 125 करोड़ रुपये की लागत से बनी सैन्य इमारत को गिराने का आदेश दिया. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि इमारत गोला बारूद के भंडारण के लिए सुरक्षित नहीं थी.
एमईएस क्या है?
सैन्य इंजीनियरी सेवाएं (एमईसी), जो 1923 में स्थापित की गई थी, भारतीय सेना के इंजीनियरी कोर के स्तंभों में से एक स्तंभ है जो सशस्त्र बलों को पश्च इंजीनियरी सहायता उपलब्ध कराती है. इसकी संपूर्ण देश में बड़ी संख्या में यूनिटें तथा उप-यूनिटें हैं, जो सेना, वायुसेना, नौसेना के विभिन्न विरचनाओं, आयुध निर्माणियों, केंद्रीय विद्यालय संगठन, सीमा सड़क संगठन तथा रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन को इंजीनियरी सहायता उपलब्ध कराती है. सैन्य इंजीनियरी सेवा एक सैन्य संगठन है, लेकिन इसमें सेना और सिविलियन अधिकारी तथा अन्य अधीनस्थ कर्मचारी हैं. सभी निर्माण-कार्यों का निष्पादन संविदाओं के जरिए होता है, सभी रख-रखाव की सेवाओं का निष्पादन दोनों-संविदाओं तथा विभागीय तौर पर नियुक्त श्रमिकों द्वारा निष्पादित किया जाता है.
एमईएस की भूमिका और कार्य
सैन्य इंजीनियरी सेवा की दोहरी भूमिका है- इंजीनियरी सलाह देना और निर्माण-कार्य भी करना. सैन्य इंजीनियरी सेवा भारत में सेना, नौसेना और वायुसेना द्वारा अपेक्षित आवश्यक सेवाओं जैसे सैन्य सड़कें, बड़ी मात्रा में जल तथा विद्युत आपूर्ति, जल-मल निकास, शीतलन तथा फर्नीचर सहित सभी निर्माण कार्यों, भवनों, एयरफील्डों, डॉक प्रतिष्ठानों आदि के डिजाइन, निर्माण तथा रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है.
सैन्य-इंजीनियरी सेवा इंजीनियर-इन-चीफ के समग्र नियंत्रणाधीन कार्य करती है. इसका इंजीनियर-इन-चीफ संक्रियात्मक और शांतिकाल के दौरान निर्माण इंजीनियरी के लिए रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं का परामर्शदाता है. इंजीनियर-इन-चीफ की सहायता के लिए छह कमान मुख्य इंजीनियर होते हैं जो आगे 31 जोनल मुख्य इंजीनियरों को पर्यवेक्षण करते हैं और आगे प्रत्येक जोन सीडब्ल्यूई तथा स्वतंत्र गैरीसन इंजीनियरों में विभाजित होता है.