नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई और डीआरआई (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस) को निर्देश दिया है कि वे अडानी और एस्सार समूह समेत दूसरी कंपनियों की ओर से कोयले के आयात में ज्यादा कीमतें वसूलने के आरोपों की जांच करे. जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में वास्तविक स्थिति की जांच हो और नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हो.
इस मामले में दो याचिकाएं दायर की गई हैं. पहली याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने दायर की है. दूसरी याचिका कॉमन कॉज की ओर से हर्ष मंदर ने दायर की है. याचिका में डीआरआई की उस रिपोर्ट की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने की मांग की गई है जिसमें विद्युत उत्पादक कंपनियों के खिलाफ ज्यादा कीमतें वसूलने की बात कही गई है.
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हर्ष मंदर ने अपनी याचिका में इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि डीआरआई की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया जाए. दोनों याचिकाओं में कहा गया है कि डीआरआई ने तीन प्रोजेक्ट्स की जांच की थी. इन प्रोजेक्ट्स में एक अडानी की, दूसरी ट्रांसमिशन लाइन प्रोजेक्ट और तीसरी पावर प्लान प्रोजेक्ट हैं. डीआरआई ने 2015 में एस्सार समूह को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि वह इस मामले से जुड़ी कई विद्युत उत्पादन कंपनियों की जांच कर रही है. इसमें हुए लेनदेन काफी जटिल हैं और वे विदेशों के हैं. जिसकी वजह से जांच में भी कठिनाई हो रही है. इसके लिए दूसरे देशों से भी जांच के लिए आग्रह पत्र भेजा गया है.