ETV Bharat / bharat

दाभोलकर हत्या : सीबीआई की पांच आरोपियों के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा चलाने की मांग

अंधविश्वास के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए पहचाने जाने वाले दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.

सीबीआई की पांच आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मांग
सीबीआई की पांच आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मांग
author img

By

Published : Sep 4, 2021, 2:25 PM IST

पुणे: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक अदालत में दलील दी कि तर्कशास्त्री डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर की 2013 में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों पर 'लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक' पैदा करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाया जाए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (विशेष अदालत के न्यायाधीश) एस आर नावंदर के समक्ष शुक्रवार को यहां पांच आरोपियों डॉ. विरेन्द्र सिंह तावडे, शरद कलसकर, सचिन अंदुरे, वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर दलीलें रखी गयी.

विशेष लोक अभियोजक प्रकाश सूर्यवंशी ने सीबीआई की ओर से मामले पर दलीलें रखते हुए कहा कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र), 120 बी के साथ 302 (हत्या), शस्त्र कानून की संबंधित धाराओं और यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) के तहत आरोप लगाए गए.

उन्होंने यूएपीए की धारा 16 पर जोर दिया और दलील दी कि इस मामले में इसे लागू करना कैसे न्यायोचित है। उन्होंने कहा कि यूएपीए की धारा 15 की परिभाषा समाज या समाज के एक वर्ग के बीच आतंक पैदा करना है. मौजूदा मामले में हमारी दलील है कि लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक पैदा करने के लिए डॉ. दाभोलकर की हत्या के लिए आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया गया इसलिए यूएपीए की धारा 16 इस मामले में लगायी जानी चाहिए है.

उन्होंने कहा कि सीबीआई को यूएपीए की धारा 16 लगाने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मिली थी. बहरहाल, बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र इचलकरांजिकर ने यूएपीए की धारा 16 को लगाने की अभियोजन की मांग का विरोध किया. उन्होंने कहा कि हम यूएपीए की धारा 16 लगाने का विरोध करते हैं क्योंकि अभियोजन विभिन्न दस्तावेजों के जरिए 2016 से यह कहता रहा है कि डॉ. तावडे दाभोलकर से घृणा करते थे और इसके कारण उन्होंने उनकी हत्या की. तो फिर आतंक का सवाल कहां से उठता है?

पढ़ें: अमेठी में 70 साल में जो नहीं हुआ वह हमारी सरकार ने थोड़े समय में करके दिखाया: स्मृति

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात सितंबर की तारीख तय कर दी. अंधविश्वास के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए पहचाने जाने वाले दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.

पीटीआई-भाषा

पुणे: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक अदालत में दलील दी कि तर्कशास्त्री डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर की 2013 में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों पर 'लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक' पैदा करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाया जाए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (विशेष अदालत के न्यायाधीश) एस आर नावंदर के समक्ष शुक्रवार को यहां पांच आरोपियों डॉ. विरेन्द्र सिंह तावडे, शरद कलसकर, सचिन अंदुरे, वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर दलीलें रखी गयी.

विशेष लोक अभियोजक प्रकाश सूर्यवंशी ने सीबीआई की ओर से मामले पर दलीलें रखते हुए कहा कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र), 120 बी के साथ 302 (हत्या), शस्त्र कानून की संबंधित धाराओं और यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) के तहत आरोप लगाए गए.

उन्होंने यूएपीए की धारा 16 पर जोर दिया और दलील दी कि इस मामले में इसे लागू करना कैसे न्यायोचित है। उन्होंने कहा कि यूएपीए की धारा 15 की परिभाषा समाज या समाज के एक वर्ग के बीच आतंक पैदा करना है. मौजूदा मामले में हमारी दलील है कि लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक पैदा करने के लिए डॉ. दाभोलकर की हत्या के लिए आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया गया इसलिए यूएपीए की धारा 16 इस मामले में लगायी जानी चाहिए है.

उन्होंने कहा कि सीबीआई को यूएपीए की धारा 16 लगाने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मिली थी. बहरहाल, बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र इचलकरांजिकर ने यूएपीए की धारा 16 को लगाने की अभियोजन की मांग का विरोध किया. उन्होंने कहा कि हम यूएपीए की धारा 16 लगाने का विरोध करते हैं क्योंकि अभियोजन विभिन्न दस्तावेजों के जरिए 2016 से यह कहता रहा है कि डॉ. तावडे दाभोलकर से घृणा करते थे और इसके कारण उन्होंने उनकी हत्या की. तो फिर आतंक का सवाल कहां से उठता है?

पढ़ें: अमेठी में 70 साल में जो नहीं हुआ वह हमारी सरकार ने थोड़े समय में करके दिखाया: स्मृति

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात सितंबर की तारीख तय कर दी. अंधविश्वास के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए पहचाने जाने वाले दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.

पीटीआई-भाषा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.