ठाणे : गुजरात के बिल्किस बानो केस के 11 दोषियों की रिहाई पर रार जारी है. बीजेपी बचाव की मुद्रा में है तो विपक्ष हमलावर. वहीं, न्यायपालिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. 14 साल पहले इन लोगों को सजा सुनाने वाले जज यू.डी. साल्वी ने बिलकिस बानो केस के गुनहगारों के जेल से बाहर निकलने और इस पर मिठाई बांटे जाने, माला पहनाकर स्वागत किए जाने को लेकर कहा कि ये सही नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए था.
बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के पद से रिटायर हुए जस्टिस यू. डी. साल्वी ने कहा कि जिसने भी यह फैसला लिया, उसे इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं बस इतना ही कह सकता हूं. यह मामला हर प्रक्रिया से गुजरा और हम सभी जानते हैं कि इन 11 दोषियों को तमाम सबूतों के बाद उम्रकैद की सजा मिली थी. अब सरकार ने बाद में क्या सोचा, यह एक सवाल है. जस्टिस साल्वी ने कहा कि सरकार के पास माफी देने की शक्ति है. लेकिन कोई भी निर्णय लेने के पहले उसे हर पहलू पर सोचना चाहिए अन्यथा यह सही नहीं है. मैं नहीं जानता कि उन्होंने इस प्रक्रिया को अपनाया है या नहीं.
जस्टिस साल्वी ने कहा कि क्या उन्होंने उस जज से पूछा जिसके अधीन केस सुना गया? मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने इस बारे में कुछ नहीं सुना. इस केस की सीबीआई द्वारा जांच की गई. ऐसे मामलों में राज्य सरकार को केंद्र सरकार से भी सलाह लेने की जरूरत होती है. क्या उन्होंने ऐसा किया? उन्होंने कहा कि आरोपियों का सत्कार करना बिल्कुल गलत है. दोषियों को खुद बधाई स्वीकार नहीं करनी चाहिए थी. मैं कहूंगा कि ये बैड टेस्ट है, लेकिन क्या किया जा सकता है.
जस्टिस साल्वी ने कहा कि, गैंगरेप अलग है, रेप और गैंग रेप में फर्क है. मॉब होना, मॉब के साथ आना, यह सबसे बुरी चीज़ है. यह दिखाता है कि लोग बदले हैं. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं, यह गैंगरेप से ज्यादा खराब है. पूर्व जज ने कहा कि, उन्होंने (दोषियों) खुलकर यह सब किया, इससे पता चलता है कि उनको किसी की भी कदर नहीं है. हिंदुत्व का नाम लेकर ये काम करते हैं. हिन्दू धर्म में ऐसी कई बात हैं जो औरतों को ऊंचा स्थान देती हैं. उनका यह स्थान उपनिषद से आया है. हिन्दू धर्म का ये मूल सिद्धांत है. इससे हिन्दू धर्म को शर्म आई.
उन्होंने कहा कि, यह कहना अच्छा नहीं है कि वे बेगुनाह हैं, क्योंकि यह न्याय प्रक्रिया पर सवाल उठाता है. ये सब ट्रायल से होता है, वे सुप्रीम कोर्ट में भी गिल्टी पाए गए हैं. यह धर्म और न्याय के लिए शर्मनाक है. यह मामला कोर्ट में गया है तो कोर्ट ही तय करेगा.