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सीबीआई ने देशमुख मामले में जांच अधिकारी की रिपोर्ट रद्द की : कांग्रेस का आरोप - Nationalist Congress Party

कांग्रेस ने को दावा किया कि सीबीआई के जांच अधिकारी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर ₹100 करोड़ की वसूली करने के आरोपों में उनकी कोई भूमिका नहीं पाई और उन्होंने जांच बंद कर दी थी लेकिन, केंद्रीय एजेंसी ने एक साजिश के तहत रिपोर्ट रद्द कर दी.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Aug 29, 2021, 3:43 PM IST

मुंबई : कांग्रेस ने को दावा किया कि सीबीआई के जांच अधिकारी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर ₹100 करोड़ की वसूली करने के आरोपों में उनकी कोई भूमिका नहीं पाई और उन्होंने जांच बंद कर दी थी लेकिन, केंद्रीय एजेंसी ने एक साजिश के तहत रिपोर्ट रद्द कर दी.

देशमुख पर ये आरोप मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने लगाए हैं. कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता सचिन सावंत ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट को रद्द करने की सीबीआई की साजिश की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की.

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए. इस साल 24 अप्रैल को भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों में देशमुख तथा कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सीबीआई ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए प्रारंभिक जांच की थी. जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई.

सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने कुछ पुलिस अधिकारियों से मुंबई में बार तथा रेस्त्रां से हर महीने ₹100 करोड़ एकत्रित करने के लिए कहा था. देशमुख ने प्रारंभिक जांच के बाद अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था लेकिन, आरोपों से इनकार किया था सावंत ने ट्वीट किया, सीबीआई के जांच अधिकारी ने प्रारंभिक जांच में कहा था कि पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा ₹100 करोड़ एकत्रित करने के आरोप में अनिल देशमुख जी की कोई भूमिका नहीं है और उन्होंने जांच बंद कर दी थी.

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, हम यह पता लगाने के लिए इस षड्यंत्र की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग करते हैं कि किसके कहने पर सीबीआई ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट को रद्द करके अपना रुख बदला? उच्च न्यायालय ने देशमुख के खिलाफ केवल प्रारंभिक जांच के लिए कहा था लेकिन, उच्च न्यायालय को गुमराह करते हुए प्राथमिकी दर्ज करना सीबीआई का एक बड़ा अपराध है.

सावंत ने कहा कि यह इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे ये एजेंसियां विरोधियों को निशाना बनाने के लिए मोदी सरकार का राजनीतिक हथियार बन गई हैं.उन्होंने आरोप लगाया, यहां तक कि अदालतों को भी गुमराह किया गया, नियमों को बदला गया, जांच चलती रही केवल निरंकुश शासन में ही ऐसी साजिश होती है. अब वक्त आ गया है कि हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए पूरा देश एकजुट हो जाए.

इसे भी पढे़ं-अपनी जमीन पर आतंक का खात्मा करेगा भारत : राजनाथ सिंह

उन्होंने कहा कि अनिल देशमुख को निशाना बनाने तथा महा विकास आघाडी की छवि बिगाड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा रचे इस षड्यंत्र का पर्दाफाश हो गया है.

कांग्रेस भी एमवीए सरकार का हिस्सा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने सीबीआई से यह स्पष्ट करने की मांग की कि अनिल देशमुख मामले की असल स्थित क्या है..

उन्होंने पत्रकारों से कहा, देशमुख को क्लीन चिट देने वाला सीबीआई का दस्तावेज सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है और आज कई अखबारों में छपा है. यह गंभीर मुद्दा है और अगर दस्तावेज सही है तो इससे ज्यादा गंभीर राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई नहीं हो सकती हैं.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : कांग्रेस ने को दावा किया कि सीबीआई के जांच अधिकारी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर ₹100 करोड़ की वसूली करने के आरोपों में उनकी कोई भूमिका नहीं पाई और उन्होंने जांच बंद कर दी थी लेकिन, केंद्रीय एजेंसी ने एक साजिश के तहत रिपोर्ट रद्द कर दी.

देशमुख पर ये आरोप मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने लगाए हैं. कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता सचिन सावंत ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट को रद्द करने की सीबीआई की साजिश की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की.

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए. इस साल 24 अप्रैल को भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों में देशमुख तथा कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सीबीआई ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए प्रारंभिक जांच की थी. जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई.

सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने कुछ पुलिस अधिकारियों से मुंबई में बार तथा रेस्त्रां से हर महीने ₹100 करोड़ एकत्रित करने के लिए कहा था. देशमुख ने प्रारंभिक जांच के बाद अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था लेकिन, आरोपों से इनकार किया था सावंत ने ट्वीट किया, सीबीआई के जांच अधिकारी ने प्रारंभिक जांच में कहा था कि पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा ₹100 करोड़ एकत्रित करने के आरोप में अनिल देशमुख जी की कोई भूमिका नहीं है और उन्होंने जांच बंद कर दी थी.

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, हम यह पता लगाने के लिए इस षड्यंत्र की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग करते हैं कि किसके कहने पर सीबीआई ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट को रद्द करके अपना रुख बदला? उच्च न्यायालय ने देशमुख के खिलाफ केवल प्रारंभिक जांच के लिए कहा था लेकिन, उच्च न्यायालय को गुमराह करते हुए प्राथमिकी दर्ज करना सीबीआई का एक बड़ा अपराध है.

सावंत ने कहा कि यह इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे ये एजेंसियां विरोधियों को निशाना बनाने के लिए मोदी सरकार का राजनीतिक हथियार बन गई हैं.उन्होंने आरोप लगाया, यहां तक कि अदालतों को भी गुमराह किया गया, नियमों को बदला गया, जांच चलती रही केवल निरंकुश शासन में ही ऐसी साजिश होती है. अब वक्त आ गया है कि हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए पूरा देश एकजुट हो जाए.

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उन्होंने कहा कि अनिल देशमुख को निशाना बनाने तथा महा विकास आघाडी की छवि बिगाड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा रचे इस षड्यंत्र का पर्दाफाश हो गया है.

कांग्रेस भी एमवीए सरकार का हिस्सा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने सीबीआई से यह स्पष्ट करने की मांग की कि अनिल देशमुख मामले की असल स्थित क्या है..

उन्होंने पत्रकारों से कहा, देशमुख को क्लीन चिट देने वाला सीबीआई का दस्तावेज सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है और आज कई अखबारों में छपा है. यह गंभीर मुद्दा है और अगर दस्तावेज सही है तो इससे ज्यादा गंभीर राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई नहीं हो सकती हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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