नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण एवं कावेरी जल नियमन समिति द्वारा तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी देने के बारे में कर्नाटक सरकार को दिए गए आदेशों के संदर्भ में गुरुवार को दखल देने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. पीठ ने कहा कि वह तमिलनाडु की उस याचिका पर सुनवाई करने की इच्छुक नहीं है जिसमें राज्य ने कावेरी जल नियमन समिति के आदेश को बरकरार रखने के कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के फैसले को चुनौती दी है.
तमिलनाडु सरकार ने राज्य में बारिश की कमी के कारण सूखे जैसी स्थिति का हवाला देते हुए सीडब्ल्यूएमए के फैसले को चुनौती दी है. पीठ ने कहा कि सीडब्ल्यूएमए और कावेरी जल नियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) जैसी विशेषज्ञ संस्थाओं ने सूखे और कम बारिश जैसे सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार किया और फिर यह आदेश पारित किया. इसलिए पीठ कर्नाटक को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश देने संबंधी आदेश में दखल नहीं देगी.
बता दें कि कर्नाटक सीएम बुधवार को कहा था कि राज्य में 'सूखे जैसी स्थिति' का हवाला देते हुए राज्य सरकार भी सीडब्ल्यूएमए के आदेश पर स्थगन का अनुरोध के साथ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी. सीडब्ल्यूएमए ने 28 सितंबर तक तमिलनाडु को रोजाना करीब 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था. प्राधिकरण का आदेश 18 सितंबर को आया था. सिद्धरमैया ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने की भी मांग की है. सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार इस मामले पर चर्चा करने के लिए जलशक्ति मंत्री से मिल सकते हैं.
इस बीच, वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार से इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करने की अपील की और कहा कि कर्नाटक, तमिलनाडु को 5000 क्यूसेक पानी में से 2500 क्यूसेक जारी करने पर राजी हो गया है. इस मुद्दे पर यहां राष्ट्रीय राजधानी में कर्नाटक के सभी सांसदों एवं केंद्रीय मंत्रियों के साथ एक बैठक में चर्चा की गयी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोड़कर राज्य के सभी सांसद इस बैठक में मौजूद थे. इस बैठक के बाद सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा, "राज्य मुश्किल में है क्योंकि हमारे यहां पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है. 230 तालुकों में से 195 को सूखा प्रभावित घोषित कर दिया गया है। शीघ्र होने वाली एक बैठक में 20 और तालुका सूखा प्रभावित घोषित किये जाएंगे."